ग्रामीण संपर्क पथों को शहरों से जोड़ बिहार में विकास की नई कवायद

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  • प्लास्टिक के कचरे का उपयोग सड़क निर्माण में किया जा रहा है
  • प्लास्टिक के उपयोग से सड़क में मजबूती भी आ रही है
  • पहले 1 किमी सड़क निर्माण पर 90 लाख की राशि खर्च होती थी, वोअब घटकर 70 लाख तक हो गई है
  • सड़कों के निर्माण में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है

पटना। बिहार में ग्रामीण सड़क निर्माण में तेजी लायी गई है। हाल ही में ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा 1959.03 करोड़ के 2096 पथों एवं 45 पुलों का शिलान्यास, 1113.30 करोड़ के 1160 पथों एवं 28 पुलों का कार्यारंभ, 1097.54 करोड़ के 853 पथों एवं 60 पुलों का उद्घाटन किया गया। हरेक गांवों, बसावटों एवं टोलों को पक्की सड़क से जोड़ने का लक्ष्य है, जिसके लिए तेजी से काम चल रहा है।वर्ष 2000 से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरु की गई, यह एक महत्वपूर्ण योजना है।जिसके द्वारा गांवों को सड़क से जोड़ने की योजना बनायी गई।राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) का काम केंद्र की स्वीकृत एजेंसियां ठीक से नहीं कर रही थीं। राज्य सरकार ने जब से जिम्मेवारी उठायी तो ग्रामीण सड़कों के निर्माण में तेजी आयी। PMGSY के द्वारा 1000 की आबादी तक के गांवों को जोड़ना लक्ष्य था। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हमलोगों ने 500 तक को जोड़ने का लक्ष्य बनाया बाद में केंद्र ने भी PMGSYने 500 की आबादी तक को लक्ष्य में शामिल कर लिया। केंद्र ने नक्सल प्रभावित गांवों के लिए इसे 250 की आबादी तक के लिए शुरु किया। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना तहत हमलोगों ने 250 से 500 की आबादी तक को जोड़ने का काम किया जा रहा है।

वर्ष 2017-18 में ग्रामीण कार्य विभाग का स्कीम मद में 8516.86 करोड़ रुपया तथा स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय में 1001.19 करोड़ रुपया यानि कुल प्राक्कलन रुपया 9518.05 करोड़ था। वर्ष 2018-19 में स्कीम मद में रुपया 9495.97 करोड़ तथा स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय में 1012.57 करोड़ रुपया यानि कुल प्राक्कलन 10508.54 करोड़ रुपया है।मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजनान्तर्गत लगभग 45504 किमी लंबाई के ग्रामीण पथों का निर्माण किए जाने हेतु प्रखंडवार राज्य कोर-नेटवर्क तैयार किया गया है। वर्ष 2017-18 में 2502.17 करोड़ रुपया के विरुद्ध माह सितंबर 2017 तक 1178.00 करोड़ रुपया व्यय करते हुए 1195.57 किमी पथ एवं 41 पुलों का निर्माण कराया गया है। राज्य के Non-IAP(एकीकृत कार्य योजना)जिलों की भांति 11 IAP जिलों में भी यह योजना प्रारंभ किया जाएगा। वर्ष 2018-19 में 9000 किमी लंबाई के ग्रामीण पथों का निर्माण कराने का लक्ष्य है। ग्रामीण टोला संपर्क निश्चय योजनांतर्गत 4643 संपर्क विहीन टोलों को पांच वर्षों में सपर्कता प्रदान करने हेतु 3977 किमी सड़क का निर्माण कराया जाएगा। वर्ष 2017-18 में  729.63 करोड़ रुपया का प्रावधान है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1500 किमी पथों का निर्माण कराने का लक्ष्य है।प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 में लगभग 999.89 करोड़ रुपए खर्च कर 2300 किमी सड़क निर्माण कराया जा चुका है तथा वर्ष 2018-19 में 1789 किमी पथों का निर्माण कराने का लक्ष्य है।ग्रामीण सड़कों/ पुलों के रख-रखाव एवं मरम्मति हेतु वर्ष 2017-18 में 900 करोड़ रुपया के विरुद्ध दिसंबर 2017 तक 433.58 करोड़ रुपया व्यय किया जा चुका है। निर्मित सड़कों का नियमित तथा आउटपुट आधारित अनुरक्षण करने हेतु बिहार ग्रामीण पथ अनुरक्षण नीति लागू किया गया है।

