अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता का निधन, नीतीश-सुशील ने जताया शोक

0
382
यह स्वीकार करना कि शैबाल गुप्ता नहीं रहे, मेरे लिए कितना दुखद है, कैसे कहूँ। दशकों से हम मित्र रहे। इतनी यादें और संस्मरण हैं, जिन्हें लिखना मुश्किल होगा।
यह स्वीकार करना कि शैबाल गुप्ता नहीं रहे, मेरे लिए कितना दुखद है, कैसे कहूँ। दशकों से हम मित्र रहे। इतनी यादें और संस्मरण हैं, जिन्हें लिखना मुश्किल होगा।

पटना। अर्थशास्त्री और सेंटर फार इकोनामिक पालिसी एंड पब्लिक फाइनेंस के निदेशक शैवाल गुप्ता का आज निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा दुख प्रकट किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शैवाल गुप्ता ने देश-दुनिया के कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वे आद्री के सदस्य सचिव भी थे। उन्होंने बिहार में वित्त आयोग के सदस्य के साथ ही कई संस्थाओं को अपने अनुभवों से लाभ पहुंचाया।

बिहार के आर्थिक-सामाजिक विकास में शैवाल गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान है

राज्य के प्रमुख अर्थशास्त्री, आर्थिक-सामाजिक मामलों के जानकार व बुद्धिजीवी डा. शैवाल गुप्ता के निधन पर पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने गहरा शोक व्यक्ति करते हुए कहा है कि डा. गुप्ता के निधन से बिहार को अपूरणीय क्षति हुई है।

- Advertisement -

श्री मोदी ने कहा कहा है कि प्रतिवर्ष आम बजट से पूर्व वित्त विभाग की ओर से प्रकाशित होने वाली आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट डा. गुप्ता और उनकी संस्था ‘आद्री’ के विशेषज्ञों द्वारा ही बिहार के विभिन्न आर्थिक व सामाजिक मानदंडों के गहन अध्ययन के आधार पर तैयार किया जाता था। उनकी संस्था आद्री की बिहार ही नहीं राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान है। अर्थ विशेषज्ञ व बुद्धिजीवी होने के नाते डा. गुप्ता की भी राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति थी।

डा. गुप्ता की पहल पर ही वित्त आयोग को सर्वदलीय प्रतिवेदन देने की परम्परा शुरू हुई, जिसमें बिहार के विभिन्न मुद्दों को रेखांकित कर आयोग से धन की मांग की जाती थी। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों चाहिए, इसपर भी डा. गुप्ता ने एक प्रमाणिक दस्तावेज तैयार कर इस मांग को बल दिया था। इसके अलावा आईजीसी (इंटरनेशनल ग्रोथ संेटर) की स्थापना कर डा. गुप्ता राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार आदि आयोजित करते रहे हैं। आर्थिक-सामाजिक मुद्दों पर उनकी टिप्पणी का विशेष महत्व होता था।

यह भी पढ़ेंः आलोक तोमर को कुछ इस तरह याद किया हरीश पाठक ने(Opens in a new browser tab)

- Advertisement -