फसलों के मूल्य निर्धारण में किसानों के खर्चों का ख्याल: राजीव रंजन 

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पटना। केंद्र सरकार द्वारा आज आयोजित कैबिनेट बैठक में खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने संबंधी लिए गए निर्णय का स्वागत करते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा, “वर्तमान बजट में केंद्र सरकार ने किसानों से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का जो वादा किया था, उसे कल लागू करने के निर्णय पर सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है। सरकार के इस निर्णय से देश के करोड़ों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। केंद्र के इस फैसले से किसानों के कई प्रकार के खर्चे जैसे दूसरे श्रमिकों के परिश्रम का मूल्य, मवेशी और मशीन पर होने वाला खर्च, बीज और खाद का खर्च, सिंचाई का खर्च, दिया जाने वाला राजस्व, लीज ली गई जमीन के लिए दिया गया किराया तथा किसान, जो अपनी मेहनत करता है और उसके परिवार के सदस्यर जो मेहनत करते हैं, उस मेहनत के मूल्य को भी इन नए समर्थन मूल्यों के अंतर्गत लाया गया है।

ज्ञातव्य हो कि आज तक इन खर्चों का भुगतान किसानों को अलग से करना पड़ता था। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठाए गए इस कदम के लिए सरकार ने अलग से 15000 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया है। हकीकत में ‘सबका साथ-सबका विकास’ के मूल मन्त्र को ध्यान में रखते हुए केंद्र का मुख्य उद्देश्य अपने अन्न-दाताओं को भी विकास की मुख्यधारा में लाना है, जिसके लिये केंद्र निरंतर प्रयत्नशील है। 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा। इस निर्णय के बाद किसानों को धान के उत्पादन लागत 1166 रु. पर 1750 रु न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा, वहीं मक्के की 1133 रु लागत पर उन्हें 1700  न्यूनतम मूल्य के रूप में मिलेंगे। इसी तरह तुअर के 3432 रु के उत्पादन लागत पर किसानो को 5,675 रुपए का तथा उड़द के 3438 रु की लागत पर 5600 रुपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा। इसके अलावा ज्वार तथा कपास की 1619 और 3433 रु की लागत पर क्रमश: 2430 और 5150 रु की एमएसपी देना तय हुआ है। केंद्र के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अब सबसे बड़ी जिम्मेवारी राज्य सरकारों की है। यह सर्वविदित है कि देर से खरीद होने पर किसानों को अनेक तरह की परेशानियों का सामना पड़ता है, दुसरे इससे भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है। इसलिए केंद्र के इस कदम के बाद राज्य सरकारों को चाहिए कि किसानों की फसल तय समय पर ही खरीदने के कार्य को सुनिश्चित करें, जिससे उन्हें अधिक से अधिक लाभ मिले।”

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कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए श्री रंजन ने आगे कहा, “कांग्रेस के नेताओं ने अपने पूरे राज में अपना ध्यान सिर्फ अपने चहेते लोगों के विकास पर लगाया हुआ था और उनके विकास के लिस्ट में कृषि और किसान कहीं थे ही नहीं। यही वजह थी कि पूरी दुनिया में शायद भारत ही एक मात्र ऐसा मुल्क होगा जहां उत्पादन नेगेटिव था। लेकिन आज सिर्फ सरकार बदलने से परिस्तिथियों में व्यापक बदलाव आया है। आज सरकार किसानों की बीज से बाजार तक की जरूरतों का ध्यान रख रही है। खास किसानों को लक्षित कर के ढेरों ऐसी योजनाएं आज धरातल पर हैं, जिनके बारे में पूर्ववर्ती सरकार सोच भी नहीं पा रही थी। वास्तव में कांग्रेस को भाजपा से सीखना चाहिए कि विकास कार्यों को किया कैसे जाता है।”

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