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पिछड़ी जातियों के वर्गीकरण के लिए आयोग पिछड़ों के लिए एक क्रांतिकारी कदमः राजीव
पटना। पिछड़ी जातियों के वर्गीकरण के लिए केंद्र द्वारा गठित किए गये आयोग को पिछड़े समाज के विकास के लिए एक क्रांतिकारी कदम करार देते हुए भाजपा प्रवक्ता श्री राजीव रंजन ने कहा कि केंद्र सरकार अपने पहले दिन से ही दशकों से हाशिए पर रहे पिछड़े-अतिपिछड़े समाज के विकास के लिए कटिबद्ध है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी रोहिणी के नेतृत्व में देश की पिछड़ी जातियों के वर्गीकरण के लिए एक आयोग का गठन किया है। इससे भविष्य में इस समाज के लिए विकास के नए द्वार खुलेंगे।
ज्ञातव्य हो कि पिछड़ा वर्ग आयोग एक लंबे समय से आरक्षण का लाभ सभी जातियों व उपजातियों तक पहुंचाने की बराबर मांग करता रहा है। इसको लेकर आयोग पिछड़ी जातियों को कई प्रकार की उपजातियों में वर्गीकृत करके उन तक आरक्षण का समुचित लाभ पंहुचाने की भी मांग करता रहा है, लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े समाज को महज वोट बैंक समझने वाले कांग्रेस और इसके सहयोगिगी इसे बराबर नजरअंदाज करते रहे, लेकिन वर्तमान सरकार ने आयोग की मांग के महत्व को समझा और पिछड़ी जातियों के वर्गीकरण के लिए इस आयोग का गठन कर दिया। याद करें तो पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का श्रेय भी इसी सरकार को जाता है।
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श्री रंजन ने आगे कहा कि किसी भी देश के इतिहास को उलट कर देखें तो समान्यत: वहां सबसे ज्यादा संख्या रखने वाले समाज सबसे अधिक विकसित होते हैं, लेकिन भारत में यह स्थिति कांग्रेस के परिवारवाद और वोटबैंक की उसकी राजनीति के कारण पूरी तरह विपरीत है। इसका सबसे बड़ा सबूत आजादी के इतने वर्षों बाद भी पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज की बदहाली है।
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निजी स्वार्थ के कारण कांग्रेस ने इस समाज को कभी बढ़ने ही नही दिया, लेकिन वर्तमान सरकार की नीयत साफ है और सही विकास से स्थितियों में परिवर्तन आना शुरू हो चुका है। सरकार द्वारा चलायी जा रही 130 क्रांतिकारी योजनाओं में से अधिकतर योजनाएं आज इसी समाज को ध्यान में रख कर बनायी गयी हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम दिखने शुरू हो चुके हैं।
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