ममता बनर्जी के निशाने पर सेंट्रल फोर्स के साथ बंगाल की पुलिस भी

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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की ना नुकुर और उनकी पार्टी के बगावती तेवर के बावजूद भ्रष्टाचार और संज्ञेय अपराध के मामले धड़ाधड़ सीबीआई में दर्ज हो रहे हैं.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की ना नुकुर और उनकी पार्टी के बगावती तेवर के बावजूद भ्रष्टाचार और संज्ञेय अपराध के मामले धड़ाधड़ सीबीआई में दर्ज हो रहे हैं.
  • डी.कृष्ण राव

कोलकाता। ममता बनर्जी का गुस्सा पहले सेंट्रल फोर्स पर था। अब तो उनके निशाने पर राज्य की पुलिस भी आ गयी है। ममता की नजर में अब ये भी प्रतिपक्ष हैं। राज्य में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का एक-एक चरण आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे राज्य की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के बोल भी बदल रहे हैं। भाजपा, सीपीएम के अलावा सीआरपीएफ और पुलिस को भी ममता अब अपना राजनीतिक प्रतिपक्ष मानने लगी हैं। बंगाल में शांतिपूर्ण चुनाव कराने आए केंद्रीय बल पर ममता जरूरत से ज्यादा हमलावर हो रही हैं। कूचबिहार  की जनसभा में वे सीआरपीएफ पर हमले की सारी हदें पार कर गईं।

उन्होंने यह आरोप लगाया कि  सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के जवान मिलकर  तृणमूल समर्थकों को वोट देने से रोक रहे हैं। अपने कार्यकर्ताओं को सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर  उन्हें थप्पड़ मारें। तृणमूल के महिला संगठन को आदेश देते हुए कहा कि एक समूह सीआरपीएफ को घेर कर रखे। दूसरा समूह वोट देने जाए। ममता बनर्जी की इस बात का संज्ञान लेते हुए  चुनाव आयोग ने छानबीन शुरू कर दी है। भाजपा ने भी चुनाव आयोग में शिकायत भी दर्ज करायी है।

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ममता बनर्जी ने पुलिस को धमकाते हुए कहा कि यहां की पुलिस भी भाजपा के साथ मिल गयी  है। सेंट्रल फोर्स तो 2 दिन का मेहमान है, लेकिन पुलिस वालों को तो यहीं रहना है। उनसे हम निपट लेंगे। खासकर आरामबाग  थाना के आईसी का नाम लेते हुए ममता ने कहा कि तीसरे चरण के मतदान में उसका रोल हम देख लिए हैं। उन्होंने  सीआरपीएफ पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि सेंट्रल फोर्स के लोग यहां मासूम बच्चियों का शारीरिक शोषण कर रहे हैं। उन पर केस चलाया जाए। कहां इस तरह की घटना हुई और किस थाने में केस दर्ज कराया गया, इस बारे में वह  कुछ साफ नहीं बता सकीं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि  पिछले तीन चरणों में पश्चिम बंगाल में हुए मतदान में बूथ लूट लिए गए हैं या वोट डालने नहीं दिया गया, ऐसी शिकायतें  अतीत की तुलना में काफी कम हैं। बल्कि कुछ केंद्रों में जहां पहले लोग वोट देने नहीं जा पाते थे, वहां के लोग बोल रहे हैं कि काफी दिनों बाद हम मतदान कर पाए। फिर ममता बनर्जी को परेशानी किस बात पर है। लोग फ्री एंड फेयर वोट दे पा रहे, क्या यही ममता बनर्जी की परेशानी का कारण है या ममता बनर्जी पूरी तरह डर गई हैं। यह भी संभव है कि ममता बनर्जी जिस तरह वोट कराना चाहती थीं, उस तरह नहीं हो पा रहा।

दरअसल इस बार चुनाव में प्रेशर गेम चल रहा है। ममता बनर्जी और तृणमूल के नेता लगभग हर रोज यही बोल बोल रहे हैं कि  ममता बनर्जी नंदीग्राम से 100000 वोटों से जीत गई हैं। ममता बनर्जी बोल रही हैं कि एक पैर से बंगाल से  बीजेपी को भगा दूंगी और 2024 में दोनों पैर से दिल्ली से भाजपा को भगाऊंगी। दूसरी ओर भाजपा की ओर से भी  प्रत्येक चरण की समाप्ति पर तृणमूल पर दबाव डालने के लिए यही बताया जा रहा है कि वे कितनी सीटों पर जीत सकते हैं। बाजाप्ता उसका आंकड़ा भी भाजपा की ओर से दिया जा रहा है। ममता बनर्जी भी उसी  तरह राज्य पुलिस और सीआरपीएफ पर भी दबाव पैदा करना चाह रही हैं।

कहां कितने वोट पड़े (% में)

  • औसत वोटिंग- 84.84
  • बासंती- 81.44
  • कुलतली- 85.16
  • कुलपी- 87.32
  • रायदीघी- 86.92
  • मंदिर बाजार- 86.92
  • जयनगर- 84.02
  • बारुईपुर पूर्व- 84.38
  • बारईपुर पश्चिम- 82.8
  • कैनिंग पश्चिम- 84.34
  • कैनिंग पूर्व- 88.3
  • मगराहाट पूर्व- 85.09
  • मगराहाट पश्चिम- 84.27
  • डायमंड हार्बर- 88.04
  • फालता- 87.2
  • सतगछिया- 86.94
  • बिशुनपुर- 85.2
  • हावड़ा- 83.55
  • उलूबेरिया उत्तर- 82.65
  • उलूबेरिया दक्षिण- 85.05
  • श्यामपुर- 86.23
  • बागनान- 86.37
  • आमता- 79.71
  • उदयनारायणपुर- 83.94
  • जगतवल्लभपुर- 81.5
  • हुगली- 83.75
  • जंगीपाड़ा- 81.39
  • हरिपाल- 81.47
  • धानेखाली- 85.37
  • तारकेश्वर- 85.27
  • पुरसुरा- 85.32
  • आरामबाग- 84.98
  • गोलाघाट- 88.67
  • खानकुल- 78.25
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