गोपालगंज की रीता देवी ने मछली पालन से बदली अपनी किस्मत

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गोपालगंज (सत्य प्रकाश)। रीता देवी मछली पालन की हुनरमंद मानी जाती हैं। उनके दरवाजे पर अक्सर मल्लाह देखे जाते हैं, जो मछली खरीदने के लिए आते हैं। रीता देवी सशक्त महिला की प्रतिमूर्ति हैं। आर्थिक तंगी की शिकार रही रीता ने अपने आभूषण गिरवी रख कर तीन कठ्ठा में दो कमरों का घर और अंदर ही अंदर मछलीपालन के लिए एक छोटा तालाब बनवाया है।

घर मे रीता देवी और उनकी एक बेटी रहती है। बेटी बीएससी पार्ट वन की छात्रा है। पति परदेस में साधारण नौकरी करते हैं, पर रीता देवी ने असाधारण संकल्प ठान रखा है। घर के आंगन मे रीता देवी ने जो तालाब खोदवाया हैं, वह महज एक कठ्ठा में है। महिला रीता देवी इस तालाब में मांगुर प्रजाति की मछली पालती हैं और प्रत्येक चार महीने पर उसे अच्छी कीमत लेकर बेचती हैं।

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एक साल में तीन बार इस तालाब में मछलियां तैयार होती हैं और इसे बेचकर रीता देवी आज प्रति वर्ष लाखों रूपये कमा रही हैं और अपनी बेटी को अच्छी तालीम दे रही हैं। आज वह अपने पति की आमदनी की मोहताज नहीं। अकेले अपने बलबूते मछली पालन कर एक सशक्त महिला और महिला सशक्तीकरण की एक अद्भुत मिसाल हैं।

रीता देवी अन्य महिलाओं से एक अलग महिला हैं। वे समय के सदुपयोग को भलीभांति जानती हैं। मतस्य पालन के अतिरिक्त बचा शेष समय उनका बेकार नहीं जाता। वे बेकार बैठना नहीं जानतीं। पेटीकोट, ब्लाउज, सूट की सिलाई भी बखूबी कर लेती हैं और अतिरिक्त आमदनी कर लेती हैं।

रीता देवी ने मछलीपालन के लिए तमाम उपकरणों को घर में लगा रखा है। तालाब में पानी कम हुआ तो नलकूप और मोटर भी घर में ही लगा रखा है। रीता देवी के मछली पालन से और कई मल्लाहों की रोजी-रोटी चलती है।

दिल में हौसला और जज्बा हो तो समाज के ताने आड़े नहीं आते। महिला होकर रीता देवी ने जो आज कर दिखाया है, वह न सिर्फ महिलाओं के लिए, बल्कि पुरुष वर्ग के लिए भी अनुकरणीय है।

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