कोरोना संकट और 20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज

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कोरोना संकट को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का किसको क्या फायदा मिलेगा। यह पैसा कहां से आएगा, यह झिज्ञासा सबके मन में है। आज ही वित्तमंत्री इस बारे में विस्तार से बताने वाली हैं। इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं आर्थिक मामलों की समझ रखने वाले संजय पाठक
कोरोना संकट को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का किसको क्या फायदा मिलेगा। यह पैसा कहां से आएगा, यह झिज्ञासा सबके मन में है। आज ही वित्तमंत्री इस बारे में विस्तार से बताने वाली हैं। इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं आर्थिक मामलों की समझ रखने वाले संजय पाठक

कोरोना संकट को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का किसको क्या फायदा मिलेगा। यह पैसा कहां से आएगा, यह झिज्ञासा सबके मन में है। आज ही वित्तमंत्री इस बारे में विस्तार से बताने वाली हैं। इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं आर्थिक मामलों की समझ रखने वाले संजय पाठक

  • संजय पाठक

भारत सिर्फ एक देश ही नहीं हैं। देश से आगे यह इस पृथ्वी का ऐसा भूभाग है, जहां सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या का छठां हिस्सा निवास करता है। यह विभिन्न संस्कृतियों व धार्मिक विचारों का एक अद्भुत समुच्चय है। भारत द्वारा उत्पादित सकल वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य (GDP – Nominal) इसे विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है, पर क्रयशक्ति समता (GDP – Purchase Power Parity) के मामले में चीन व अमेरिका के बाद भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसका संकेत साफ है कि हमारे द्वारा उपभोग किये जाने वाले वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य हमारे द्वारा उत्पादित वस्तुओं व सेवाओं के मूल्य से कहीं अधिक है और उपभोग-उत्पादन के बीच का अंतर ही सबसे बड़ा अवसर है, संभावना है, अर्थव्यवस्था को बड़ा बनाने का, आर्थिक-औद्योगिक गतिविधियों के आकार को बड़ा करने का। प्रधानमंत्री ने कल देश के नाम संबोधन में इसी अवसर की बात की थी। जाहिर है उपभोग-उत्पादन के अंतर को पाटने के लिए वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन बढ़ाने का मतलब रोजगार के नए अवसरों सहित अन्य अनेक आर्थिक गतिविधियों का सृजन भी है।

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वैश्विक महामारी कोरोना संकट को थामने के उद्देश्य से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के कारण 50 दिन से ज्यादा समय से देश की आर्थिक-औद्योगिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं। इस लॉकडाउन और उससे उपजी परिस्थितियों ने हर आम-खास को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है। सबसे बड़ा संकट देश के आर्थिक-औद्योगिक केंद्रों पर कार्यरत प्रवासी मज़दूरों व छोटे-मोटे व्यवसाय से आजीविका अर्जित करने वाले करोड़ों लोगों के समक्ष उत्पन्न हुआ है।

क्रामवार बीत चुके तीन और संभावित चौथे लॉकडाउन के चलते लगभग थम-सी गयी आर्थिक-औद्योगिक गतिविधियों को गतिशील करने व करोड़ों लोगों के समक्ष उत्पन्न आजीविका के संकट से पार पाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, जो देश की वर्तमान GDP का तकरीबन 10 प्रतिशत के आसपास है।

वैसे तो अब से कुछ ही समय बाद वित्तमंत्री इस भारी-भरकम आर्थिक पैकेज के रूप-स्वरूप व उसके क्रियान्वयन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने वाली हैं, पर अनुमान यह है कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज में पूर्व में रिज़र्व बैंक व वित्त मंत्रालय द्वारा घोषित लगभग आठ लाख करोड़ रुपये भी शामिल हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह पैकेज लगभग 12 लाख करोड़ का रह जाएगा। अगर पूर्व में घोषित रियायतें इसमें शामिल नहीं की जाती हैं तो निःसंदेह यह पैकेज ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों के लिए संजीवनी साबित होगा।

सवाल उठ रहा है कि कोरोना संकट से उत्पन्न स्थितियों से निपटने के लिए यह 20 लाख करोड़ आएगा कँहा से? और इससे लाभ किसे मिलेगा? वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले विस्तृत विवरण से इन सारे सवालों के जवाब अपेक्षित है। पर, यहां यह स्पष्ट कर देना समीचीन है कि 20 लाख करोड़ का यह पैकेज भौतिक रूप में किसी को दिया नहीं जाना है, अतः वह आएगा कहां से, यह प्रश्न ही अनपेक्षित हो जाता है। वस्तुतः यह पैकेज करों में लंबे समय के लिए छूट, ब्याज देनदारियों में छूट, ऋण माफी (कृषकों तथा कुटीर उद्योगों, स्वयंसेवा समूहों, सूक्ष्म व लघु उद्यमियों का) तथा नई आर्थिक-औद्योगिक गतिविधियों को शुरू करने के किये वित्तीय सहायता के रूप में हो सकता है।

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