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आंकड़ों पर गौर करें तो उसके अनुसार 1,29,209 बसावटों में से 72,314 बसावटों को संपर्क प्रदान किया जा चुका है। शेष बचे हुए 56,133 बसावटों को संपर्कता प्रदान किया जा रहा है। सर्वेक्षण में जो भी गांव छूटे रह गए हैं उनको सड़क से जोड़ने का निर्णय मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के द्वारा अपने संसाधन से पूरा किया जाएगा। टोलों को भी पक्की सड़क से जोड़ने का काम राज्य सरकार की प्रमुखता में शामिल है, यहां  मुख्यरुप से गरीब,SC/ ST, अत्यंत पिछड़े वर्ग के लोग ज्यादा संख्या में रहते हैं।सात निश्चय के अंतर्गत हर टोले को पक्की सड़क से जोड़ना पक्की गली नाली का निर्माण हर घर नल का जल, हर घर शौचालय, हर घर तक बिजली का कनेक्शन पर काम किया जा रहा है।

इन सब कार्यों के लिए ज्यादा धनराशि की जरुरत है इसके लिए राज्य सरकार ने पांच देशों के संगठन ब्रिक्स के द्वारा स्थापित न्यू डेवेलपमेंट बैंक, वर्ल्ड बैंक के पास ऋण प्राप्ति के लिए प्रपोजल दिया। राज्य सरकार ने टोला संपर्क योजना के लिए नाबार्ड से ऑफ बजट 2800 करोड़ रुपए का ऋण 10 प्रतिशत की ब्याज दर पर लिया गया है। हाल ही में तीसरा कृषि रोड मैप 2017-22 शुरु किया गया है इसमें कृषि से संबंधित चीजों को तो शामिल किया गया है इसके अलावा ग्रामीण सड़कों का निर्माण भी कृषि रोडमैप का अंग बनाया गया है। हर गांव यदि संपर्क पथ से जुड़ जाएगा तो किसानों का पैदावार बाजार तक आसानी से पहुंच जाएगा और किसानों को उचित मूल्य प्राप्त हो जाएगा। कृषि रोडमैप का लक्ष्य है किसानों की आमदनी बढ़े। किसान से तात्पर्य कृषि कार्य से जुड़े हर उस व्यक्ति से है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 89 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है और 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका का साधन कृषि है।

पहले सड़कों के निर्माण कार्य की स्थिति काफी दयनीय थी। योजना बनाकर प्रथम चरण में गांवों को एक तरफ से पक्की सड़क से जोड़ा जा रहा है और बाद में जरुरत के अनुसार दूसरे तरफ से भी जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। ग्रामीण कार्य विभागने अपनी कार्य की क्षमता से 1 किमी पर जो 90 लाख की राशि खर्च होती थी उसको अब घटाकर 70 लाख तक लायाहै। सड़कों के निर्माण में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। प्लास्टिक के कचरे का उपयोग सड़क निर्माण में किया जा रहा है जिससे सड़क में मजबूती भी आ रही है और खर्च में भी बचत हो रही है। ग्रामीण कार्य विभाग को सड़कों के मेंटेनेंस के लिएभी सरकार योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। सड़कों के निर्माण में मेंटेनेंस पॉलिसी को अपनाया जा रहा है। सड़क आवागमन के लिए काफी महत्वपूर्ण है अतः हरेक सड़क के एक-एक इंच के मेंटेनेंस पर ध्यान देने की जरुरत है। ग्रामीण सड़कों पर भारी वाहनों का आवागमन काफी हो रहा है। निर्माण कार्य के समय से ही मजबूती का ध्यान रखना होगा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क य़ोजना के फेज-2 के तहत सड़कों का सुदृढ़ीकरण एवं चौड़ीकरण के लिए प्लान तैयार की गई है।टोला संपर्क योजना के तहत टोला को सड़क से जोड़ा जा रहा है और उसके भी मेंटेंनेंस पर उतना ही जोर दिया जा रहा है। सड़क सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण विषय है। सड़कों के निर्माण के समय से ही सड़क सुरक्षा को लेकर ग्रामीण कार्य विभाग गंभीर है। सड़क के दोनों तरफ वृक्ष लगाने की योजना से सड़क की मजबूती एवं पर्यावरण के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। तेजी से वृद्धि करनेवाले वृक्षों को लगाने से पर्यावरण को भी संतुलित किया जा सकता है।

 

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