2 अक्तूबर से स्वाभिमान यात्रा निकालेंगे आजसू प्रमुख सुदेश महतो

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  • 2000 किलोमीटर की पदयात्रा, 2.5 लाख लोगों से संवाद
  • पहले चरण में यात्रा मांडू से शुरू होकर टुंडी तक जाएगी
  • 11 दिनों में 11 प्रखण्ड, 55 पंचायतों, 200 गांवों की पद यात्रा 

रांची। आजसू पार्टी के केंद्रीय अध़्यक्ष सुदेश कुमार महतो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर दो अक्टूबर से स्वराज स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत करेंगे। इस यात्रा के दौरान पूरे राज्य के तीन सौ ब्लॉक और नगर पंचायतों के पांच हजार गांवों से गुजरते हुए दो हजार किलोमीटर की पदयात्रा और ढाई लाख लोगों से सीधा संवाद करेंगे।

पहले चरण में दो अक्तूबर को मांडू के हेसालौंग में झारखंड आंदोलनकारी जयंत गांगुली की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर वह यात्रा की शुरुआत करेंगे। मांडू से निकलने वाली यात्रा गोमिया, बेरमो, डुमरी, सिंदरी होते हुए 11 अक्तूबर को टुंडी पहुंचेंगी। 11 दिनों के पहले चरण में 11 प्रखण्ड, 55 पंचायत, 200 गांव होते हुए 150 किमी की पद यात्रा की जाएगी। पहले चरण मे ही एक लाख लोगों से सीधा संवाद होगा। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पंचायत से केंद्रीय स्तर पर पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं की जिम्मेवारी तय की गई है।

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इस यात्रा के जरिए लोगों से विमर्श कर केंद्रीय अध्यक्ष यह जानने समझने की कोशिश करेंगे कि महात्मा गांधी ने स्वराज की जो अवधारणा तय की थी उसके मायने कितना साकार हो रहे हैं। साथ ही केंद्रीय अध्यक्ष आम अवाम की परेशानी से अवगत होने के साथ सामजिक राजनीतिक रिश्ता मजबूत बनाने के लिए लोगों से सीधा संवाद करेंगे।

श्री महतो का मानना है कि गांधी ने स्वराज की अवधारणा में यह देखा था कि लोकतंत्र की बुनियाद नीचे से मजबूत होते हुए ऊपर तक जाए और शक्ति का केंद्र बिंदु आम आदमी तथा उसका समूह हो, जो आपसी संबंधों में जुड़ा रहे।  तब शीर्ष पर जो परोक्ष व्यवस्थाएं होंगी,  उनका नियंत्रण नीचे से होगा। गांधी जी की परिकल्पना थी तरक्की की कसौटी समाज का वह अंतिम आदमी होगा, जो तमाम सुविधाओं से वंचित है। इस कसौटी में झारखंड कहां खड़ा है, इसका जवाब इस यात्रा में तलाशा जाएगा।

स्वराज स्वाभिमान यात्रा के दौरान पार्टी के अध्यक्ष पंचायत, छात्र, मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों, ग्राम प्रधान, महिला समूहों के साथ समाज के उन बुद्धिजीवियों के साथ श्री महतो रायशुमारी करेंगे, जो स्थानीय लोगों के बीच नेतृत्व करते हैं और राय बनाते हैं। साथ ही ग्रामसभा, पारंपरिक व्यवस्था के मायने क्या हैं और झारखंड में इसे शासन प्रशासन कितना प्रभावी समझता है और बनाया है इस मामले में भी आम लोगों के साथ चर्चा की जाएगी।

श्री महतो ने कहा है कि इस यात्रा के सत्ता विकेंद्रीकरण के पैमाने पर झारखंड कहां खड़ा है इस विषय पर भी जनमत तैयार किया जाएगा। भौगौलिक प्रशासनिक, भाषाई और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अलग राज्य बनने के 18 साल बाद झारखंड में ग्राम सभा की ताकत और पारंपरिक व्यवस्था किस भूमिका में है इस पहलू पर भी लोगों से सीधी बातें होगी।  स्वराज यात्रा के दौरान श्री महतो झारखण्ड आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी एवं समाज के वैसे प्रबुद्ध व्यक्ति के यहां रात्री विश्राम करेंगे जिन्होंने जनमानस के अनुरूप झारखंड के निर्माण और सशक्त बनाने में अपना योगदान किया है।

इससे पहले शाम में गांवों के अखड़ा या चैपाल में स्थानीय कलाकारों का सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। इसमें गांव-गिराव के लोग शामिल होंगे तथा झारखंड की मूल विरासत तथा पंरपरा की अहमियत को सामने लाने की कोशिशें की जाएगी।

इस यात्रा के जरिए उन झारखंडी विषयों का मूल्यांकन होगा जिन्हें इस राज्य में मौके और वक्त के हिसाब से मोड़े जाते हैं, छोड़े जाते हैं या फिर थोपे जाते हैं। इसी यात्रा में आजसू पार्टी पूरी ईमानदारी और हिम्मत से लोगों को बताएगी कि राजनीति का मकसद सिर्फ चुनाव जीतना नहीं हो सकता। जबकि मौजूदा राजनीति में यह होड़ हावी होती जा रही है। केंद्रीय अध्यक्ष की इस मुहिम में उन सवालों का जवाब भी तलाशा जाना है कि किन परिस्थितियों में शासन, प्रशासन और सियासत झारखंडी विचारधारा से दूरियां बनाता रहा और हमारे पैरों के नीचे से जमीन खिसकती रही।

श्री महतो ने कहा है कि झारखंड जिस दौर से गुजर रहा है उसमें यहां के किसान, मजदूर और छात्र की आवाज की अहमयित क्या है उनके विचार क्या है इसे जानने समझने की दरकार है। इस वर्ग के पास भी सोच है। उनमें भी बदलाव की इच्छा है। उन्हें स्थानीय मुद्दे पता हैं। इस यात्रा में वे अपने विचार साझा करे इसका वातावरण बनाया जाएगा।

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