प्रधानमंत्री की अपील पर कोरोना से जंग में बिहार में 11 करोड़ दीप जलेंगे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर दीप जलाने से कोरोना का वायरस मरेगा या नहीं, पर ऐसे आयोजन की आलोचना से भी वायरस नहीं मरेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर दीप जलाने से कोरोना का वायरस मरेगा या नहीं, पर ऐसे आयोजन की आलोचना से भी वायरस नहीं मरेगा।

PATNA : प्रधानमंत्री की अपील पर कोरोना से जंग के लिए बिहार के 11 करोड़ लोग रविवार की रात 9 बजे 9 मिनट तक दीया-कैंडल-टॉर्च जलायेंगे। लोग विश्वास दिलायेंगे कि कोरोना से लड़ने में कोई भी अकेला नहीं है। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जारी लाकडाउन के कई अच्छे परिणाम मिले। कई देशों की तुलना में हम  बीमारी को फैलने से रोकने में ज्यादा सफल रहे हैं, लेकिन इसके बदले लोगों को कामकाज बंद कर घरों में रहकर भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार गरीबों-मजदूरों की जरूरत पूरी करने का पूरा खयाल रख रही है, लेकिन निराशा को जीतने के लिए प्रबल आत्मविश्वास, उत्साह और उम्मीद का प्रकाश फैलाना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने गत 22 मार्च को थाली-घंटी बजाकर जब कोरोना वीरों का अभिनंदन किया, तब राजद-कांग्रेस जैसे विरोधी दलों ने इसका विरोध किया या मजाक उड़ाया था। अब जब डाक्टर, स्वास्थ्यकर्मी और पुलिस जैसी पहली कतार के कोरोना सेनानियों पर थूका जा रहा है और हमले हो रहे हैं, तब इन दलों ने चुप्पी क्यों साध ली? कोरोना से मानवता को बचाऩे के महासंग्राम में जिनकी हमदर्दी ऐसे लोगों के साथ है, जनता उसका भी जवाब मांगेगी। समय लिखेगा उनका भी इतिहास!

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सोशल मीडिया पर दीप जलाने की अपील पर छिड़ी बहस

इधर सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दीप जलाने की अपील पर पक्ष-विपक्ष में घमासान मचा है। रवि प्रताप सिंह ने लिखा है- *एक मोमबत्ती 2 kcal गर्मी देती है, एक मोबाइल फ़्लैश 0.5 kcal गर्मी, तिल के तेल का एक दीया 3 kcal गर्मी देता है। मान लीजिए 130 करोड़ में से 70 करोड़ लोगों ने भी इस आदेश का पालन किया और उसमें 35 करोड़ मोमबत्ती, 20 करोड़ फ़्लैश और 15 करोड़ दीए जलाए गए तो 125 करोड़ kcal गर्मी उत्पन्न होगी। Corona Naam Ka दरिंदा तो 10kcal गर्मी में ही मर जाता है। इसलिए 5 अप्रैल को सारे विषाणु मर सकते हैं, अगर हम मिल कर इस अभियान को सफल बनाएं। 5 अप्रैल को दीपावली समझ कर दिए अवश्य जलाएं।

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सुरेंद्र किशोर (वरिष्ठ पत्रकार) ने लिखा है- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  9 मिनट के लिए बिजली की सिर्फ बत्ती बुझा देने के लिए कहा है। उन्होंने पंखा, ए.सी. और दूसरे उपकरणों को भी बंद करने के लिए थोड़े कहा है! यदि उस समय बाकी उपकरण चालू रहेंगे तो ग्रिड कैसे फेल कर जाएगा?

ज्ञानेंद्र नाथ ने सुरेंद्र किशोर के पोस्ट पर प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री की अपील पर सहमति देते लिखा है- इन लोगों (दीप जलाने का विरोध करने वाले) को कौन समझाये कि अर्थ डे पर जब पूरी दुनिया एक घंटे तक लाइट बंद रखती है तब तो कहीं से ग्रिड फेल होने की शिकायत नहीं आती।

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प्रशांत मिश्रा ने लिखा- दीया-बत्ती जलाना तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन एक बात मुझे समझ नहीं आई कि इसके लिए अंधेरा क्यों करना है? दीया जलाने के लिए घर के लाइट्स को ऑफ करना क्यों आवश्यक है! दीपक तो हम लोग दिवाली में भी जलाते हैं, लेकिन बत्तियां बुझा कर तो नहीं!

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शशिभूषण वर्मा ने कहा- जनसंघ का चुनाव चिन्ह ‘दीपक’ था। उसने आरएसएस की राजनीति का दिया जलाया। फिर 5 अप्रैल 1980 को जनसंघ का नया नामकरण भारतीय जनता पार्टी किया गया और अगले दिन अर्थात 6 अप्रैल 1980 को नयी पार्टी भाजपा का ऐलान किया गया। आरएसएस मानता है कि जनसंघ के ‘दीपक’ से ही भाजपा का ‘कमल’ खिला है।  इस साल 6 अप्रैल को भाजपा का चालीसवाँ स्थापना दिवस पड़ रहा है। इसलिए भाजपा अपने स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर वह 5 अप्रैल को देशभर के लोगों से ‘दीपक’ जलवा रही, ताकि जनसंघ की स्मृतियों और भाजपा के उदय के जश्न को ऐतिहासिक बनाया जा सके। कोरोना तो एक बहाना है, भला कोरोना का दीपक, मोमबत्ती और टार्च से क्या लेना देना? कोरोना से निपटने के लिये चिकित्सा उपकरणों और सुविधाओं की जरूरत है कि दीपक, मोमबत्ती या टार्च की? इस चक्कर में पड़ने से अच्छा है आपस में दूरी बनाकर रहिये और भुखमरी के शिकार गरीबों मजलूमों की मदद कीजिए।

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वशिष्ठ तिवारी ने लिखा- पुरखों ने कहा कि एक हजार बादशाहों की बुद्धि के बराबर एक चोर की बुद्धि होती है तो समझिए कि यदि चोर ही बादशाह बन जाए तो क्या हाल होगा उस देश और राज्य का। आज हमारे देश की जनता के सामने वही परिस्थिति हैं। चुनाव किया था ईमानदार समझ कर, पर यह मदारी फरेबी निकला। जनता को ठगने का काम किया है। आज इस महामारी की परिस्थिति में भी जनता को गुमराह कर रहा है। जो बीमारी दवा और डाक्टर के उपचार से खत्म होने वाली है, उसे ताली-थाली बजाने और मोमबत्ती जला कर भगाने के लिए सुझाव दे रहा है। जनता को मूरख समझ रहा है।

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राकेश प्रवीर ने प्रधानमंत्री की अपील का निहितार्थ समझाते लिखा- रात 10 बजे जब मैं सोने जाता हूँ, अपने घर की सारी बत्तियां बन्द कर देता हूँ। तब तक आस-पास के घरों की बत्तियां भी  पूरी रात के लिए बंद हो जाती हैं। पूरे मुहल्ले, अन्य दूसरे मुहल्लों या पूरे शहर/ गांव में भी सोने जाने के पहले लोग अपने-अपने घरों की बत्तियां बन्द कर देते है। क्या ग्रिड फेल हो जाता है? विरोधियों, तुम्हारी अफवाह में दम नहीं है। दरअसल तुम डरे हुए हो, गिरे हुए हो, क्योंकि ग्रिड नहीं, तुम्हारी राजनीति की बत्ती गुल होने वाली है।

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