मलिकाइन के पाती- जस करनी, तस भोग ही पावा….

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मलिकाइन के पाती
मलिकाइन के पाती

मलिकाइन के पाती अबकी फेर एगो कहाउते से शुरू भइल बा। ऊ शुरुआत कइले बाड़ी- जस करनी तस भोग ही पावा, नरक जात में क्या पछतावा। ई जब ऊ कहाउत से आपन पाती शुरू करेली त ओकर माने-मतलब समझे में पहिलकी लाइन से अखिरिया ले पढ़े के परेला। तब जाके बात माथ में घुसे ला। सांझ कहीं त ऊ आपन पाती लाल बुझक्कड़ के भा, में लिखवावे ली। लीं, रउवे सभे पढ़ीः

पांव लागीं मलिकार। कई दिन हो गइल रउवा के पाती पठवले। हम जानत बानी रउवा रिसियाइल होखेब। बाकिर तनिको जनि खिसियायेब। हमरो हाल तनी बूझल करीं। रउरा त जानते बानी ठंडा के बारे में कहल जाला कि आवत भा जात में ई आदमी के पचेटे ला। हमहूं एकरा चपेत में आ गइल रहनी हां। हफ्ता भर त मुंह से बकार ना फूटत रहल हा। पांड़े बाबा बतवनी कि सुसुम पानी पीयल कर आ रात में सूते के बेरा सरसों के तेल माथा-देह में लगा के सूत। सबेरे गोलमरिच आ तुसी के पतई चबाइल कर। बूझ जाईं मलिकार कि जहिया से ई शुरू कइनीं, राम बाण अइसन फायदा कइलस। अब जाके कंठ साफ भइल बा।

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एगो बात रउरा से कहे के रहल हा मलिकार। काल्ह पांड़े बाबा एगो कवनो खबर पढ़ के लोग के सुनावत रहुवीं। ओइमें लिखल रहुवे कि पकिस्तान में आटा सत्तर रुपिया किलो बिकाता आ होचल में एगो रोटी के दाम अबहीं ले दस रुपिया रहल हा आ अब एकरा के पंद्रह रुपिया करे के मांग ओइजा हो रहल हा। अइसन का भइल बा मलिकार ओइजा, जवना से एतना महंगाई हो गइल बा। हमनी इहां त ढेर महंगा आटा बा त ओकर दाम तीस-बत्तीस रुपिया किलो से बेसी नइखे। अबहियो लोग बतावे ला कि कलकत्ता में दू से चार रुपिया में रोटी मिल जाला।

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पकिस्तान में त हमनी से कमे लोग बा नू मलिकार। फेर ओइजा एतना महंगाई काहें बढ़ गइल बा। पांड़े बाबा त कहत रहुवीं कि ओइजा खेती-बारी से बेसी धेयान लोग के गोली-बारूद में बा। ओइजा खाली मार-काट होत रहेला। अपना देस के तबाह करे खातिर पकिस्तान के लोग हरवा-हथियार के जोगाड़ में लागल रहेला। दोसरा देस से पकिस्तान के एह खातिर पइसा मिलेला कि ऊ एह बदमासन के काबू में राखी। ओही से पकिस्तान के खरचा-खेवा चलेला। अब सुने में आवता कि दोसरा देस से पकिस्तान के पइसा मिलल बंद भा कम हो गइल बा। एही से ओइजा तबाही मचल बा।

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अब हमरा बुझाता मलिकार कि माई के नानी के बड़की बहिन काहें ई कहाउत बात-बात में कहस- जस करनी तस भोग ही पावा, नरक जात में क्या पछतावा। ऊ अपना गोतिया के बारे में ई कहाउत कहस। ऊ पहिले अपना भाई से बेईमानी क के सगरी उनकर हिस्सा-बखरा हथिया लिहले। जब मरे के टाइम आइल त गोतिया के दुआरी जा के रोजे रोटी खातिर रिरिआइल करस। उनकर बाल-बच्चा सगरी संपत हथिया के उनका के बहरिया दिहले रहले सन।

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काली माई के किरपा आ बरम बाबा के अशीरवाद से बाल-बच्चा सब ठीके बाड़े सन। के धान पिटा-ऱका गइल। बांस के चचंचरा बनवा के पुअरा-पेटारी के गांज लगवा दिहले बानी। ओकरा नीचे बकरी बान्ही ले। तीन गो बच्चा दिहले बिया। अबकी ओकनी के बेच के एगो दोगली गाय कीने के विचार बा मलिकार। गाय के सेवा में कवनो शिकाइत नइखे, बाकिर बकरी-छेर पोसल ठीक नइखे लागत। बाकी अगिला पाती में।

राउरे, मलिकाइन  

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