चलनी हंसे सूप पर जवना में सतहत्तर गो छेद….

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किरिया पर जाई, माई-बाप मर जाई...। मलिकाइन के पाती ढेर दिन पर आइल बा। पाती के शुरुआत अबकी एही लाइन से मलिकाइन कइले बाड़ी।
किरिया पर जाई, माई-बाप मर जाई...। मलिकाइन के पाती ढेर दिन पर आइल बा। पाती के शुरुआत अबकी एही लाइन से मलिकाइन कइले बाड़ी।

चलनी हंसे सूप पर जवना में सतहत्तर गो छेद। मलिकाइन के पाती आइल बा। हर बेर नियर अबकियो उनकर पाती कहाउते से शुरू भइल बा। बिहार में वोट के टाइम बा। सब केहू आपन-आपन गोटी सेट करे में लागल बा। जू-जब वोट आवेला, नेता लोग के चाल-ढाल आ बोली-बतकही बदल जाला। साल भर लुकाइल-भुलाइल नेता लोग भादो के बेंग के नियर लउके लागेला। बेंगवन नियर ओह लोगन के बोली भी टर्र-टांय निकले लागेला। मलिकाइन ई कुल पर दीठ गड़ा के रहेली। अबकी उनका पाती में एही कुल के चर्चा बा। मलिकाइन लिखले बाड़ीः

पांव लागीं मलिकार! काली माई के किरपा, बरम बाबा के नेह आ पीर साईं के छोह से कोरना के कवनो असर अपना गांव-जवार पर अब ले नइखे परल। सभे नीक-निरोग बा। हम त जबसे सुननी कि मुंह-नाक ढाक के बाहर निकलला पर खतरा नइखे, ओही बेरा तीन गो कपड़ा के जाब (मलिकाइन मास्क के नाम कपड़ा के जाब लिखले बाड़ी) पांड़े बाबा के नतिया से कीनवा के मंगा लिहनी। बड़का-छोटका दूनू के भरसक घरहीं में ऱाखे के कोशिश करीले, बाकिर केतनो त लड़िका हउवन सन नू मलिकार। ओकनी के खेले-कूदे के मनवा त करबे करेला। जब ढर अगुता देले सन त ओकनी के मुंह जाब के दुआर पर खेले के कह दीले। हमहूं दोगहा में जब आऊ ले त मुंह जाब लीले। सुने में आइल रहे मलिकार कि हवा में कोरना घूमत बा। एही से एतना तितिम्मा करे के परत बा। का जाने कहिया ले ई ओराई।

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पांड़े बाबा भोरे-भोरे जब खबर कागज पढ़ी ले त रोजे बताई ले कि बिहार में केतना कोरना के मरीज मिलले, केतना लोग कोरना से मूअल, देस-दुनिया में कोरना के का हाल बा। ई सब सुन-सुन के मन डेरा जाला मलिकार। पांड़े बाबा काल्ह कहत रहवीं कि बिहार में अवरेज (एवरेज के मलिकाइन अवरेज लिखले बाड़ी) तीन हजार मरीज रोज मिलत बाड़े। अबही ले साढ़े चार सौ लोग कोरना से बिहार में मूअल बा।

एकरे संगे पांड़े बाबा एगो अउरी बात बतावक रहुवीं कि बिहार में बाढ़ आइल बा। आपन जवार उंचास पर बा, एह से बाढ़ त हमरा देखे के नइखे मिलल, बाकिर खवाजेपुर वाली फुआ के बड़की बेटिया बतावे ले कि हर साल घर बदले के परेला। गडक जी के कटाव अइसन होला कि कबो एइजा त कबो ओइजा, जगहा बदल-बदल के घर बनावे के परेला। टोला-टापर बदलत रहेला। अब त ऊ लोग एही से गोपालगंज में घर बना के रहत बा। सतमिया के थावे मंदिर में कराही चढ़ावे हम गइल रहनी त ऊ भेंटा गइल। ऊ बतावे लागल कि ए बहिना, बाढ़ आइल बा। पुरनका घर में पानी एतना समा गइल रहल हा कि घरे भहरा के गिर गइल। लोग के एतना तबाही बा कि केहू चिउरा फांक के दिन काटत बा त केहू बान्ह पर माल-गोरू लेके डेरा डलले बा। जेतना तबाही आदमी के खाये-पीये के बा, ओतने माल-गोरू के।

