नीतीश ने पूछा- खर्च इतना, फिर भी सड़कें खराब क्यों हैं

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पटना। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के समक्ष पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव ने ‘आउटपुट एण्ड परफारमेंस बेस्ड रोड एसेट्स मेंटेनेंस कान्ट्रैक्ट’ (ओ.पी.आर.एम.सी.) पर आधारित प्रेजेंटेशन दिया। प्रेजेंटेशन के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में सड़क मार्ग से नोखा से विक्रमगंज जाने के क्रम में कई स्थानों पर सड़क की बुरी हालत से आप लोगों को अवगत कराया था। आप लोगों को इसको एक आधार मानकर ‘आउटपुट एण्ड परफारमेंस बेस्ड रोड एसेट्स मेंटेनेंस कान्ट्रैक्ट’ के तहत पूरे राज्य में पथ निर्माण विभाग की सड़कों के रख-रखाव की वास्तविक स्थिति का आकलन कराना चाहिये। ओ.पी.आर.एम.सी.-1 में क्या क्या खामियां रह गयी थीं, उसे सुधार कर लें। संवेदक, जूनियर इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर एवं कार्यपालक अभियंता की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इतना खर्च होने के बाद सड़कों की हालत खराब क्यों है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक सड़क का निरीक्षण सप्ताह में एक बार कनीय अभियंता के द्वारा, 15 दिनों में सहायक अभियंता के द्वारा तथा माह में एक बार कार्यपालक अभियंता के स्तर से किया जाना है। मुख्यमंत्री ने प्रधान सचिव को निदेश दिया कि विभाग के स्तर से इस बात की जांच की जाये कि अभियंतागण द्वारा नियमित निरीक्षण किये जा रहे हैं अथवा नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क के मेंटनेंस में सरकार इतना खर्च कर रही है और उसके बाद भी अगर सड़कों की हालत ठीक न रहे तो संबंधित कनीय अभियंता, सहायक अभियंता एवं कार्यपालक अभियंता सहित संवेदकों पर भी जिम्मेवारी निर्धारित करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की जाये।

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मुख्यमंत्री ने प्रधान सचिव को निदेश दिया कि आप लोगों को सिस्टम को दुरूस्त करना होगा। हम जब भी बाहर निकलते हैं तो माइक्रो लेवल पर जो भी कमियां तत्काल दिखती हैं, आप लोगों को अवगत कराते हैं। उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक जी.पी.एस. आदि का प्रयोग कर मजबूती से निगरानी करें। उन्होंने कहा कि विभागीय स्तर पर कार्य कराने हेतु शीघ्र कार्य योजना तैयार करें। विभागीय स्तर पर कार्य कराने से जहां अभियंताओं के तकनीकी ज्ञान का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा, वहीं कार्य के वास्तविक खर्च की भी स्थिति स्पष्ट होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रिज मेंटनेंस के लिए भी अलग से विंग बनना चाहिए। बिहार में पुलों की संख्या बढ़ती जा रही है, इसलिए उसका रखरखाव भी ठीक ढंग से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर विभाग को और इंजीनियर की जरूरत है तो बहाल करें। रिटायर्ड इंजीनियरों की भी सेवा ली जा सकती है। काम में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने सलाह दी कि अभियंताओं के साथ-साथ संवेदकों को भी अपेक्षित प्रषिक्षण दिया जाय ताकि उनके कार्यों में गुणात्मक सुधार हो तथा उनके द्वारा अपनी जिम्मेवारियों का बेहतर तरीके से निर्वहन किया जा सके। बैठक में पथ निर्माण मंत्री श्री नंद किशोर यादव, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव श्री अमृत लाल मीणा, ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव श्री विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीश कुमार वर्मा, परिवहन विभाग के सचिव श्री संजय अग्रवाल, विशेष सचिव-मुख्यमंत्री सचिवालय श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह सहित पथ निर्माण विभाग के अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

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