डॉ. सीताराम दीन स्मृति आलोचना सम्मान रूपा सिंह को मिलेगा

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डॉ. सीताराम दीन स्मृति आलोचना सम्मान रूपा सिंह को मिलेगा। 2020-21 के सम्मान के लिए रूपा सिंह का चयन हुआ है। रूपा सिंह मबलतः बिहार की हैं।
डॉ. सीताराम दीन स्मृति आलोचना सम्मान रूपा सिंह को मिलेगा। 2020-21 के सम्मान के लिए रूपा सिंह का चयन हुआ है। रूपा सिंह मबलतः बिहार की हैं।

पटना। डॉ. सीताराम दीन स्मृति आलोचना सम्मान रूपा सिंह को मिलेगा। 2020-21 के सम्मान के लिए रूपा सिंह का चयन हुआ है। रूपा सिंह मबलतः बिहार की हैं। वह सुप्रसिद्ध आलोचक, कथाकार तथा कवयित्री हैं। प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, समालोचक और कबीर साहित्य के मर्मज्ञ डॉ. सीताराम दीन की स्मृति में हर साल यह सम्मान दिया जाता है।

तीन सदस्यीय जूरी (हरिसुमन बिष्ट, श्रीप्रकाश मिश्र तथा जयप्रकाश मानस) ने अपनी अनुशंसा में कहा है- डॉ. रूपा सिंह की रचनात्मक दृष्टि और सृष्टि  दोनों ही लक्षित-अलक्षित स्त्री-रचनाकारों के बहुवचनों के बीच भी अपनी पृथक आलोचनात्मक दिशा की ओर पाठकों को अभिप्रेरित करती है। वे समानता, मित्रत्व और स्वतंत्रता जैसे बुनियादी सरोकारों के प्रति ज़रूरी मानवीय प्रतिबद्धता से अनुप्राणित अपनी सृजनात्मकता को किसी आयातित पश्चिमी विचारों की कार्बन कॉपी की तरह नहीं, एक फ़ैशनेबुल होड़ में भी नहीं, बल्कि भारतीय चिंतन पद्धतियों की अविरल, अर्जित, अविरल और सदा संभावित दक्षता का उत्खनन करते हुए, उसे भाषायी बहुलता के गौरव और सौंदर्य से विश्वसनीय तथा अनुकरणीय बनाती हैं।

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उनकी आलोचना की उपादेयता को सिर्फ़ प्रदीप्त बौद्धिक गद्य या विश्लेषणात्मक कहन की मौलिकता मात्र में ही तलाशा नहीं जा सकता, बल्कि उसके साथ कविता और कहानी जैसी सुगठित लय और शिल्पगत आकर्षण के साहचर्य में दीर्घकाल तक अतिरिक्त रूप से चला जा सकता है। कहा जा सकता है कि परंपरागत गूढ़, कूट किन्तु जटिल शब्द-विन्यास के बगैर भी वे सहजता से पाठकों से संवाद करने में सक्षम बनानेवाली आलोचना की पक्षधर हैं।

अपनी कहानियों के मार्फ़त भारतीय जीवन-यथार्थ के निरूपण के लिए सुचिंतित आलोचनामूलक रचनात्मकता में हिंदी के विविध जनपदों की संज्ञा, कर्ता, कर्म, सर्वनाम और बिम्ब या विचार को वे जिस तरह असांप्रदायिक होकर निरपेक्षता से कागज के एक पन्ने में परोसती हैं, वह हिंदी-महादेश की भाषायी संपदा की वृद्धि में योगदान तो देती ही हैं, इस रूप में मूलतः किसी भारतीय पाठक या श्रोता या दर्शक को भी फिर से अपने आदतन दृष्टिकोणों को परिवर्तित करने के लिए उकसाती भी हैं। अस्तु, उन्हें प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, समालोचक और कबीर साहित्य के मर्मज्ञ डॉ. सीताराम दीन की स्मृति मे हिंदी आलोचना/ समीक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रत्येक वर्ष दिये जानेवाले सम्मान से 19 वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, थिम्फ़ू (भूटान) में 19-27 जून, 2021 के दौरान एक समरोह में अलंकृत किया जायेगा।

न्यास प्रमुख डॉ. मंगला रानी (पटना) ने बताया है कि उन्हें डॉ. सीताराम दीन-डॉ. उषा रानी सिंह स्मृति न्यास, पटना द्वारा सम्मान स्वरूप 5001/- की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न आदि प्रदान किया जायेगा।

कौन हैं डॉ. रूपा सिंह, जरा जान लीजिए 

जन्म- 16 मई, दरभंगा (बिहार), रचनात्मक सृजन- कहानी, कविता और विशेषत: आलोचना, शिक्षा- एम.फ़िल, पीएच.डी (जेएनयू, नई दिल्ली)/ • पोस्ट डॉक्टोरेट (दिल्ली विश्वविद्यालय) • डी.लिट् (आगरा विश्वविद्यालय), सेवानुभव- राजस्थान विश्वविद्यालय, अलवर में एसोसिएट व्याख्याता के रूप में दीर्घ सेवा, प्रकाशन- देश की महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में आलोचना, कहानी और कविताएँ समादृत,आलोचनात्मक कृतियाँ- • स्त्री अस्मिता • कृष्णा सोबती और स्त्री अस्मिता • अस्मिता की तलाश • स्वातंत्र्योत्तर स्त्री-विमर्श और स्त्री-अस्मिता, सम्मान- • एक राष्ट्रीय पुरस्कार• एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार (कनाडा सरकार) • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा कई परियोजनाओं में पुरस्कृत, संपर्क501, टॉवर-वन, अपना घर शालीमार, अलवर, राजस्थान, मो.- 8178820925

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