पप्पू की पार्टी के बंद में कूदने पर सवाल, भाजपा का एजेंट कहा गया

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पटना। सांसद पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी (जाप) का भारत बंद में अचानक शामिल हो जाना अभी तक न आम आदमी की समझ में आ रहा है और न विपक्षी दूसरे नेताओं को। शायद यही वजह है कि राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उन्हें भाजपा का एजेंट करार दिया है। कांग्रेस ने भी बंद के दौरान उनके आचरण को वाजिब नहीं माना है। वैसेे लोग राजद व वामपंथियों के हुड़दंग को भी पचा नहीं पा रहे।

दरअसल बंद के दौरान परंपरागत तरीके से राजद के समर्थकों का उत्तेजित होना और उत्पात मचाना तो सबकी समझ में आता है। लोगों ने 2004 के पहले लालू-राबड़ी राज में राजद समर्थकों का आतंक व उपद्रव देखा है। इसलिए उनके आचरण पर सवाल उठना स्वाभाविक है, लेकिन विपक्ष में बिल्कुल अलग-थलग पड़े पप्पू यादव की पार्टी के हुड़दंग को कोई पचा नहीं पा रहा है।

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वैसे इस बंद की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि बिहार में कांग्रेस के इस मुद्दे को राजद और वामपंथी दलों ने हाईजैक कर लिया। भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी के साथ सरकार चलाते हुए नीतीश को बड़ा भाई का दर्जा देने में भाजपा को कबूल नहीं, लेकिन कांग्रेस सोमवार के बंद के बाद यकीनन राजद को बिहार में बड़ा भाई मानने को बाध्य हो गयी है।

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कांग्रेस के लोग अव्वल तो कमजोर संगठन के कारण बिहार में ढीलेढाले पहले से ही हैं, लेकिन राजद और वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं ने जरूर विपक्ष के नाम पर अपनी दबंगई बंद के दौरान दिखा दी। जब तक कांग्रेस के नेता सड़कों पर उतरते, तबतक राजद और वामपंथी दलों के लाल झंडाधारी कैडरों ने राज्य को अपने कब्जे में कर लिया। आम आदमी समझ नहीं पाया कि बंद कांग्रेस का है या राजद-लेफ्ट का।

इन सबके बीच बिना किसी घोषणा या आग्रह के पप्पू यादव की जनाधिकार पार्टी का हल्ला बोल ब्रिगेड जिस तरह हुड़दंगी बन कर बंद के दौरान उतरा, उससे दो ही बातें स्पष्ट होती हैं कि वह बंद के बहाने अपनी शक्ति व उपस्थिति का इजहार करना चाहते थे।

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