मलिकाइन के पातीः ना रही बांस, ना बाजी बंसुरी

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पावं लागीं मलिकार!

काली माई के किरपा से सब केहू इहवां ठीक बा, बरम बाबा से निहोरा बा जे रउरो ठीक रहीं। ए मलिकार, ई त गजबे हो गइ। ठीके लोगवा कहेला कि नीतीश कुमार बकर बकर ना करस, बाकिर काम एतना गते से करे ले कि लोग भकुआइले रह जाला। हमरा इयाद बा मलिकार कि जवना घरी छपरा के जरी कवनो गांव के स्कूल में माहुर मिलल खिचड़ी खइला से कई गो बचवन के जब जान चल गइल रहे त नीतीश चुप्पी साध गइले। लोग इहे कहे लागत कि मुंह लुका लिहले बाड़े। बाकिर बाद में पता चलल कि चुपे चुपे ऊ अइसन केस करववले कि सबके सजा हो गइल। बड़का-बड़का बदमाश लोग के त पानी पिया दिहले। नवछेड़िया भले पैदा हो गइल बाड़े सन बाकिर बड़का बदमाश लोग जेल में बा, भा बहरी अइला के बादो औकात में बा।

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पांड़े बाबा काल्ह बतावत रहनी कि एगो खबर में लिखल बा कि नीतीश बड़का सिरजन घोटाला के खुलासा कइले आ ओकर बढ़िया से जांच खातिर सीबाई (मलिकाइन सीबीआई के सीबाई लिखेली) के सौंप दिहले। एही तरे जब-जब मंतरी लोग पर कवनो दाग लागल, ऊ हटावत गइले। पांड़े बाबा के कहला के मोताबिक अबही ले छह गो मंत्री लोग के ऊ गड़बड़ी के शिकायत मिलला पर हटवले बाड़े। एतने ला ना मलिकार, पांड़े बाबा त इहो बतवनी कि लड़किन से जवन कुकरम भइल रहल हा, अब ओहू के जांच सीबाई करतिया। मंत्री महरानी के त जाहीं के परल हा। अब जाके तनी मन के शांति मिलल बा मलिकार। बुझाता कि सचहूं कानून के राज बा। एक दिन नीतीश के कहल पांड़े बाबा सुनावत रहनी कि जे गड़बड़ी करी, ऊ बांची ना। ओकरा के बचावे के जे केहू कोशिश करी, ओकरो बक्शाइश नइखे। खबरिया में नीतीश के कहलका पढ़ के पांड़े बाबा सुनावत रहनीं। अब बुझाता कि नीतीश जवन कहेले, तवन करबो करे ले।

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जान तानी मलिकार, आदमी के जब माथा गरम होला त ओकर बुद्धि भरस्ट हो जाला। मुजफ्फरपुर कांड सुन-जान के हमरो माथा गरम हो गइल रहे आ खीस-पीत में नीतीश के हम पिछलका पाती में का-का कह दिहले रहनी। एह पाती के मार्फत हम उनकरा से माफी चाहतानी। नीतीश जवन करत बाड़े, नीक करतारे। एतना बड़का राज आ हर आदमी के बिगड़ल मिजाज के ठीक करे में टाइम त लगबे करी। नीतीश एह बिगड़ल लोग के अइसन धरती धरा दिहें कि खोजलो से ई लोग ना भेंटाई। ना रही बांस आ ना बाजी बंसुरी।

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छोड़ीं ई कुल, हमहू का लेके बइठ गगइनी। रउरा से एगो बात कहे के रहल हा मलिकार। अब कवनो पाती लिखे के तेयार नइखन सन। सब मोबाइल लेके का दुना का अंगुरी से घसेटत रहत बाड़न सन। आपन बड़का त एक दिन कहलस कि ए माई, छोड़ चिट्ठी-चपाती के बात, तेहूं एगो मोबाइल बाबू जी से किनवा ले। ओइमें कहबे त हम लिख दिहल करेब। तेरह दिन चिट्ठी जाये में लागेला आ मोबइलवा से छने भर में पहुंच जाई। ना होई त बतिया के आपन बात कह दिहे। हमरो ओकर बतिया जंचल मलिकार। कीने के त ना कहेब, बाकिर रउरा लगे कवनो पुरान-धुरान होखे त भेज देब।

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एह घरी बरखा-बूनी ठीक से होता। धान के रोपनी शुरू हो गइल बा। मकई बोआ गइल बा। आगे एक-दू बेर अउरी बरिस जाव त फसल नीमन हो जाये के उमेद बा। बाकी अगिला पाती में।

राउरे

मलिकाइन    

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