मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा के लिए टास्क फोर्स गठित

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मातृभाषा में प्रायोगिक आधार पर तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर सरकार विचार कर रही है। सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया था।
मातृभाषा में प्रायोगिक आधार पर तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर सरकार विचार कर रही है। सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया था।

पटना। मातृभाषा में प्रायोगिक आधार पर तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर सरकार विचार कर रही है। सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया था। मोदी के प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री श्री पोखरियाल ने कहा कि भारत सरकार शैक्षिक सत्र 2021-22 से तकनीकी संस्थानों में मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रणाली लागू करने पर विचार कर रही है। मात-भाषा में तकनीकी शिक्षा का उद्देश्य उन छात्रों की प्रतिभा का पोषण करना है, जिन्होंने अपनी शिक्षा स्थानीय भाषा में ग्रहण की है। इसके कार्यान्वयन के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें आईआईटी और एनआईटी को प्रतिनिधि को तौर पर शामिल किया गया है।

समय पर बिहार ने कागज नहीं सौंपे, इसलिए 7वां वेतनमान में देरी

सांसद सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि बिहार सरकार ने सूचित किया है कि उसने राज्य विश्वविद्यालयों व कालेजों के शिक्षकों और समकक्ष संवर्गों के लिए वेतन संशोधन (7वां सीपीसी) की योजना कार्यान्वित की है और 01.01.2016 से 31.03.2019 की अवधि के लिए योजना के कार्यान्वयन पर कुल अतिरिक्त व्यय 767 करोड़ हुए हैं।

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उन्होंने अपने उत्तर में कहा कि 7 वां वेतन संशोधन योजना को कुछ शर्तों के तहत कार्यान्वित करने तथा योजना की समापन तिथि यानी 31 मार्च 2020 तक आवश्यक दस्तावेजों के साथ पूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाली राज्य सरकारों को वेतन संशोधन के कार्यान्वन पर हुए अतिरिक्त व्यय के 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की गई। लेकिन योजना की अंतिम तिथि 31.03.2020 तक या उससे पहले आवश्यक दस्तावेजों के साथ पूरा प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण बिहार को केंद्रीय हिस्सा नहीं जारी किया जा सका।

कांग्रेस, आरजेडी को किसानों के बीच छिपे आतंकी नहीं दिखते

इधर सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कांग्रेस और आरजेडी की खिंचाई की है। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस पर भारत की गरिमा को ठेस पहुँचाने के लिए निकाली गई ट्रैक्टर रैली में जिस व्यक्ति की मृत्यु ट्रैक्टर पलटने से हुई, उसकी मातमपुर्सी में जाकर प्रियंका गांधी ने किसानों के बहाने हिंसा फैलाने वाली ताकतों का दुस्साहस बढ़ाया। कांग्रेस अब तक यह झूठ बोल रही है कि उस आंदोलकारी को पुलिस की गोली लगी थी, जबकि इस खबर के चलते एक टीवी न्यूज चैनल अपने वरिष्ठ ऐंकर-संपादक को दंडित कर चुका है।

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण था कि गुमराह किसानों ने टैक्टर जैसे कृषि वाहन का इस्तेमाल पुलिसकर्मियों को कुचलने और तोड़फोड़ की नीयत से किया, लेकिन कांग्रेस ने इस घटना की निंदा तक नहीं की। प्रियंका गांधी उन 400 घायल पुलिसकर्मियों में से किसी का हाल पूछने क्यों नहीं गईं, जिन्होंने तिरंगे के सम्मान की रक्षा करते हुए हमले सहे, पर एक भी गोली नहीं चलायी? कांग्रेस, आरजेडी और वामपंथियों को किसानों के बीच छिपे खालिस्तानी, आतंकवादी नहीं, केवल वोट दिखायी देते हैं।

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मोदी ने कहा कि चौरी चौरा कांड हमें गांधी जी की इस निष्ठा की याद दिलाता है कि अच्छे उद्देश्य के लिए भी बदले की भावना से की गई हिंसा जायज नहीं। 99 साल पहले इसी दिन उन्होंने चौरी चौरा फूँकने और 23 अंग्रेजों को जिंदा जलाने की घटना के बाद असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया था। आज जो लोग गांधी के आदर्श नहीं, केवल उनके सरनेम का राजनीतिक इस्तेमाल करते हैं, उन्होंने गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बाद भी किसान आंदोलन स्थगित करने की अपील नहीं की। कांग्रेस से गांधीवाद की आत्मा निकल चुकी है।

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