बिहार में बंद के दौरान बवाल, जहानाबाद में बीमार बच्ची की मौत

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पटना। सपाट शब्दों में कहें तो महंगाई के खिलाफ बिहार में बंद का मिलाजुला असर रहा। डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भारत बंद का आह्वान कांग्रेस ने किया था, जिसे विपक्ष की 20 पार्टियों का समर्थन हासिल था। बिहार में प्रमुख रूप से कांग्रेस के अलावा राजद और वामपंथी दलों ने बंद में हिस्सा लिया। सोमवार के बंद ने जहानाबाद में एक बच्ची की जान ले ली।

सड़कों पर जगह-जगह टायर जला कर बंद समर्थकों ने सड़क जाम करने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस से झड़पें भी हुईं। बंद का सर्वाधिक दुखद पहलू यह रहा कि जहानाबाद जिले के बालबिगहा गांव की बीमार एक मासूम बच्ची को सदर अस्पताल तक ले जाने के लिए वाहन नहीं मिला। नतीजतन उसने बाप   के कंधे पर ही दम तोड़ दिया।

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बंद का असर ट्रेनों के परिचालन पर भी पड़ा। दानापुर रेल मंडल में तकरीबन एक दर्जन ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ। राजगीर-नालंदा रेलखंड पर करीब आधा दर्जन ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ। स्कूलों ने पहले ही छुट्टी की घोषणा कर दी थी। बंद को सफल बनाने के लिए राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी पटना की सड़कों पर दिखे। राजद के प्रभाव वाले क्षेत्रों में बंद का असर थोड़ा ज्यादा दिखा।

बंद समर्थकों ने कई राष्ट्रीय राजमार्गों पर  टायर जला कर या हुड़दंग की बदौलत वाहनों का परिचालन अवरुद्ध किया। हालांकि पुलिस के पहुंचने और उसकी सख्ती के कारण बंद समर्थक भाग निकले।

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बंद समर्थक विपक्षी दलों ने आह्वान को सफल बताया है, जबकि सत्ताधारी दल ने इसे खारिज कर दिया। भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने कहा कि बंद का मकसद महज अराजकता फैलाना है। जदयू सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि विपक्ष के पास मुद्दों का अकाल पड़ गया है। डीजल-पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि की वजह उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों का बेलगाम होना बताया।

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