अल्पसंख्यक महिलाओं के हित लिए प्रतिबद्ध है केंद्र सरकार: भाजपा

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पटना। बिहार प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता व पूर्व विधायक राजीव रंजन ने सरकार को अल्पसंख्यक महिलाओं के विकास तथा सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध बताते हुए, उनके हित में किए गए कार्यों का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा, “ वर्तमान सरकार के आने से पहले अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं की क्या स्थिति थी यह किसी से छुपी नही है, लेकिन प्रधानमंत्री के सत्ता में आने के बाद इनकी स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आया है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ के अपने संकल्प के तहत केंद्र ने तमाम ऐसे कदम उठाएं हैं, जिससे अल्पसंख्यक महिलाओं का समावेशी विकास हो रहा है।

अल्पसंख्यक महिलाओं के आत्मसम्मान और गरिमा की रक्षा के लिए पहली बार संसद में तीन तलाक कानून लाने का श्रेय इसी सरकार को जाता है। वहीं हज यात्रा में मेहरम की अनिवार्यता समाप्त करने का काम भी इसी सरकार ने किया है। मेहरम की अनिवार्यता समाप्त होने से मुस्लिम समाज की महिलाएं अब अकेले भी हज जा सकती हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए केंद्र द्वारा शुरू किए गए मुद्रा योजना और स्टार्ट-अप इंडिया योजना का भी महिलाओं को बड़ा फायदा मिला है।

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मुद्रा योजना के तहत लाभ पाने वालों में तकरीबन 70% महिलाएं हैं, वहीं इन दोनों योजनाओं को मिलाकर महिला लाभार्थियों की संख्या 9 करोड़ से भी ज्यादा हो गयी है। इसमें अल्पसंख्यक समाज की भी लाखों महिलाएं शामिल हैं। कामकाजी महिलाओं के हितों को देखते हुए केंद्र ने मातृत्व अवकाश को बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया है, वहीं अकेली माताओं को पासपोर्ट बनवा सकने की रियायत दे दी गयी है। अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज केंद्र खास इनके कौशल विकास के लिए अलग से ‘सीखो और कमाओ’, ‘नयी रौशनी’ और ‘नयी मंजिल’ जैसी योजनाएं चला रही है, जिससे आज लाखों महिलाओं के सपने सच हो रहे हैं।”

कांग्रेस-राजद को निशाने पर लेते हुए श्री रंजन ने आगे कहा, “ कांग्रेस-राजद ने अपने आज तक के शासनकाल में कभी भी अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं के विकास पर सोचा तक नही, बल्कि हमेशा एक दोहरा रवैया अपनाए रखा। अपनी इसी नीति पर चलते हुए तीन तलाक के मुद्दे पर इन दोनों दलों का रवैया पूरे देश ने देखा। राजद जहां शुरुआत से ही महिलाओं के हित को दरकिनार कर इस मुद्दे पर कट्टरपंथियों के आगे झुकी नजर आयी, वहीं कांग्रेस ने लोकसभा में दिखावे के लिए इस बिल का समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में अपने संख्याबल का फायदा उठाते हुए इस बिल को रोक दिया। हकीकत में इन दोनों दलों के सामने पिछड़े/अतिपिछडे़ समाज के लोग तथा मुस्लिम महिलाओं का महत्व सिर्फ वोट बैंक का है। ये दोनों दल इसी चक्कर में रहते हैं कि ये लोग कभी आगे नहीं बढ़ें, जिससे भावनात्मक रूप से इनका दोहन किया जा सके।”

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