संसद में 9 और बिहार में 14 प्रतिशत महिलाएं

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पटना। आज वर्ल्ड विज़न द्वारा होटल क्लार्क्स इन में आयोजित “परिवार और समुदाय में पुरुषों की देखभाल की भूमिका पर राज्य स्तर पर परामर्श“ के एक सत्र की अध्यक्षताकरते हुए जेंडर रिसोर्से सेंटर के प्रधान सलाहकार आनन्द माधव ने कहा कि इसके लिये यह आवश्यक है कि हर स्तर पर महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित की जाये।हम महिलाओं के लिये निर्णय लेते हैं, लेकिन अगर महिलाएं उस निर्णय लेने की प्रक्रिया में में शामिल नहीं हैं तो इसका कोई मायने नहीं है।

विदित हो कि 389 सदस्यीय  संविधान सभा में मात्र 15 महिलाएं ही थीं। यानि 3.88%।आज भी इस स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है।हमारे संसद में मात्र 9 प्रतिशत महिलाओं की उपस्थिति है तो हमारे राज्य में 14 प्रतिशत। न्यायपालिका में राष्ट्रीय स्तर पर अगर यह 11 प्रतिशत है तो बिहार में मात्र 6 प्रतिशत। हलांकि पंचायती राज्य व्यवस्था मे 50 % आरक्षण रहने से बिहार मे महिला पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या 52 % है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह मात्र 46% है। 42.5% की दर से बाल विवाह में बिहार तो अव्वल है ही।

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उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि परिवर्तन नही हुआ है या प्रयास नहीं हुआ है।सरकार की कई लाभकारी योजनाएं महिलाओं और बालिकाओं के लिये है।इनमें प्रमुख हैं सायकिल योजना, मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना, मुख्यमंत्री पोशाक योजना, मुख्यमंत्री अक्षर अंचल योजना। आज बिहार में 75% महिलाएं घरेलू निर्णय में सहभागी हैं। जीविका के माध्यम से भी महिलाओं के सशक्तीकरण का कार्य तेज़ी से चल रहा है।पर, इसमें समाज के हर वर्ग के सहयोग की आवश्यकता है।

उद्घाटन सत्र में महिला आयोग की अधयक्ष दिलमनी मिश्रा ने कहा कि आयोग अपने स्तर से महिला सशक्तीकरण के कार्य में लगा हुआ है और काउंसिलिंग के माध्यम से सुधार लाने का प्रयास करता है। सुधा वर्गीस ने कहा कि हमारी मानसिकता ही पुरूष को प्राथमिकता प्रदान करने की है। इसे बदलना आवश्यक होगा। इसके पहले वर्ल्ड विज़न के सत्यप्रकाश प्रमाणिक ने अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम को  महिला विकास निगम के प्रभारी प्रोजेक्ट डाइरेकटर रूपेश सिन्हा, यूनीसेफ़ की मोना सिन्हा, औकसफेम की सुष्मिता गोस्वामी, जीविका की अर्चना, वर्ल्ड विज़न की करेन पीटरसन, एलविन, C3 के गुंजन और बिहार विपदा प्रबंधन की मधुबाला ने भी संबोधित किया।

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