स्कूल फीस के मामले पर अजय और आलोक आमने-सामने, अजय ने सीएम को लिखा पत्र

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स्कूल फीस के मामले पर अजय और आलोक आमने सामने
  • कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दूबे के बयान पर घमासान…
  • कहा- फीस नहीं लेने पर 20 हजार निजी स्कूलों के समक्ष संकट
  • अजय राय का पलटवार- राज्य के शिक्षा मंत्री के आदेशों का हो रहा उल्लंघन
  • मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

रांची। फेडरेशन ऑफ पैरेंट्स एसोसिएशन, इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव अजय राय ने कहा है कि झारखंड में निजी स्कूलों के संचालक अभिभावकों का शोषण करने पर आमादा हैं। लॉकडाउन की अवधि का स्कूल फीस व अन्य मद में राशि जमा करने का लगातार अभिभावकों पर दबाव बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि ऐसे वैश्विक संकट के समय, जब पूरी दुनिया कोविड-19 वायरस के प्रकोप से परेशान है। वहीं, झारखंड के सत्ता पक्ष और विपक्ष के कुछ नेतागण अभिभावकों के जख्म पर मरहम लगाने के बजाय स्कूल प्रबंधन के समर्थन में उतर आए हैं।

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अजय राय ने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधन राज्य के शिक्षा मंत्री के आदेशों का खुलकर उल्लंघन कर रहे हैं। लगातार अभिभावकों के ऊपर दवाब बनाकर स्कूल फीस जमा करने संबंधी नोटिस दे रहे हैं। बच्चों के नाम काट दिए जाने की अभिभावकों को धमकी भी दी जा रही है।

राय ने कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है कि सभी स्कूलों का पिछले पांच वर्षों का बैलेंस शीट की जांच  सीएजी से करवायें, ताकि स्कूलों की सही आर्थिक स्थिति का अवलोकन हो सके।

जिन स्कूलों की आर्थिक स्थिति सही हो, वहां लॉकडाउन अवधि की सभी तरह का फीस माफ हो। जिन स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब हो, उन्हें उनकी मिनिमम आवश्यकताओं को आर्थिक सहायता मुहैया कर पूरी कराई जाय।

इस संदर्भ में आगे उन्होंने कहा कि स्कूलों में नौकरी कर रहे शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी हम सबो के भाई-बहन हैं उनको उनकी सैलरी सही समय पर नहीं मिलेगी, तो वो अपना घर-परिवार कैसे चलाएंगे। यह हम सबो की भी जवाबदेही है। मगर यह भी देखना उचित होगा कि वर्तमान  समय मे देश के लगभग सभी राज्यों में उद्योग धंधे, व्यापार, ट्रांसपोर्ट, एग्रीकल्चर, गार्मेंट्स उद्योग लगभग सभी पर ताले लगे हुए हैं। उसमें काम करने वाले कर्मचारी, पदाधिकारी, घरों में सिमटे पड़े हैं।

आज सबसे ज्यादा अगर किसी को परेशानी है तो वह मध्यम दर्जे और गरीब परिवारों के ऊपर है। जिनको घर चलाना भी काफी मुश्किल हो गया है।

ऐसे समय में राज्य के सत्ताधारी व विपक्षी दलों के नेताओ को सभी के हालातों का आकलन करना होगा, ताकि सबको इस महामारी के समय में हो रही परेशानियों से मुक्ति मिल सके।

क्या कहा था आलोक दूबे ने ?

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक दूबे ने एक बयान जारी कर कहा था कि लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूल प्रबंधन पर शुल्क नहीं लेने का दबाव बनाने या इस तरह का कोई आदेश जारी करने से राज्य में संचालित करीब 20 हजार निजी स्कूलों के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है।

आलोक दूबे ने कहा था कि निजी स्कूलों पर ट्यूशन शुल्क माफ करने का दबाव बनाना उचित नहीं है, लेकिन निजी स्कूलों को डेवलपमेंट शुल्क, कंप्यूटर शुल्क और लाइब्रेरी शुल्क को माफ करना चाहिए। परंतु यह सर्वथा अनुचित होगा कि निजी स्कूल प्रबंधन पर पूरी तरह से ट्यूशन शुल्क माफ करने का दबाव बनाया जाए। ऐसा होने पर इन स्कूलों में कार्यरत करीब तीन लाख शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया था कि निजी स्कूल प्रबंधन को अपने शिक्षक और अन्य कर्मचारियों के बीच वेतन भुगतान के अलावा प्रत्येक महीने आधारभूत संरचना तथा 1 दिन के लिए भी एक बड़ी राशि खर्च करनी होती है ।इसके अलावा स्कूल बंद रहे या खुले रहे इससे स्कूल प्रबंधन को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है इस दौरान भी सभी निजी स्कूलों प्रबंधन द्वारा अपने कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतन का भुगतान किया जाता है।

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