बिहार सरकार ‘कृषि यंत्र बैंक’ के जरिये किसानों की आय बढ़ाएगी

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  • 13 जिलों के 325 गाँवों में कृषि यंत्र बैंक बनाने की योजना
  • फार्म पॉवर उपलब्धता की कैटेगरी 1 में बिहार को रखा गया है
  • कृषि यंत्र बैंक से खरीद पर सरकार 80 प्रतिशत अनुदान देगी
  • यांत्रिकीकरण से राज्य में फसल उत्पादन 30 प्रतिशत तक बढ़ा
  • उत्पादन लागत में 20 प्रतिशत तक की कमी का अनुमान
  • यंत्र कस्टम हायरिंग के लिए एप बागरी जे फार्म सर्विस
  • किसान 10 लाख तक के कृषि यंत्र बैंक स्थापित कर सकते हैं

पटना। राज्य में किसानों की आय और कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है और इस दिशा में हरसंभव प्रयास कर रही है। इसी सिलसिले में राज्य में कृषि यंत्र के माध्यम से फसल उत्पादन और उत्पादकता गुणात्मक रूप से बढ़ाने के लिए गाँवों में कृषि यंत्र बैंक बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय बिहार सरकार ने लिया है।

कृषि यंत्र बैंक की योजना सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन के तहत 2018-19 में किसान कल्याण अभियान में शामिल योजना है। कृषि अभियंत्रिकरण के उपयोग से फार्म पॉवर उपलब्धता की कैटेगरी 1 में बिहार को रखा गया है। आज राज्य में फार्म पॉवर उपलब्धता 2.797 किलोवाट प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत 2.025 किलोवाट प्रति हेक्टेयर से ज्यादा है।

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अभी 13 जिलों के 325 गाँवों में कृषि यंत्र बैंक बनाने के लिए सरकार 80 प्रतिशत अनुदान देगी। एक जिला के 25 गाँवों के चयनित 10-10 किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं। रबी मौसम से ही यह योजना लागू हो रही है। इस योजना का एक महत्वपूर्ण फायदा यह भी कि कृषि यंत्र बैंक के माध्यम से लाभुक किसान अपनी खेती करने के साथ-साथ गाँव के अन्य किसानों को भी उचित किराये पर कृषि यंत्र दे सकेंगे, जो उनके लिए अतरिक्त आय का एक जरिया भी हो जायेगा।

कृषि बैंक योजना के अंतर्गत चयनित जिलों में अररिया, बेगूसराय, औरंगाबाद, जमुई, कटिहार, बांका, गया, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्णिया, शेखपुरा और सीतामढ़ी हैं। इन सभी जिलों के अधिकारियों को चयनित गाँवों के लाभुक किसानों की सूची अतिशीघ्र उपलब्ध कराने का सरकार ने निर्देश दिया है। पॉवरटिलर, रोटवेटर सहित 10 लाख तक के कृषि यंत्र स्थापित कर सकते हैं।

10 लाख तक के कस्टम हायरिंग के लिए कृषि यंत्र बैंक के आलावा 25 लाख एवं 40 लाख तक की लागत से कस्टम हायरिंग के लिए कृषि बैंक तथा 80 लाख रूपये की लागत वाले 2 हाईटेक हब की स्थापना भी की जानी है। इन कृषि यंत्र बैंक और हाईटेक के लिए सरकार द्वारा 40 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। वहीँ गाँवों में 10 लाख की लागत वाले कृषि यंत्र बैंकों के लिए 80 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। इस कृषि यंत्र योजना के लिए सरकार द्वारा 21 करोड़ 70 लाख रुपये की स्वीकृति दी गयी है।

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पिछले 4 वर्षों से सरकार ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से किसानों को कृषि यंत्र खरीद पर अनुदान दे रही है। यांत्रिकीकरण से राज्य में फसल उत्पादन में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। साथ ही साथ उत्पादन लागत में 20 प्रतिशत तक की कमी आई है। पिछले 10 वर्षों में ट्रैक्टर की बिक्री में 5.5 प्रतिशत वार्षिक की वृद्धि हुई है। बिहार में वर्तमान में ट्रैक्टर की बिक्री का बाजार 40 हजार प्रतिवर्ष है, जो कि पड़ोस के राज्यों पश्चिम बंगाल और झारखण्ड से ज्यादा है।

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बागरी और टैफे के संयुक्त प्रयास से विकसित मोबाइल आधारित एप “ बागरी जे फार्म सर्विस “ का शुभारम्भ हुआ है। इस एप की विशेषता है कि एक किसान दूसरे किसान को उनकी जरूरत का यंत्र उचित भाड़े पर उपलब्ध करा सकते हैं। यह एप बागरी को आच्छादित 11 जिलों जैसे- मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, बेगूसराय, दरभंगा, बक्सर, भोजपुर, सासाराम, नालंदा, गया एवं पटना में इस संस्थान से जुड़े 50 हजार किसानों के साथ पायलट के आधार पर शुरू किया जा रहा है। इस एप को प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप को बिहार के परिवेश में विकसित किया गया है, जिसकी विशेषता यह है कि इसमें कस्टम हायरिंग के साथ-साथ कृषि से सम्बंधित समसामयिक सूचनाएँ, मौसम की जानकारी, कॉल सेंटर से मदद भी उपलब्ध है।

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कृषि यंत्र बैंक योजना का लाभ जिन्हें मिलेगा, उनमें से जीविका सनूह, ग्राम संगठन, आत्मा से सम्बद्ध कृषक समूह, पैक्स, नाबार्ड या राष्ट्रीय बैंक से सम्बद्ध किसान क्लब, स्वयं सहायता समूह, व्यापार मंडल, कृषि यंत्र निर्माता आदि प्रमुख हैं।

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