PMCH- क्या से क्या हो गया ! कभी पूर्व पीएम ने कराया था यहां इलाज

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पीएमसीएच
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सुरेंद्र किशोर
आज
तो बिहार सरकार के बड़े-बड़े अफसरों को भी पीएमसीएच पर भरोसा नहीं रह गया है। तबीयत खराब होने के बाद बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को गुरुवार को पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उससे पहले पटना के कलक्टर भी उसी अस्पताल में भर्ती किए गए थे।

चंद्रशेखर का आपरेशन PMCH में हुआ था

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पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सन 1962 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने थे। उसके बाद की बात है। उन्हें एक आपरेशन कराना पड़ा था। वे दिल्ली में भी करा सकते थे। पर, लोगों ने उन्हें राय दी कि आप पटना मेडिकल कालेज अस्पताल में जाकर आपरेशन कराइए। ठीक रहिएगा। वहां अच्छे सर्जन हैं। (डा. शाही या डा. सिन्हा) वे पटना आए और स्वस्थ होकर लौटे। पर, अब सरकारी अस्पताल पी.एम.सी.एच. की स्थिति ऐसी कर दी गयी है कि उस पर अपने राज्य के बड़े अफसरों को भी भरोसा नहीं है। ऐसी खबरें सुनकर आम गरीब मरीजों का दिल बैठ जाता है।

कभी एम्स को टक्कर देता था पीएमसीएच

एम्स की स्थापना सन 1956 में ही हो चुकी थी। फिर भी लोगों ने चंद्रशेखर को पटना क्यों भेजा ? आज तो दिल्ली का एम्स बेजोड़ है। पर, क्या तब तक पीएमसीएच की साख उससे बेहतर थी ? एम्स में डाक्टरों की नियुक्ति को लेकर एक किस्सा सुनाता हूं। आपको याद है कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटने का आपरेशन किस डाक्टर ने किया था ? शायद याद न हो। उनका नाम था डा. चितरंजन राणावत। वे तब अमेरिका के नामी डाक्टर थे। एम्स की स्थापना होने लगी तो जाहिर है कि डाक्टरों की बहाली शुरू हो गयी। डा. राणावत ने भी नौकरी के लिए आवेदन दिया था। पर, उन्हें नौकरी लायक नहीं समझा गया। कारण का आप अनुमान लगा लीजिए। यही कारण था कि उनसे अटल जी ने मुंबई के ब्रिच कैंडी अस्पताल में अपना आपरेशन करवाया।

कभी शिक्षा के मामले में अव्वल था पटना

उस जमाने में बिहार में शिक्षा का हाल भी बेहतर था। श्रीकृष्ण सिंह के शासन काल में पटना विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर सांगधर सिंह ने, जो पटना से सांसद भी थे, देश भर से उच्च कोटि के शिक्षकों को बुला कर पटना विश्वविद्यालय में बहाल किया था। साठ-सत्तर के दशक में मैं समाजवादी आंदोलन के प्रचार के लिए पटना विश्वविद्यालय के छात्रावासों में जाया करता था। जैसे ही स्टडी आवर शुरू होता था, हमारे छात्र मित्र कहते थे कि अब आप जाइए, हम लोगों के पढ़ने का समय हो गया।

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