मलिकाइन के पाती- जवन होला, तवन नीमने होला….

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किरिया पर जाई, माई-बाप मर जाई...। मलिकाइन के पाती ढेर दिन पर आइल बा। पाती के शुरुआत अबकी एही लाइन से मलिकाइन कइले बाड़ी।
किरिया पर जाई, माई-बाप मर जाई...। मलिकाइन के पाती ढेर दिन पर आइल बा। पाती के शुरुआत अबकी एही लाइन से मलिकाइन कइले बाड़ी।

मलिकाइन के पाती आइल बा। मलिकाइन लिखले बाड़ी- जवन होला, तवन नीमने होला मलिकार। ऊ कोरोना बेमारी के बारे में लिखले बाड़ी। उनका समझ से कोरोना कई गो सीख दे रहल बा। लोग एकरा के जीवन में उतार ली, त सुखी रही। भगवान जी एह बेमारी के एही से भेजले बाड़े कि लोग सुधर जाव। मलिकाइन के पाती में हरदम गेयाने के बात रहेला। पढ़ीं मलिकाइन के पातीः

पांव लागीं मलिकार। काली माई के किरपा आ बरम बाबा के आशीर्वाद से इहवां सब ठीक बा। खाली कोरोनवा के हल्ला बेसी बा। पांड़े बाबा बतावत रहुवीं कि एह बेमारी से बिहार में छह सौ से बेसी लोग बेमार हो गइल बा। रोज-रोज ई बेमारी बढ़ले जाता। अबहीं ले छह आदमी के जान चल गइल। उहां के इहो बतावत रहुवीं कि देश भर में कोरना से बेमार लोग बढ़ले जाता। चालीस दिन में डेढ़ हजार से अधिका आदमी अबहीं ले मर गइले।

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ई सुन के चिंता-फिकिर बढ़ जाता मलिकार। का कहीं, आज दुपहरिया में माथा चकराये लागल हा। तलमला के दोगहवे में गिर गउवीं। बड़का धउरल पांड़े बाबा के बता अउवे। उहां के घरे कवनो एगो मशीन बा। ओकरा के बंहिया में बान्ह के का दूनी देखवीं आ कहवीं कि परेसर बढ़ल बा। एह बेरा त कवनो डाकदरो ना मिलिहें सन। बंदी में सगरी डागदर के दोकान बंद क दिहल बा। खाली सरकारी अस्पताल खुलल बा। बाकिर जाये के कवनो उपाय नइखे। उहां के कहवीं कि ढेर चिंता-फिकिर कइला से ई भइल बा। जा के सुत जो। तनी नीन आ जाई त ठीक हो जाई। संझिया फेर उहें के नपनी हां त कहत रहनी हां कि एह बेरा ठीक बा। समझा के गइनी हां कि ढेर रात ले जाग मत आ ढेर चिंता-फिकिर जनि कर।

सांच कहीं मलिकार त रात में नीन नइखे आवत। रोज भोरे-भोरे पांड़े बाबा के दुआर पर एके गो बतकही- हेतना लोग के कोरना हो गइल। आज कोरना के एतना मरीज बढ़ गइले। एतना लोग के जान चल गइल। टरेन अब चले लागल बाड़ी सन। केतने लोग पैदल आ साइकिल चला के परदेस से घरे आ गइल। केतने जने के राहे में जान चल गइल। अइसने पैदल चले वाला सोरह जाना रेल के पटरी पर सुतल रहले, टरेन से कटा गइले। ई कुल रोज-रोज सुन के केकर मन ना घबराई मलिकार। रउरे नू कही ले कि औरतन के मन बड़ा कमजोर होला। चिरई अइसन करेजा होला। तब काहे ना मन घबराई मलिकार।

ई कोरना सगरी काम जहुआ दिहले बा मलिकार। जेतना शादी-बियाह रोपाइल रहल हा, सब कंसिल हो हो गइल बा। फत्तेपुर वाली फुआ के बड़की बेटी के बियाह रोपाइल रहल हा एही महीनवा में। सगरी साटा-बैना हो गइल रहल हा। फेरे के पर गइल हा। सुने में एगो इहो बात आइल हा कि पांड़े बाबा के परसौनी वाली बड़की बहिन के बियाह में पांचे आदमी गइल रहले। सरकार से एकरा खातिर हुकुम लेबे के परल। पांड़े बाबा के केहू पहचानी नेता जी बानी, उहें का पास बनवा दिहनी। सब केहू चोर-डाकू अइसन मुंह बन्हले तीन गो गाड़ी से आइल आ बियाह के बाद दुलहा-दुलहिन मुंह पर जाबी बन्हले विदा भइल। बड़को भइया अपना बेटी के बियाह रोपले रहले हां। ऊ त सगरी बैना-बट्टा फेर दिहले। बेटहा कहले बाड़े कि अब कातिक भा माघ में कवनो लगन देख के कइल जाई।

