झारखंड की जेलों में बंद 60 साल पूरा कर चुके 129 कैदी रिहा होंगे

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  • 65 कैदी अनुसूचित जनजाति के
  • 13 कैदी 60 वर्ष से अधिक उम्र के
  • 02 महिला कैदी रिहा होने वालों में शामिल

रांची। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों के अनुरूप आचरण और शुचिता से नए भारत का निर्माण होगा। मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने झारखंड मंत्रालय में राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में आज यह बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवता के नाते जेलों में बंद वैसे कैदी, जिनका आचरण अच्छा है या उम्र ज्यादा हो गयी है, उन्हें छोड़ा जाये। ऐसे 129 कैदियों की पहचान की गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जेल में शुचितापूर्ण जीवन जी रहे कैदियों को छोड़ने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि जिन कैदियों को छोड़ने पर फैसला हो गया है, उन्हें अच्छा और नया जीवन  शुरू करने के लिए प्रेरित करें। उन्हें सुधरने का एक मौका दें।

मुख्यमंत्री ने राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में कहा कि कई बार आवेश में आकर कोई किसी घटना को अंजाम दे देता है। यदि जेल में सजा के दौरान उसे अपने अपराध का बोध है तथा उसका आचरण-व्यवहार अच्छा हो गया है तो सजा का मूल उद्देश्य भी पूरा हो जाता है। ऐसे आचरण वाले 14 साल से ज्यादा समय तक जेलों में बंद कैदियों को प्राथमिकता दें। महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष पर ऐसे कैदियों को छोड़ने की जरूरत है। आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जंयती के दिन इसका फैसला किया गया है। पंडित दीनदयाल भी एकात्म मानववाद के समर्थक थे। उन्होंने अंत्योदय का मंत्र दिया।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी जेलों में बंद ज्यादातर लोग गरीब व अशिक्षित हैं, जिन्हें बेल लेने या मुकदमा लड़ने का पूरा ज्ञान नहीं है। झारखंड में आदिवासी, अनुसूचित जाति समाज के लोग अशिक्षा के कारण सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में ही बंद हैं। कई तो ऐसे छोटे-छोटे जुर्म में बंद हैं, जिनकी सजा भी नहीं होती है। सजा होती भी है, तो उसकी कुल अवधि से ज्यादा समय से जेल में वे बंद हैं। वैसे कैदियों की एक सूची बनाकर एक माह में सौंपने का मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया। सरकार अपना वकील देकर उन्हें रिहा करायेगी।

आज की बैठक में कुल 137 मामले आये। इनमें पांच को निरस्त व तीन को स्थगित रखा गया। 129 कैदियों, जिनमें से 65 कैदी अनुसूचित जनजाति के, 13 कैदी 60 वर्ष से अधिक उम्र के और दो महिला कैदियों को रिहा करने पर मंजूरी दी गई। इस वित्तीय वर्ष में यह राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की दूसरी बैठक थी। अप्रैल में हुई पहली बैठक में 221 कैदियों को रिहा करने की मंजूरी दी गई थी।

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मुख्यमंत्री ने राज्य की जेलों में नियमित रूप से छापामारी करने और वहां सूचना तंत्र मजबूत करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि संगठित अपराध और अपराधियों पर विशेष नजर रखें। किसी बड़ी वारदात की सबसे पहले सूचना जेल में बंद बड़े अपराधियों तक आती है। उन पर नजर रखने से मामलों के उद्भेदन में तेजी आयेगी।

बैठक में गृह विभाग के प्रधान सचिव श्री एसकेजी रहाटे, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल, डीजीपी श्री डीके पांडेय, कारा महानिरीक्षक श्री वीरेंद्र भूषण, सहायक कारा महानिरीक्षक  श्री दीपक कुमार विद्यार्थी समेत पर्षद के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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