चिराग पासवान ने फिर नीतीश को चिढ़ाया, कहां से मिल रही ताकत !

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LJP (लोक जनशक्ति पार्टी) अब NDA से अलग नहीं होगी। BJP चिराग पासवान को मना लेने में कामयाब होती दिख रही है। चिराग पासवान ने 43 सीटों की मांग की है
LJP (लोक जनशक्ति पार्टी) अब NDA से अलग नहीं होगी। BJP चिराग पासवान को मना लेने में कामयाब होती दिख रही है। चिराग पासवान ने 43 सीटों की मांग की है

पटना। चिराग पासवान ने फिर नीतीश कुमार को चिढ़ाया है। चिराग पासवान के निशाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले भी रहे हैं। बिहार में अपनी भ्रमण यात्रा के दौरान भी उन्होंने नीतीश की खिंचाई की थी। बिहार सरकार पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में नाकामी का ठीकरा फोड़ा था। बिहार सरकार की कई नीतियों और फैसलों पर एतराज जताया था। इस बार फिर चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ बारीकी से हमला किया है। चिराग ने कहा है कि बिहार में एनडीए का नेता कौन होगा, यह भाजपा तय करेगी। ऐसा उन्होंने अमित शाह की रविवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ होने वाले डिजिटल संवाद के ठीक पहले कहा है। इससे एक बात तो साफ है कि चिराग को नीतीश के खिलाफ बोलने की ताकत कहीं से मिल रही है। अनुमान लगाना कठिन नहीं कि इसके पीछे बीजेपी हो।

कभी ऐसा भी हुआः नीतीश कुमार का स्वागत करते चिराग पासवान
कभी ऐसा भी हुआः नीतीश कुमार का स्वागत करते चिराग पासवान

यहां यह उल्लेख प्रासंगिक है कि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू ने बीजेपी पर यह दबाव बनाया था कि बिहार में एनडीए के नेता नीतीश कुमार होंगे और उन्हीं के नेतृत्व में बिहार में लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा। बीजेपी ने तब उनकी बात ली थी और नीतीश कुमार ने इसे बीजेपी की कमजोरी मानते हुए बीजेपी के बराबर सीटें हथिया ली थीं। इस बार ऐसा होने की उम्मीद नहीं है। प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर नीतीश की जितनी किरकिरी हुई है, उसे देखते हुए संभव है कि बीजेपी नया चेहरा सामने कर दे या नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने के अपने पुराने नुस्खे को ही अपनाये।

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अब ऐसा भीः नीतीश कुमार और चिराग पासवान में तनातनी
अब ऐसा भीः नीतीश कुमार और चिराग पासवान में तनातनी

यह अलग बात है कि इस साल की शुरुआत में ही बिहार एनडीए में सीएम फेस को लेकर जेडीयू ने अभियान छेड़ दिया था। इसके दो कारण थे। अव्वल तो बीजेपी को लोकसभा चुनाव में इतनी सीटें मिल गयी थीं कि उसे नीतीश के जेडीयू जैसे सहयोगी के साथ रहने या न रहने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। इसका एहसास भी बीजेपी ने नीतीश को उस वक्त करा दिया था, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू को सांकेतिक तौर पर एक सीट का आफर मिला। इससे तिलमिलाये नीतीश ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से न सिर्फ इनकार कर दिया था, बल्कि यह भी कह दिया कि भविष्य में भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू शामिल नहीं होगा। सीएम फेस के लिए नीतीश कुमार पहले ही बीजेपी की ओर से निश्चिंत हो जाना चाहते थे, इसलिए यह इशारा करते हुए कि बिहार में एनडीए की भारी जीत की वजह उनका चेहरा है। उनके काम पर ही लोगों ने एनडीए उम्मीदवारों को वोट दिया। मजबूरी में बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को कहना पड़ा कि बिहार में एनडीए के सीएम फेस नीतीश कुमार ही रहेंगे।

यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगेः अमित शाह का स्वागत करते नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगेः अमित शाह का स्वागत करते नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

इस बीच अमित शाह कल यानी रविवार को बिहार में बीजेपी कार्यकर्ताओं से डिजिटल माध्यम से संवाद करेंगे। इसके ठीक पहले चिराग पासवान का यह बयान आ गया कि सीएम फेस का फैसला बीजेपी करेगी। अमित शाह का संवाद कार्यक्रम भी सिर्फ बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ है। यहीं से भ्रम की शुरुआत होती है। कोरोना के कारण इतना तो तय है कि इस बार खुली जनसभाओं वाली रैली की संभावनाएं क्षीण हैं। ऐसे में एनडीए के घटक दलों को साथ लिये बगैर अमित शाह का सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं के साथ संवाद का निहितार्थ क्या है, यह सोचने वाली बात है।

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इस बीच बिहार के पथ निर्माण मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सुनने को कार्यकर्ता अति उत्साहित हैं। वे कहते हैं कि भाजपा की तैयारियों से विपक्ष के दिल की धड़कन बढ़ गयी है। लेकिन सच यह है कि इससे जेडीयू की धड़कनें तेज हो गयी हैं। यादव ने कहा है कि देश में पहली बार डिजिटल तरीके से भाजपा का ‘बिहार जन संवाद‘ कार्यक्रम राजनीतिक इतिहास के पन्ने में एक आयाम स्थापित करेगा। प्रदेश मुख्यालय से बूथ स्तर तक निर्धारित इस कार्यक्रम ने विपक्षी दलों की नींद उड़ा दी है।

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यादव ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 7 जून को शाम 4 बजे जनसंवाद के जरिये पार्टी के कार्यकर्ताओं से रू-ब-रू होंगे। राजधानी पटना में प्रदेश भाजपा मुख्यालय के साथ-साथ राजधानी के चारो विधान सभा क्षेत्रों में व्यापक प्रबंध किया गया है। पटना साहिब विधान सभा क्षेत्र के सभी सांगठनिक मंडलों में इसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है। पार्टी के कार्यकर्ता नये डिजिटल प्रयोग के माध्यम से श्री शाह के होने वाले संबोधन को सुनने को अति उत्साहित हैं।

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यादव ने इस कार्यक्रम को लेकर विपक्षी दलों में बढ़ी बेचैनी पर चुटकी लेते हुए कहा कि बेचैनी का आलम यह है कि कोई थाली-कटोरा पीट रहा है, तो किसी का ‘हाथ‘ काम नहीं कर रहा। इस रैली ने विपक्षी कुनबे के दिल की धड़कन बढ़ा दी है। विपक्षी दलों को मालूम है कि भाजपा के सांगठनिक ढांचे और कार्यकर्ताओं के हौसले के आगे वे कहीं नहीं टिक पाएंगे। उस पर अमित शाह जी की वर्चुअल रैली और कार्यकर्ताओं में जोश और उमंग भरनेवाला उनका संबोधन। विपक्ष की घबराहट और बेचैनी लाजिमी है। लेकिन, विपक्ष थाली पीटें या सिर, कोई लाभ नहीं होनेवाला।

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