बिहार में सीटों के बंटवारे पर एनडीए के घटक दलों में जुबानी जंग

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पटना। बिहार में फिलवक्त की राजनीति सीटों के तालमेल में उलझा है। एनडीए के घटक दलों- जदयू, रालोसपा और लोजपा की मांग पिछली जीती सीटों से ज्यादा की है। बयानबाजी-कयासबाजी का दौर भी चल रहा है। एनडीए की बड़ी पार्टी बीजेपी खामोश होकर अपने काम में जुटी है। बूथ व पंचायत स्तर तक संपर्क साधने के तमाम प्रयास भाजपा कर रही है। केंद्र की योजनाओं के कार्यान्वयन और उसके दूरगामी असर से लोगों को अवगत कराना अभी भाजपा के एजेंडे में है। जदयू के लोग सीटों के कोटे को लेकर बेचैन तो हैं, लेकिन इस मुद्दे पर नीतीश की खामोशी कया लगाने वालों को खाद-पानी मुहैया करा रही है।

सूचना है कि अमित शाह ने सीटों के बंटवारे का आरंभिक फार्मूला तैयार कर लिया है। वह 12 जुलाई को बिहार आने वाले हैं। जानकार बताते हैं कि भाजपा अपनी पिछले चुनाव में जीती 22 सीटों से कोई समझौता नहीं करेगी। बाकी 18 सीटों में से 6 से 8 सीटें वह पुराने सहयोगियों को दे सकती है। बची 10-12 सीटों से ज्यादा जदयू को नहीं मिलने वाली।

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पिछले चुनाव के दलीय आंकड़े को देखें तो लोकसभा की 40 सीटों में भाजपा को  22, लोजपा को 6, रालोसपा को 3 और नये साथी जदयू को 2 सीटें मिली थीं। राजद 4, कांग्रेस  2 और एनसीपी ने 1 सीट से काम चलाया। अब चूंकि एनडीए के फोल्ड में जदयू भी आ गया है और राज्य सरकार उसी के नेत-त्व में चल रही है तो जाहिरा तौर पर सर्वाधिक हिस्सेदारी वह चाहेगा। राम विलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा भी ज्यादा सीचें चाह रहे हैं, लेकिन भाजपा इस मूड में नहीं है। भाजपा के फार्मूले से इतर कोई बंटवारा होता भी है तो एक-दो सीचों का ही फर्क पड़ेगा।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आगमन को लेकर सभी घटक दल इस फिराक में हैं कि सीटों का मुद्दा दबंगता से उठे और भाजपा अपने पत्ते खोल दे। हालांकि अभी तक अमित शाह के घटक दल के किसी नेता से मुलाकात की आधिकारिक सूचना नहीं है। यहां तक कि नीतीश कुमार से भी मिलने के किसी कार्यक्रम की जानकारी भाजपा दफ्तर को नहीं है।

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