टिकट बंटवारे के बाद टीएमसी में भगदड़, बीजेपी बनी पहली पसंद

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बंगाल विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद दो दिनों से हिंसा का दौर आज भी जारी रहा। इस हिंसा में अब तक भाजपा समर्थक 6 लोगों की जान जा चुकी है।
बंगाल विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद दो दिनों से हिंसा का दौर आज भी जारी रहा। इस हिंसा में अब तक भाजपा समर्थक 6 लोगों की जान जा चुकी है।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। टिकट बंटवारे के बाद टीएमसी में भगदड़ मची है। टीएमसी छोड़ भागने वालों की पहली पसंद बीजेपी है। जिनके टिकट कटे, वे बीजेपी में ठौर तलाश रहे हैं। ममता बनर्जी ने अपने 27 पूर्व विधायकों के टिकट काट दिये हैं। ऐसे विधायक दूसरे दलों की ओर मुखातिब हैं। हालांकि इन नेताओं की पहली बसंद बीजेपी बनी है। दूसरे शब्दों में कहें तो टीएमसी के भगोड़ों के लिए बीजेपी ही ऐसी पार्टी है, जहां इन्हें मौका मिल सकता है। ऐसा क्यों है, आइए इस पर गौर करते हैं।

टीएमसी के भगोड़ों के लिए हाट केक बनी बीजेपी

टीएमसी के भगोड़ों के लिए बीजेपी हाट केक बन गयी है। बीजेपी ऐसी उम्मीद भी कर रही थी। यही वजह है कि शुक्रवार को ही होने वाली बीजेपी उम्मीदवारों की घोषणा को पीएम नरेंद्र मोदी की कल कोलकाता में होने वाली सभा तक टाल दिया गया है। इस बीच टिकट कटने या टिकट मिलने की उम्मीद लगाये बैठे टीएमसी के कई नेता पहले से ही बीजेपी नेताओं के संपर्क में थे। बीजेपी से संपर्क में रहने वाले नेताओं की पहचान के लिए ममता बनर्जी ने अपने खुफिया तंत्र को सक्रिय कर दिया था। बताते हैं कि पूर्व विधायक और वेस्ट बंगाल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन दिनेश बजाज जितनी नजदीकी ममता बनर्जी से बनाये हुए थे, उतना ही करीबी रिश्ता उन्होंने बीजेपी नेताओं से भी रखा था। टीएमसी के राडार पर आ जाने के कारण उनका टिकट कट गया और एक हिन्दी दैनिक के मालिक और टीएमसी कोटे से राज्यसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके विवेक गुप्ता को पार्टी ने उम्मीदवार बना दिया। ऐसे और भी कई नेता हैं।

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जायें तो जायें कहां टीएमसी के ये भगोड़े नेता

जिनके टिकट कटे, उन नेताओं के सामने एक ही विकल्प बचा था कि वे दूसरे दलों की शरण में जायें। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ऐसे नेताओं को यह हो रही है कि बीजेपी के सिवा इन्हें और कहीं ठौर मिलने की उम्मीद नहीं है। वाम दल, कांग्रेस और अब्बास सिद्दिकी की आईएसएफ ने तालमेल कर सीटें बांट ली हैं। ऐसे में बंगाल चुनाव में उम्मीदवार उतारने का इच्छुक बीजेपी के सिवा कोई दल बचा ही नहीं है, जहां से इनको टिकट मिलने की उम्मीद हो। यही वजह है कि दिनेश बजाज हों या जगतबल्लभपुर के अब्दुल कासिम मोल्ला, पुरशुड़ा के डा नुरूज्जमां, संकराईल के शीतल कुमार सरदार, सभी बीजेपी नेताओं के घर का चक्कर लगाने लगे हैं। टिकट से वंचित टीएमसी नेताओं का बीजेपी नेता मुकुल राय या दूसरे आला नेताओं के घर जमावड़ा लगने लगा है। पूर्व विधायक दिनेश बजाज ने भी आज बीजेपी नेता मुकुल राय से मुलाकात की।

बीजेपी ही अकेले उतारेगी 294 उम्मीदवार

सबकी पहली कोशिश यही है कि बीजेपी में उन्हें ठौर मिल जाये। चूंकि बीजेपी को 294 उम्मीदवार अकेले उतारने हैं और पहले से उसके तीन ही विधायक थे, इसलिए सबको उम्मीद है कि बीजेपी ज्वाइन करते ही उन्हें टिकट मिलने की गारंटी हो जाएगी। इनमें कुछ तो वैसे हैं, जिन्हें पहले से ही आशंका थी कि उन्हें टिकट नहीं मिल सकता है और कुछ वैसे हैं, जिन्हें दूसरे कारणों से टीएमसी ने टिकट नहीं दिया है। दरअसल कैलकुलेट ढंग से टीएमसी ने टिकट बांटा है। इसके लिए पांच पैरामीटर पार्टी ने बनाये थे। जो उसमें फिट हुआ, उसे ही टिकट दिया गया है। यह भी सूचना है कि बीजेपी को सभी सीटों पर अभी अच्छे उम्मीदवार नहीं मिले थे। इसलिए बीजेपी ने पहले टीएमसी नेताओं को तोड़ा और टिकट बंटवारे के बाद टीएमसी में भगदड़ का इंतजार कर रही थी।

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