- वीर विनोद छाबड़ा
तू ही सागर है तू ही किनारा, ढूँढता है तू किसका सहारा…संकल्प (1975) के इस गाने की गायिका सुलक्षणा पंडित थीं। उन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर अवार्ड मिला था। इससे पहले वो राजश्री प्रोडक्शंस की ‘तक़दीर’ (1967) में लता जी के साथ ‘सात समंदर पार से गुड़ियों के बाजार से अच्छी सी गुड़िया लाना…’ गा चुकी थीं। बेकरार दिल तू गाए जा, खुशियों से भरे वो तराने… दूर का राही (1971) का ये गाना उन्होंने किशोर कुमार के साथ गाया था, जिसे अशोक कुमार और तनूजा पर फिल्माया गया।
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इसी फिल्म में हेमंत कुमार ने भी एक गाना गाया था- चलती चली जाए जिंदगी की डगर खत्म न हो ये डगर…इसकी रिकॉर्डिंग के दौरान उन्होंने सुलक्षणा को देखा और सलाह दी, तुम वास्तव में बहुत सुंदर हो, गाने के साथ साथ एक्टिंग भी करो तो बहुत कामयाब होगी। वाकई सुलक्षणा बहुत सुंदर थीं, तीखे नैन-नक्श। कलाकारों के घराने से उनका ताल्लुक था। पिता प्रताप नारायण पंडित क्लासिकल गायक थे। चाचा पंडित जसराज तो जाने माने गायक थे, पद्मश्री से सम्मानित। बड़े भाई मनधीर पंडित भी गायक थे।
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पिता के देहांत के बाद सुलक्षणा पर ही परिवार की जिम्मेदारी आ गयी। अंततः उन्हें एक्टिंग की दुनिया में कदम रखना ही पड़ा। पहली फिल्म मिली मिस्ट्री थ्रिलर ‘उलझन’ (1975), जिसमें इंपेक्टर संजीव कुमार एक कातिल की तलाश में हैं और वो कातिल उसके घर में था, उनकी पत्नी सुलक्षणा। मगर वो वास्तव में कातिल नहीं है, पर कह नहीं सकती, क्योंकि वो किसी और को बचा रही है, जो उसका अपना है।
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इस काम्प्लेक्स कॅरेक्टर को सुलक्षणा ने बहुत खूबसूरती से जीया। फिल्म हिट हुई और सुलक्षणा भी। मार्किट में सुलक्षणा की चारों तरफ से डिमांड होने लगी। अपनी समकालीन नायिकाओं हेमा मालिनी, परवीन बॉबी, रीना राय से आगे निकलने की रेस भी शुरू हो गयी। संकल्प, राजा, सलाखें, हेरा-फेरी, शंकर शंभू, बंडलबाज़, अपनापन, कसम खून की, थीफ ऑफ़ बगदाद, फांसी, अमर शक्ति, खानदान, गरम खून, चेहरे पर चेहरा, धर्मकांटा, दिल ही दिल में, वक़्त की दीवार, मददगार, दो वक़्त की रोटी आदि करीब दो दर्जन फ़िल्में मिलीं। उनके हीरो रहे, राजेश खन्ना, संजीव, विनोद खन्ना, जीतेंद्र, ऋषि कपूर, शशि कपूर आदि उस दौर के टॉप स्टार।
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हालांकि सुलक्षणा बहुत अच्छी कलाकार थीं, मगर त्रासदी देखिये कि वो अपनी प्रतिभा के लिए नहीं बल्कि संजीव कुमार से बेसाख़्ता मोहब्बत के कारण ज़्यादा चर्चा में रहीं जबकि संजीव फ़िदा थे हेमा मालिनी पर, जिनको लेकर उनके दिल में मीठा मीठा दर्द उठता और अपने इन अनुभवों को वो सुलक्षणा से शेयर करते थे। सुलक्षणा उन्हें ढांढ़स बंधाती, एक दिन हेमा ज़रूर आपकी बाहों में होगी। इसी हमदर्दी के दौरान उन्हें पता ही नहीं चला कि वो कब संजीव को दिल दे बैठीं। मगर एक दिन संजीव का दिल टुकड़े टुकड़े हो गया। हेमा मालिनी ने उनके प्रेम को ठुकरा दिया, बल्कि धिक्कार दिया। सुलक्षणा को लगा कि अब संजीव उन्हें मिल जाएगा। लेकिन अफ़सोस कि संजीव भूल नहीं पाए हेमा को, ठुकराए जाने के सदमे से उबर नहीं पाए। उन्होंने सुलक्षणा को ठुकरा दिया।
कुछ का कहना है कि संजीव हार्ट के मरीज थे, इसलिए उन्होंने सुलक्षणा को मना कर दिया था। कुछ भी हो सुलक्षणा के लिए ये बहुत बड़ा आघात साबित हुआ। वो गहरे डिप्रेशन में चली गयीं। खुद को तन्हाई में क़ैद कर लिया। इसी बीच संजीव कुमार का 5 नवंबर 1985 को अचानक हार्ट फेल हो गया। सुलक्षणा को मानो डबल आघात लगा। उनकी स्मरण शक्ति भी क्षीण हो गयी। लोग भूलने लगे। कौन सुलक्षणा?
बरसों बाद एक दिन फिर सुलक्षणा चर्चा में आयी जब उनके फ्लैट पर बिकाऊ का बोर्ड लगा देखा गया। कोई खरीदने को तैयार नहीं हुआ। टूटा-फूटा और बदबूदार फ्लैट भला कौन खरीदे? सुलक्षणा की कुछ शर्तें भी ऐसी थीं कि कोई आगे बढ़ने को तैयार नहीं हुआ। उनके संगीतकार छोटे भाई जतिन-ललित ने भी कोई रुचि नहीं दिखाई। लेकिन जिसका कोई नहीं उसका ऊपर वाला, जिसके इंसाफ़ का कोई जवाब नहीं होता। एक दिन अपनापन, संकोच, खानदान, मददगार, धर्मकांटा आदि अनेक फिल्मों में उनके हीरो रहे जीतेंद्र को सुलक्षणा की बदहाली की ख़बर मिली तो उन्होंने उनकी छोटी बहन विजेता (लव स्टोरी और मोहब्बत की हीरोइन) के पति संगीतज्ञ आदेश श्रीवास्तव को राजी किया कि वो सुलक्षणा का फ्लैट खरीद लें, उन पर चढ़े उधार को चुकता करें और उसे अपने पास भी रखें।
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इसके बाद सुलक्षणा की ज़िंदगी बदल गयी। अब ये एक अलग ट्रेजडी है कि कुछ साल बाद 2015 में आदेश श्रीवास्तव का कैंसर से निधन हो गया। इससे पहले 2012 में सुलक्षणा की एक अन्य बहन संध्या का मर्डर हो गया था जिसके लिए उनके ड्रग एडिक्ट बेटे को गिरफ्तार किया गया। बहरहाल, खबर है कि 65 साल की हो चुकी सुलक्षणा अपनी बहन विजेता के साथ रहती है और ठीक है मगर कभी कभार ही पब्लिक लाइफ में दिखती हैं। कुछ साल पहले विजेता ने सुलक्षणा की दुर्दशा के लिए संजीव कुमार की बेवफ़ाई को ज़िम्मेदार ठहराया था, मगर करीब दो साल पहले एक रेडियो इंटरव्यू में सुलक्षणा को कहते सुना गया था कि संजीव कुमार उनका पहला और सच्चा प्यार थे।
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