पटना। बिहार के बाहर फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए नियम बदलने की मांग राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है। कहा कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं। कुछ राज्य अपने छात्रों को वहां से वापस बुलाए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से कोटा के छात्रों के संबंध में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के गाइड लाइन के अनुरुप हमलोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। जब तक नियमों में संशोधन नहीं होगा तब तक किसी को भी वापस बुलाना संभव नहीं है। केन्द्र सरकार इसके लिये आवश्यक दिशा निर्देश जारी करे। कोटा ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी बिहार छात्र/छात्रायें पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में बिहार के लोग जो बाहर फंसे हैं उन्होंने फोन के माध्यम से आपदा प्रबंधन विभाग, स्थानिक आयुक्त के कार्यालय, बिहार भवन नई दिल्ली और मुख्यमंत्री कार्यालय में अपनी समस्याएं बतायीं। अब तक ऐसे 1 लाख से अधिक फोन कॉल्स एवं मैसेजेज आ चुके हैं। ऐसे लोगों से फीडबैक लेकर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए काम किए जा रहे हैं। हमलोगों ने राज्य के बाहर फंसे बिहार के मजदूरों एवं जरुरतमंद व्यक्तियों के लिए सहायता राशि के रुप में मुख्यमंत्री विशेष सहायता अंतर्गत 1,000 रुपये देने का निर्णय किया था। इस संबंध में अब तक 25 लाख आवेदन आ चुके हैं, जिनमें से 15 लाख लोगों के खाते में 1000 रुपए की राशि अंतरित की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एकजुट होकर अच्छा काम कर रहा है। केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरुप तो काम किए ही जा रहे हैं, साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हमलोग भी अपने स्तर से राज्य में अतिरिक्त कार्य कर रहे हैं। राज्य के अधिकारीगण, पुलिस पदाधिकारी, चिकित्सकगण पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं और इसमें राज्यवासियों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन कब तक जारी रहना है यह निर्णय केंद्र सरकार को करना है। इस मामले में विशेषज्ञों की राय ली जा सकती है। केंद्र सरकार का लॉकडाउन के संबंध में जो भी फैसला होगा हम उसका अनुपालन करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों के इलाज के लिये हमलोग अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ा रहे हैं। इसके लिये बिहार को अतिरिक्त संख्या में वेंटीलेटर तथा टेस्टिंग किट्स की आवष्यकता है। राज्य में क्वारंटाइन केंद्र की संख्या बढ़ायी गई है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग रह रहे हैं और उन्हें भोजन, आवासन एवं चिकित्सकीय जांच की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। राज्य में स्वयं सहायता समूह जीविका के माध्यम से मास्क का निर्माण कराया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अधिक से अधिक टेस्टिंग हो यह हमारा प्रयास है। उन्होंने कहा कि राज्य में बाहर से कुछ लोग अभी भी आ रहे हैं जिनमें कई संक्रमित पाए गए हैं और उनके माध्यम से अन्य लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा विनम्र निवेदन है कि जो भी लोग बाहर से भेजे जा रहे हैं उनकी पहले स्वास्थ्य जांच करवा ली जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की गाइडलाइन के अनुरुप कुछ आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए अनुमति दी गई है, उसके अनुरुप राज्य में कुछ कार्य शुरु किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य किए जा रहे हैं। मनरेगा के माध्यम से भी कार्य कराए जा रहे हैं। जल संसाधन विभाग के माध्यम से बाढ़ निरोधक कार्य कराए जा रहे हैं। मजदूर वर्ग के लोगों एवं जरुरतमंदों के जीविकोपार्जन के लिए जो जरुरी आर्थिक गतिविधियां हैं उसे संचालित कराया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जो भी जरुरी कदम हैं वे उठाए जा रहे हैं, साथ ही ए0ई0एस0 और जे0ई0 के प्रकोप से बचाव के लिए जरुरी उपाय किए जा रहे हैं और उसके लिए पहले से ही सावधानी बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी मौसम में कई तरह के बदलाव आ रहे हैं। कल ही ठनका गिरने से राज्य में 12 लोगों की मौत हुई है। लाॅकडाउन की वजह से लोग घरों में थे इस कारण संभवतः क्षति कम हुयी है। लाॅकडाउन के कारण न सिर्फ कोरोना संक्रमण बल्कि अन्य बीमारियों को भी रोकने में मदद मिली है। लोगों को राहत दिलाने के लिए हमसब हमेशा तत्पर रहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों से हमेशा अपील करते हैं कि लोग सरकार के निर्देशों का पालन करें। कोरोना से भयभीत न हों, सजग रहें, सचेत रहें, तभी हमसब सुरक्षित रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में 14 अप्रैल के पहले राज्य में कोरोना संक्रमण के 66 पॉजिटिव मामले थे और आज तक 290 मामले हो चुके हैं। शुरु में विदेश से आए लोगों के कारण राज्य में कुछ कोरोना संक्रमण के मामले आए उनकी जांच की गई और उनका इलाज भी कराया गया। अब तक कोरोना संक्रमित 56 मरीज स्वस्थ्य होकर घर भी लौट चुके हैं। राज्य के 22 जिलों के 48 प्रखंडों में कोरोना से संक्रमित मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना की जांच के लिए 6 लैब काम कर रहे हैं, जिससे जांच में तेजी आयी है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए हमलोगों ने पूरे राज्य में पल्स-पोलियो अभियान की तर्ज पर डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग करा रहे हैं। अब तक 75 लाख परिवारों के 4 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। हमलोगों ने पूरे बिहार में एक-एक घर की जांच का निर्णय लिया है। वर्ष 2006 में पूरे राज्य में पल्स-पोलियो अभियान चलाया गया था, जिससे राज्य से पोलियो का उन्मूलन हुआ था, जिसकी प्रशंसा सभी जगह हुई थी।
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