नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की कविताएं कविता की तीन शर्तें पूरा करती हैं

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कविता होने की तीन शर्तें पूरा करती हैं नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की कविताएं। नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने कहा था कि महान कविता में तीन विशेषताएं होती हैं।
कविता होने की तीन शर्तें पूरा करती हैं नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की कविताएं। नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने कहा था कि महान कविता में तीन विशेषताएं होती हैं।

कविता होने की तीन शर्तें पूरा करती हैं नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की कविताएं। नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने कहा था कि महान कविता में तीन विशेषताएं होती हैं। जो हमारे आनंद के समय उसका समर्थन करे, शोक के समय सांत्वना दे और पराजय के बाद संघर्ष करने का साहस दे।

  • कृपाशंकर चौबे
कृपाशंकर चौबे
कृपाशंकर चौबे

नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की कविताएं कविता होने की तीन शर्तें पूरा करती हैं। इस पोस्ट के साथ जो तस्वीर दी गई है, वह कुछ साल पहले कोलकाता में आयोजित मंगलेश डबराल की कविताओं के बांग्ला अनुवाद की पुस्तक निर्वाचित कविता के लोकार्पण समारोह की है। समारोह को मंगलेश जी, किताब की अनुवादक सोमा बंद्योपाध्याय, महाश्वेता देवी, नवारुण भट्टाचार्य, रामकुमार मुखोपाध्याय, केदारनाथ सिंह और काशीनाथ सिंह के साथ बांग्ला के वरिष्ठ कवि नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने संबोधित किया था।

उस कार्यक्रम में नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने कहा था कि महान कविता वह है, जो हमारे आनंद के समय उसका समर्थन करे, शोक के समय सांत्वना दे और पराजय के बाद संघर्ष करने का साहस दे, इस कसौटी पर मंगलेश की कविताएं खरा उतरती हैं। स्वयं नीरेन दा की कविताएं भी कविता होने की इन तीन शर्तों को पूरा करती हैं। नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती के तीस कविता संग्रह प्रकाशित हैं।

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कल्लोल युग के प्रेम, सौंदर्य और कमनीयता से मुक्ति के दौर में नीरेंद्रनाथ प्रगतिशील चेतना से जुड़े। उन्होंने इस रचनाधारा को नए धरातल पर प्रतिष्ठित किया। उन्होंने बांग्ला में सहज कविता का सूत्रपात किया। ‘कलकातार जीशू’, ‘पागला घंटी’, ‘उलंग राजा’ काव्य संग्रहों की रचनाभूमि यही है। प्रतिबद्ध वामपंथी होने के बावजूद उनकी सदा कोशिश रही कि वे विचारधारा की बजाय मनुष्य की दैनंदिन की समस्याओं और संवेदों से जुड़ें। उन्होंने प्रगतिशील कविता को सही मानवीय पहचान दी।

उनकी कविताओं का संकलन ‘सकुलेर तीन जन’, कविता समग्र का चौथा खंड, बाल कविताओं का संग्रह ‘गाछ पाला नदी नाला’ में व्यक्ति विशेष की खुशी, उसका गम एक साथ उपस्थित है। जिन मनुष्यों को वे देखते थे, जिनसे परिचित थे, उनकी व्यक्तिगत पहचान और उनकी व्यक्तिगत विशेषताओं का सम्मान करते थे और उन्हें कविता का विषय बनाते थे। कविता दूसरी विधाओं से कुछ ज्यादा और नया कहने का यत्न करती है।

नीरेन दा की कविता हर समय में मनुष्य की संगी होती है। नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती (19 अक्टूबर 1924-25 दिसंबर 2018) से कोलकाता में तीन दशकों से ज्यादा समय तक मेरा संपर्क रहा। जब वे बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष थे और हिंदी साहित्य के बारे में उन्हें कुछ जानना होता तो अक्सर मुझे बुला लेते। उन संस्मरणों को फिर कभी लिखूंगा। आज उनके जन्मदिन पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

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