सौवीं जयंतीः अन्याय के खिलाफ बुलंद आवाज का नाम है मंडेला

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बंद मुट्ठी किए जो शख्स तस्वीर में नजर आ रहा है उसकी मुट्ठी की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसने दक्षिण अफ्रीका से अल्पसंख्यक व साम्राज्यवादी मानसिकता वाले श्वेतों के शासन का अंत कर दिया था। अफ्रीका के गांधी के नाम से जाने जानेवाले नेल्सन मंडेला की आज सौवीं जयंती है। उनका जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के वेज़ो शहर में हुआ था। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभाकर मंडेला दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गए थे। उन्होंने अफ्रीकी महाद्वीप के देशों के अलावा दुनिया के दूसरे हिस्सों के लोगों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था।

1941 में 23 साल की उम्र में जब उनकी शादी की जा रही थी, तब मंडेला सब कुछ छोड़ कर जोहानिसबर्ग भाग गए। दो साल बाद वह अफ्रीकानेर विटवाटरस्रांड विश्वविद्यालय में वकालत की पढ़ाई शुरू की। जहां उनकी मुलाकात सभी नस्लों और पृष्टभूमि के लोगों से हुई. इस दौरान वे उदारवादी व अन्य विचारधाराओं के संपर्क में आए, साथ ही उन्होंने नस्लभेद और भेदभाव को महसूस किया। 1956 में 155 अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मंडेला पर देशद्रोह का मामला चला, लेकिन चार साल बाद सभी आरोप हटा लिए गए. 1958 में मंडेला ने विनी मादीकीजेला से शादी की, जिन्होंने बाद में अपने पति को कैद से रिहा कराने के लिए चलाए गए अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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मंडेला महात्मा गांधी के वकालत के दिनों में दक्षिण अफ्रीका के उनके आंदोलनों से प्रेरित थे। मंडेला ने भी हिंसा पर आधारित रंगभेदी शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से संघर्ष किया। मंडेला को 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

27 साल जेल में काटेः मंडेला ने जिंदगी के 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटे थे। इसके बाद आंदोलन के आगे झुककर सरकार ने इन्हें रिहा किया तो वे पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। इससे दक्षिण अफ्रीका पर अब तक चले आ रहे अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उद्भव हुआ।
मंडेला फेफड़ों के संक्रमण से ग्रस्त थे और लंबी बीमारी के बाद 5 दिसंबर 2013 में उनका निधन हो गया था। मंडेला को शांति का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था।

  • नवीन शर्मा
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