एही में पांड़े बाबा एगो अउरी बात कहत रहुवीं कि वोटवा बुझाता होइए के रही। भलहीं लोग बाढ़ आ कोरना से तबाह बा, बाकिर नेतवन के वोटवे के फिकिर लागल बा। मार रोज अफसर लोग के बदली होता। नेतवा एने से ओने आ ओने से एने आवाजाही शुरू क दिहले बाड़े सन। सात पुस्त के गाड़ल बतकही खोद-खोद के निकालत बाड़े सन। ई उनकर शिकायत त ऊ इनकर शिकायत करे में जेतना जोर जांगर में बा, सब लगा दिहले बाड़े सन।

एही में एगो बात पांड़े बाबा कवनो राम विलास पासवान आ उनकर बेटा के बतावत रहुवीं। कहत रहुवीं कि एतना दिन से नीतीश कुमार के संगे रह के ओह लोगन के कवनो कमी नीतीश में ना लउकल। बाकिर वोटवा नियराते ऊ लोग अइसन बोलत बा, बुझाता कि नीतीश से कबो कवनो लगाई-छुआई नइखे रहल। खोज-खोज के नीतीश के कमी कमजोरी बतावत-गिनवत बा लोग। ई त रउरो मानेब मलिकार कि केहू अइसन नइखे, जेकरा में कवनो कमी ना होखे। रउरो-हमरा में कई गो कमी निकल जाई। बाकिर ई देखे के चाहीं कि केकरा में कम बा आ केकरा में ढेर बा।

पांड़े बाबा बतावत रहुवीं कि राम विलास पासवान त खाली अपने घर-परिवार खातिर अबले सोचले। उनका जब बुझाइल कि फलनवां भारी पड़त बाड़े त उनकरा ओरी सट गइले। पांड़े बाबा उनकरा के घाघ कहत रहुवीं। घाघ उहे नू रहले मलिकार जे बता देस कि कब बरखा होई आ कब सुखाड़। ऊ त इहो भांप लेस कि पुरुवा कब बही आ कब पछुआ। एही से पांड़े बाबा उनका के आज के जमाना के घाघ कहत रहुवीं। हम त ई कुल सुनीले, इयाद ना राखीं, बाकिर पांड़े बाबा के कहलका इयाद परत बा। उहां के कहत रहुवीं कि चलनी हंसे सूप पर जवना में सतहत्तर गो छेद! राम विलास त अबहीं ले खाली अपने घरपरिवार के बढ़वले बाड़े। अपने मंतरी बाड़े। उनका पाटी में अपने, बेटा, भतीजा, भाई एमएलए-एमपी बा लोग। एह घरी ऊ नीतीश के पीछे हाथ धो के परल बाड़े।

जाये दीं मलिकार, एह कुल से हमनी के का लेबे-देबे के बा। हमरा माई के मौसी कवनो गोसाईं जी के एगो बात कहस- कोउ नृप होई हमें का हानी, चेरि छाड़ि ना होखब रानी। हमनी के त चार गो चोर-बेईमान भा झूठ लबार में कवनो कम बुझाव त ओकरा के खाली एगो वोट दे आवे के बा। अब न गान्ही बाबा के सुराज बा आ ना राजिंदर बाबू के राज। शास्त्री जी अइसन लोग ओरा गइल। साइकिल पर चढ़े वाला मुखमंतरी आ चंदा मांग के वोट लड़े वाला लोगो खतम हो गइल। पहिले मुखिया लोग पैदल भा साइकिल से गांवे-गांवे घूमे लोग। अब त मुखिया चुनाते फटफटिया (बाइक) आ साल बीतते चरपहिया गाड़ी मुखियवा कीन ले तारे सन। एमएलए-एमपी के त एकनी से ऊपर के लोग ह। सिने में आवेला कि कवनो पाटी से टिकट खातिर ऊ लोग पहिले लाख-करोड़ में खर्चा करेला। चुनाव लड़े खरचा पांड़े बाबा एक दिन बतावत रहनी कि पांचृदस करोड़ होता। अब रउरे बताईं मलिकार कि जेतना तनखाब एह लोग के मिलेला, ओह से बेसी त ई लोग वोट में खरच करेला। एकर माने इहे नू भइल मलिकार कि रउरा-हमरा से किसिम-किसिम के टेक्स वसूल के ई लूटत होई लोग। अंवाट-बंवाट में पाती लमहर हो गइल मलिकार। बाकी अगिला पाती में।

राउरे, मलिकाइन

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