चार वर्षों में महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं: राजीव रंजन 

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पटना। केंद्र सरकार को महिलाओं के विकास के लिए कृतसंकल्पित बताते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने केंद्र के प्रयासों से गत चार वर्षों में महिलाओं के आर्थिक रूप से सशक्त बनने की बात कही। उन्होंने कहा कि देश के विकास में महिलाओं के महत्व को जानते, समझते हुए केंद्र सरकार ने अपने चार वर्षों में ऐसे अनेक कार्य किए हैं, जिनसे महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

उन्होंने इन चार वर्षों में केंद्र ने महिलाओं रोजगार के क्षेत्र में भी महिलाओं को आगे बढाने के लिए भी ढेरों योजनाएं चलायी हैं। केंद्र द्वारा चलायी जा रही कौशल विकास योजना के तहत अभी तक हजारों-लाखों लड़कियां प्रशिक्षित हो स्वरोजगार या नौकरी कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। वहीं स्टैंड अप इंडिया के माध्यम से SC/ST समाज के लोग तथा महिलाओं को 10 लाख से 1 करोड़ तक का ऋण दिया जा रहा है, जिसका फायदा भी महिलाएं बड़ी संख्या में उठा रही हैं। अभी तक इस योजना के तहत 6895 करोड़ रुपए से ज्याद की रकम लोन के रूप में वितरित की जा चुकी हैं।

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उन्होंने इन योजनाओं के साथ ही केंद्र द्वारा शुरू की गयी मुद्रा योजना ने भी देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाने में काफी बड़ा योगदान दिया है। मुद्रा योजना से उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद मिल रही है। इस योजना के तहत अभी तक 7.88 करोड़ से अधिक महिलाओं के ऋण स्वीकृति किए जा चुके हैं। बिहार के महिलाओं को भी इस योजना का भरपूर लाभ मिल रहा है। इसके अलावे सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 1.26 करोड़ बालिकाओं तथा जनधन योजना के तहत 16.42 करोड़ महिलाओं के बैंक खाते खोल उन्हें मुख्य आर्थिक धारा से जोड़ा गया है। कुल बैंक खातों में महिलाओं की भागीदारी 28% से बढ़ कर 41% हो गयी है।

कामकाजी महिलाओं के हित में फैसला लेते हुए केंद्र ने मातृत्व अवकाश को 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया। देश की वैसी महिलाएं, जो इच्छाशक्ति और कौशल के बावजूद आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपने सपनों को उड़ान नहीं दे पा रही थी, आज केंद्र कीयोजनाओं के कारण उनके सपने साकार हो रहे हैं। इसके अलावा महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाने में स्वयं सहायता समूहों के योगदान को देखते हुए केंद्र ने उन्हें दिए जाने वालों ऋणों में 35% का इजाफा किया है, जिससे बतौर ऋण उन्हें बांटे जाने वाली कुल राशि बढ़कर 75000 करोड़ रुपये हो जाएगी। इनके अलावा चाहे शौचालयों का निर्माण हो या तीन तलाक का मुद्दा, केंद्र सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जरूरी उन सभी सामाजिक पहलुओं पर ध्यान दे रही है जो आज तक अनदेखे थे।

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