लोकसभा के साथ हो सकता है डेहरी विधानसभा का उपचुनाव

0
196
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार उठी है। नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार की खस्ताहाली उजागर होने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी पुरानी मांग रिपीट कर दी है।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार उठी है। नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार की खस्ताहाली उजागर होने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी पुरानी मांग रिपीट कर दी है।

पटना।  झारखंड की राजधानी रांची की सीबीआई अदालत ने बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री और वर्तमान में डेहरी विधानसभा से विधायक मोहम्मद इलियास हुसैन को 4 वर्ष के सश्रम कारावास तथा दो लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके साथ ही डेहरी विधानसभा में उपचुनाव होने की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। अनुमान है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव भी हो जायेगा।

यह घोटाला तब का है, जब बिहार-झारखंड अविभाजित था। झारखंड के चतरा जिले से अलकतरा घोटाले का यह मामला जुड़ा है, जिसमें इलियास हुसैन को सजा हुई है। हालांकि इससे पहले बिहार के सुपौल जिले से संबंधित एक घोटाले में 20 मई 2017 को इन्हें बरी कर दिया गया था। रांची में गुरुवार को हुए फैसले से मोहम्मद इलियास हुसैन की सदस्यता खतरे में पड़ गयी है।

- Advertisement -

सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई 2013 में एक का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। उस फैसले के तहत संसद और विधानसभाओं को अपराधमुक्त करने के उद्देश्य से एक आदेश पारित किया गया था। न्यायमूर्ति एके पटनायक तथा जेएस मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि 2 वर्ष या उससे अधिक सजा यदि निचली अदालत से भी सुनाई जाती है तो उसी दिन से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। उसी दिन से यह प्रभावी भी हो जाएगा।

इससे पहले आपराधिक मामले में निचली अदालत से सजा मिलने के बावजूद उपरी अदालत में अपील करने के बाद मामला लम्बे समय तक लम्बित रहने का फायदा राजनीतिज्ञ उठाते थे। अब कानून के अनुसार सजा सुनाए जाने की तिथि से तीन माह के भीतर अपील पर यदि उच्च अदालत उस सजा के क्रियान्वयन को स्थगित कर देती है तो ऐसी स्थिति में सदस्यता बहाल रहेगी।

मोहम्मद इलियास हुसैन राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता हैं तथा लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी माने जाते हैं। हालांकि पिछले दिनों इनकी बेटी ने जब जनता दल की सदस्यता ग्रहण की तो परोक्ष रूप से राजद के प्रति इनकी वफादारी को लेकर आशंका भी जाहिर की गई। यदि महीने के अंदर निचली अदालत के फैसले के  क्रियान्वयन पर ऊपरी अदालत रोक नहीं लगाती है तो डेहरी विधानसभा में उपचुनाव होना निश्चित है। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव भी होने वाले हैं और यदि उच्च न्यायालय इनकी सजा पर रोक नहीं लगाई तो लोकसभा चुनाव के साथ या फिर उससे पहले डेहरी विधानसभा का उपचुनाव होना निश्चित है। दरअसल किसी भी लोकसभा या विधानसभा की सीट को खाली होने के छह महीने के भीतर चुनाव कराने का कानूनी प्रावधान है।

यह भी पढ़ेंः NDA किसी भी हाल में नहीं गंवायेगा बेगूसराय सीट, चल रही तैयारी

- Advertisement -