ए मलिकार, हम जेतना खबरिया पांड़े बाबा से सुनी ले, ओकरा पर खूब सोची ले। दस दिन पहिले उहां के बतवले रहनी कि अपना देस में सवा सौ करोड़ लोग बा। जब कोरना बेमारी ना आइल रहल हा, तब हजार में सात आदमी रोज मुअत रहले हां। कें गतिया जोर के उहां के हिसाब समझवनी कि रोज देस में नौ लाख लोग मरेला। अब ई बताईं मलिकार कि चालीस दिन में सोलह सौ लोग कोरना बेमारी से मुअल बा। एकर हिसाब बड़का से जोरवा के देखुवीं त रोज चालीस आदमी एह बेमारी से मुअल बाड़े। हमरा त बुझाते नइखे मलिकार कि एह कोरना बेमारी के ले के जेतना हुंड़रहो मचल बा, ओतना डेरइला के दरकार बा। अइसहीं जब रोज नौ लाख लोग मुअत रहल हा त ओइमें चालीस आदमी के कवनो गिनती बा। रउरे बताईं मलिकार कि गोजर के एगो गोड़े टूट जाई त का ओकरा चले में कवनो परेशानी होई।

एगो अउरी बात माथ में आइल बा मलिकार। एक माने में ई ठीके भइल बा। कोरना के ले जवन डर-भय लोग में भइल बा, ओकर फायदा साफ लउकत बा। एगो त अपना दुआर मुंहे जवन सड़क गइल बा, ओई पर भर दिन पों-पां, हुर्र-हुर्र होत रहल हा। ऊ एह घरी बंद बा। बियाह में पांच आदमी गइले-अइले त देखावटी खर्चा बांचल नू। बियाह दू आदमी के होला आ देखावे में नचनिया-बजनिया, गाड़ी-घोड़ा और हजार-पांच सौ भीड़ बेमतलब के जुटेला। दूनों ओर के खरचा बंचवलस नू ई कोरोनवा। सुने में आवत बा कि हवा साफ हो गइल, पानी साफ हो गइल, चाह-पकौड़ी, बीड़ी-सिगरेट के रोज के खरच बांच गइल, साफ-सफाई अइसन कि केहू घर से ना बाहर कहीं जाता आ ना साबुन-सरफ के दरकार परत बा। घर में जवन बा, ओही में काम चलावे के सभे सोचत बा।

हमरा त बुझाता मलिकार कि भगवान एह बेमारी के भेज के लोग के समझावे के कोशिश कइले बाड़े कि अइसहीं रहे के आदत डाल ल लोगिन। केहू अपने से दाढ़ी बनावत बा त केहू अपना लड़िका के केस काट लेता। पांड़े बाबा कीहां जवन काम करे वाली आवत रहल हीया, ऊ चार घर में काम करे ले। जब से ई कोरना के हवा उठल बा, उहो नइखे आवत। कामवा त होते बा। सबका के आपन काम अपने करे के के सीख दे गइल ई बेमारी।

डेढ़ महीना ले दारू के दोकान बंद रहली हा सन। सगरी पियक्कड़ लोग के रहन सुधर गइल रहल हा। बाकिर जब दारू दोकान खुलल हा त लोग टूट परल। पांड़े बाबा बतावत रहुवीं कि एके दिन में हजार करोड़ रुपिया के लोग दारू कीनल। बताईं मलिकार, एकर माने इहे भइल नू कि लोग दारू पर फालतू एतना रुपिया खरच करेला। ओकरा बादो मुंह लुका के रहे के परेला। कोरना के बंदी में त एतना खरचा बांचिए गइल नू। हमरा त इहे बुझाता मलिकार कि जवन होला, तवन नीमन होला। लोग के भले बुझाला कि खराब होता, बाकिर ओहू में कवनो नीमन बात जरूर रहेला।

राउरे, मलिकाइन

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