सच मानिये, DIG स्तर के ऑफिसर के पैसे निकलवाने में महा बाहुबली ने मदद की थी

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सच मानिये, DIG स्तर के ऑफिसर के पैसे निकलवाने में महा बाहुबली ने मदद की थी
सच मानिये, DIG स्तर के ऑफिसर के पैसे निकलवाने में महा बाहुबली ने मदद की थी

सुरेंद्र किशोर

पटना: बिहार के चार ‘महा बाहुबली’ इन दिनों जेलों में कैंद हैं। इनकी दबंगई से बाहुबली और बाहुबली से महा बाहुबली बनने की कहानियां समय-समय पर टीवी न्यूज चैनलों, यू-ट्यूब और अखबारों में भी छपती रही हैं। जाहिर हैं इनको आप भी जानते होंगे। उसमें कुछ जोड़ने-घटाने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है। कुल मिलाकर मेरा यही मानना है कि ये महा बाहुबली मुख्यतः क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की विफलता की देन हैं। शायद इसे आप भी स्वीकार करेंगे।

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इन्हें जातिवादी, संप्रदायवादी और वोट लोलुप नेताओं ने पाल-पोसकर तैयार किया है। अगर हम बिहार में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की बात करें तो आलम यह है कि यहां औसतन 90 प्रतिशत आरोपित अदालती सजाओं से साफ बच जाते हैं। जबकि, इसी देश के केरल में 23 प्रतिशत ही सजा से बच पाते हैं। और अगर पूरे देश की बात की जाये तो देश में औसतन 55 प्रतिशत बचते हैं।

आश्चर्य तब है जब बिहार में हत्या के तो  98 प्रतिशत आरोपितों को  सजा ही नहीं हो पाती। महा बाहुबली  कुछ सिस्टम पीडि़तों’ के काम आ जाते हैं। इसलिए इन्हें एक समूह के वोट भी मिल जाते हैं। सामान्य पीडि़तों की तो बात ही छोड़ दीजि़ए भाई।

मैं एक डीआईजी स्तर के अफसर को जानता हूं जिन्होंने एक ताकतवर व्यक्ति के यहां से अपने डूबे पैसे निकलवाने के लिए उपर्युक्त चार में से एक महा बाहुबली की मदद ली थी। सच मानिए, यह किसी फिल्म की कहानी नहीं है।

अब सवाल यह है कि आगे कोई ऐसे महा बाहुबली पैदा न हो, उसके लिए क्या उपाय किए जाएं ? मेरी राय में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को तत्काल कारगर बनाया जाना चाहिए। अगले कई चुनावों में अब कास्ट, कैश और क्रिमिनल मुख्य भूमिका नहीं रहने वाले हैं, क्योंकि अभी तो मोदी समर्थन बनाम मोदी  विरोध के नाम पर ही वोट पड़ेंगे।

इसीलिए इस देश के बिहार और बिहार जैसे माफियापीड़ित राज्यों के जो सत्ताधारी नेतागण अपने यहां क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को ठीक करेंगे, उन्हें उसका कोई चुनावी नुकसान भी नहीं होगा।

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