बिहार के उपमुख्यमंत्री का दावा- CAA सबसे ज्यादा लाभ दलितों को

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बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी रविदास जयंती समारोह में शामिल हुए
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी रविदास जयंती समारोह में शामिल हुए

पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का दावा है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) सबसे ज्यादा लाभ दलित समाज को ही मिलेगा। भाजपा प्रदेश कार्यालय में महादलित मोर्चा की ओर से आयोजित ‘संत रविदास जयंती’ समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री श्री मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का सबसे ज्यादा लाभ दलित समाज को मिलने वाला है क्योंकि पाकिस्तान, बग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के शिकार अपनी बहू-बेटियों की इज्जत बचा कर भारत आए शरणार्थियों में दलितों की संख्या सर्वाधिक है। कुछ लोग इसका विरोध करने के साथ दलित-इस्लाम गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रहे हंै। अंग्रेजों के काल से यह प्रयास हो रहा है जिसे किसी भी कीमत पर कभी सफल नहीं होने दिया जायेगा। दलित समाज भ्रमित करने वालों से सावधान रहें क्योंकि वे सदियों से हिन्दू समाज के अभिन्न अंग हैं।

श्री मोदी ने कहा कि डा. अम्बेडकर भारत के तो बंगाल के दलित परिवार में जन्में जोगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री बने। मगर पाकिस्तान में दलितों पर होने वाले अत्याचार व भेदभाव से परेशान होकर कुछ वर्षों के बाद ही उन्हें इस्तीफा देकर भारत वापस आना पड़ा। उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान में तो दलितों की हालत ज्यादा खराब है। इस्लाम व ईसाइयत कबूल कर लेने के बावजूद दलितों के साथ भेदभाव जारी रहता है। आज धार्मिक भेदभाव व प्रताड़ना के शिकार वैसे ही लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून लाया गया है तो दलितों को बरगला कर दिल्ली के शाहीनबाग व अन्य जगहों पर विरोध किया जा रहा है।

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डा. अम्बेदकर ने जब कहा कि ‘वे हिन्दू पैदा हुए हैं, मगर हिन्दू रह कर मरेंगे नहीं’ तो उन्हें इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन दिया गया। हैदराबाद के निजाम ने इस्लाम कबूल करने पर उस समय उन्हें 6 करोड़ रुपये देने का वायदा किया। मगर डा. अम्बेदकर ने बौध धर्म को स्वीकार कर गांधी से किया अपना वायदा कि देश के इतिहास व संस्कृति की अक्षुण्ण परम्परा को नुकसान नहीं पहुंचायेंगे, को पूरा किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अम्बेदकर-गांधी की देन दलितों के आरक्षण को और मजबूत और एससी,एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम में 28 और धाराओं को जोड़ कर उसे पहले से सख्त बनाया हैं। 15 साल तक बिहार ऐसी पार्टी की सरकार थी जिसके कार्यकाल में सामूहिक नरसंहार में दलित गाजर-मूली की तरह काटे गए। खुशी की बात है कि 15 वर्षों के एनडीए के शासनकाल में एक भी नरसंहार नहीं होने दिया गया है।

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