उच्च शिक्षा के मामलों का त्वरित निष्पादन का गवर्नर का निर्देश

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विश्वविद्यालयों की समीक्षा करते राज्यपाल
विश्वविद्यालयों की समीक्षा करते राज्यपाल

राजभवन में पहले जन-विमर्शकार्यक्रम में कई मामले निष्पादित 

पटना उच्च शिक्षा के मामलों का तव्रित निष्पादन का गवर्नर ने निर्देश दिया है। राजभवन में आज आयोजित पहले ‘जन-विमर्श’ कार्यक्रम में कई मामले निष्पादित भी हुए। राज्यपाल श्री लाल जी टंडन के निदेशानुसार राज्य के विश्वविद्यालयों के अन्तर्गत विद्यार्थियों, शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मियों या किसी आमजन की विश्वविद्यालय से संबंधित विभिन्न समस्याओं एवं उनसे जुड़े मामलों के निष्पादन के लिए प्रथम ‘जन-विमर्श’ कार्यक्रम का आज आयोजन किया गया। राज्यपाल ने प्रत्येक महीने एक दिन ‘जन-विमर्श’ का विशेष कार्यक्रम आयोजित करने का निदेश दिया है, जिसमें तीन विश्वविद्यालयों के 15-15 मामलों पर सुनवाई करते हुए उनके तत्काल निष्पादन के प्रयास किए जायेंगे।

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इस क्रम में आज राज्यपाल श्री टंडन ने प्रथम ‘जन-विमर्श’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय-प्रशासन को छात्र-हितों को सर्वोपरि मानते हुए उनके कार्यों को प्राथमिकतापूर्वक निष्पादित करना होगा। श्री टंडन ने कहा कि छात्रों की पढ़ाई, उनके परीक्षाफल के प्रकाशन और नियमित तौर पर डिग्री-वितरण में जो भी विश्वविद्यालय-प्रशासन के अधिकारी लापरवाही बरतेंगे, उनके विरूद्ध सख्त अनुशासनिक कार्रवाई होगी। राज्यपाल ने कहा कि प्राप्त शिकायतों पर या तो विश्वविद्यालयीय अधिकारी स्वयं नियमानुरूप आवश्यक त्वरित कार्रवाई करें, नहीं तो स्वयं राजभवन की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें।

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राजभवन अब मामलों के त्वरित निष्पादन पर जोर देते हुए, संबंधित विश्वविद्यालय-प्रशासन से सक्रियता और संवेदनशीलता की उम्मीद करेगा। राज्यपाल ने ‘जन-विमर्श’ कार्यक्रम में आज कहा कि मामलों को लटकाये रखने से पारदर्शिता बाधित होती है और लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएँ पैदा होती हैं। इसलिए, किसी भी मामले के निष्पादन में अनावश्यक विलम्ब नहीं होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि ‘जन-विमर्श’ कार्यक्रम के तहत पुराने गंभीर प्रकृति के मामलों का त्वरित निष्पादन कराते हुए जून के उत्तरार्द्ध से आॅनलाईन अभ्यावेदन भी आमंत्रित किया जाना चाहिए।

आज के ‘जन-विमर्श’ कार्यक्रम में बाबासाहेब भीमराव अम्बेदकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णिया एवं भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा से जुड़े विभिन्न मामलों की सुनवाई की गई। इस कार्यक्रम में इन तीनों विश्वविद्यालयों के कुलपति क्रमशः डा॰ अमरेन्द्र नारायण यादव, डा॰ राजेश सिंह एवं डा॰ अवध किशोर राय उपस्थित थे। कार्यक्रम में राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री विवेक कुमार सिंह, संयुक्त सचिव श्री विजय कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी (न्यायिक) श्री फूलचंद चैधरी एवं विशेष कार्य पदाधिकारी (विश्वविद्यालय) श्री अहमद महमूद आदि भी उपस्थित थे।

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आज जन-विमर्श कार्यक्रम में भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुल 12, बी॰आर॰ए॰ बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुल 15 तथा पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुल 13 मामलों की सुनवाई की गई। एक मामले में सुनवाई के क्रम में बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि अभ्यावेदिका श्रीमती शशि कुमारी सिंह (एल॰एस॰ कालेज, मुजफ्फरपुर) की प्रोन्नति संबंधी मामले पर विश्वविद्यालय निश्चित रूप से विचार करेगा, यदि वे 1995 के पूर्व ‘कालबद्ध प्रोन्नति योजना’ या 2001 के बाद मेरिट प्रोमोशन या ‘सी॰ए॰एस॰’ के तहत प्रोन्नति के लिए अभ्यावेदन देती हैं। कुलपति को आवेदन-प्राप्ति के बाद शीघ्र नियमानुरूप आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया।

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इसी तरह, पूर्णिया विश्वविद्यालय के अंतर्गत शिक्षक संघ की एड-हाक कमिटी द्वारा संयोजक डा॰ मो॰ वसी अहमद के नेतृत्व में शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा दिए गये प्रोन्नति के उपरांत वेतन-निर्धारण विषयक अभ्यावेदन को यह कहते हुए निष्पादित किया गया कि इन शिक्षकों के पैतृक विश्वविद्यालय बी॰एन॰मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा द्वारा निर्गत प्रोन्नति विषयक अधिसूचना के आलोक में संबंधित अभिलेखों की छायाप्रति प्राप्त करते हुए यथाशीघ्र आवश्यक अग्रेत्तर कार्रवाई कुलपति, पूर्णिया विश्वविद्यालय द्वारा की जायेगी। कुलपति, पूर्णिया विश्वविद्यालय को कहा गया कि निर्गत प्रोन्नति विषयक अधिसूचना के आलोक में वेतन-निर्धारण की कार्रवाई 30 जून तक सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के एक मामले के निस्तारण के क्रम में अभ्यावेदक श्री मोहनी मोहन खाँ (उपाचार्य, आर॰एम॰ काॅलेज, सहरसा) को कुलपति द्वारा बताया गया कि उनके बकाये वेतन में 28.57 लाख रू॰ का भुगतान विश्वविद्यालय द्वारा किया जा चुका है, जबकि 40.73 लाख रू॰ के उनके दावे को राज्य सरकार को विचारार्थ अग्रसारित कर दिया गया है। कुलपति को राज्य सरकार से यथापेक्षित दिशा-निर्देश मिलते ही शीघ्र आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया।

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आज के अधिकतर अभ्यावेदनों में प्रोन्नति, अनुकंपा नियुक्ति, बकाया-भुगतान, प्रमाण-पत्र वितरण में विलंब, वेतन-विसंगति-निराकरण, सेवा-समंजन, निविदा-निष्पादन में अनियमितता, न्यायिक आदेशों के अनुपालन में विलम्ब, सेवा नियमितीकरण मंे विलंब आदि से जुडे़ मामले ही निस्तारण हेतु उपस्थापित थे। आज उपस्थापित सभी 40 मामलों में सुनवाई पूरी करते हुए संबंधित विश्वविद्यालयों को आवश्यक निदेश प्रदान कर दिये गये। ज्ञातव्य है कि 19 जून, 2019 को दूसरा ‘जन विमर्श’ कार्यक्रम राजभवन में आयोजित होगा, जिसमंे आर्यभट्ट विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय तथा जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा से जुड़े मामलों पर सुनवाई होगी।

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