अयोध्या विवादः भूखे भजन न होई गोपाला…

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(कोलकाता से युवा रचनाकार कमलेश्वरी तिवारी ने अयोध्या विवाद पर एक पोस्ट अपने फेसबुक वाल पर डाला है। पोस्ट में उनके विचार हैं कि मंदिर-मसजिद मुद्दे का समाधान कैसे हो सकता है। आप भी देखें)

जिस देश में हजारों लोग रोटी, कपड़ा और मकान जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, उस देश के चुनाव का मूल मुद्दा मंदिर-मस्जिद है। हमारे अन्नदाता आत्महत्या करने पर विवश हैं, पर उनकी समस्या से ज़्यादा बड़ी है धार्मिक समस्या। इंसानों द्वारा बनाए गए धर्म इंसानियत से भी ऊपर उठ गए हैं। टेंट में भगवान के रहने से दुखी लोग फुटपाथी लोगों को देखें।

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एक दिन न्यूज में सुना कि एक सज्जन बहुत भावुक होकर कह रहे थे कि उनके आराध्य टेंट में हैं यह बहुत तकलीफदेह है। उन्होंने प्रण लिया कि वे स्वयं टेंट में रह कर देखेंगे कि टेंट में रहने में कितनी तकलीफ़ होती है। भाई तकलीफ़ तो उन लोगों को भी होती है जो फुटपाथ पर सोते हैं और उनका शरीर तो पत्थर का नहीं, बल्कि हाड़-मांस का बना है। कभी उनके लिए भी विचार करके देखो।

2019 के चुनाव का अहम मुद्दा है कि मंदिर बनना चाहिए या मस्जिद। मेरी बहन ने एक बार कहा था उस जगह मंदिर-ayodमस्जिद के बजाए एक स्कूल बनना चाहिए। स्कूल में सभी धर्म के बच्चे पढ़ेंगे। और मेरे खयाल से उससे बड़ा कोई मंदिर या मस्जिद नहीं हो सकता और न ज्ञान अर्जन से बड़ी कोई पूजा ही हो सकती है।

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अगर स्कूल के विकल्प से भी सहमत नहीं तो वहाँ भारत की सामासिक संस्कृति के अनुरूप सभी धर्मों को महत्त्व देते हुए अशोक स्तंभ के समान चारों दिशाओं कि तरफ़ मुँह किए, एक ही दीवार से चिपके मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा बनाना चाहिए। फुट डालो, राज करो कि नीति अपनाने वाले इस पोस्ट से नाखुश हो सकते हैं।

– कमलेश्वरी तिवारी

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