मलिकाइन के पाती- जइसन देवता, ओइसन पूजा

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पावं लागीं मलिकार। हम एतना जल्दी पाती पठावे ना चाहत रहनी हां, बाकिर मन खौंजिया गइल रहल हा। एही से तीने दिन बाद पाती पठावत बानी। ए मलिकार, रउरा तनी हमरा के समझाईं, हम बूझ नइखीं पावत। एतना उमिर हो गइल हमनी के। एह घरी जवन जात-पात के बतकही सुने-जाने के मिल रहल बा, का रउरा एकरा पहिले अइसन कबो देखले-सुनले रहनी हां। जात-धरम त आज से नइखे। एह घरी काहें एतना एकरा के लेके हल्ला-हुरदुंग मचल बा।

मलिकाइन के पाती ः पलिहर के बानर बनले बराती

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पांड़े बाबा कई दिन से खबर पढ़ के सुनावत बानी, जवना में सवरन (सवर्ण)-दलित, पिछड़ा-अतिपिछड़ा, कीरमी लहर (क्रीमी लेयर) जइसन बतकही रोजे होखत बा। पुरनिया लोग के टाइम में अइसन बतकही होत रहे का। नान्ह जात (दलित-पिछड़ा) आ बड़ जात (सवर्ण) के बात त लोग बतावे ला, बाकिर नान्ह जात में एतना खांचा बन गइल बा कि लोग ओही के सांच मानत बा, पहिलका सब झूठ। बाबा के बुढ़वा मउसा जी अपना घरे आईं त उहां के खटिया फरका बिछावल जाव। उहां के जरी केहू नान्ह जात ना जाव। सामने बइठे के त केहू सोचबे ना करे। उहों का जब सुराजी भइनी त बदल गइनी। एतना दिन बाद एह कुल बतकही के कवन मतलब बा।

मलिकाइन के पाती- नून, खून, कानून में सस्ता सबसे खून

कबो होता कि आदिवासी-हरिजन लोग केस करी त बिना जांच कइले, पहिले ओह आदमी के पकड़ल जाई, जेकरा पर केस भइल रही। दिल्ली वाली बड़की कचहरी कहलस कि ना, पहिले जांच होई आ जांच में ममिला सही पवला पर पकड़ के जेल भेजल जाई। सुने में आइल कि एकरा के दिल्ली वाली सरकार बदल दिहलस आ कानून बदल दिहलस। ई हमरा ना बुझाइल मलिकार कि अबही ले लोग बड़की कचहरी पर भरोसा करत रहल हा। सरकार से ऊपर ओकर दरजा दिहल गइल बा। पांड़े बाबा बतावत रहवीं कि दिल्ली वाली सरकार कानून एह से बदल दिहलस कि अइसन लोग के वोट ओकरा मिल जाई। एने सवरऩ लोग एही खातिर खिसिया गइल बा। केहू कहत बा कि अबकी वोट सोच-समझ के होश में दिहल जाई। जे हमनी के हिफाजत करी, ओकरे के दिआई।

मलिकाइन के पातीः बाप रे, बिहार में बाग के बाग कुलबांसी

काल्ह टोला पर के कवलेसरी काकी आइल रहवी। उनकर बेटा दरोगा हो गइल बा। उहो कहत रहवी कि ए बहुरिया, जुग-जमाना बड़ा खराब हो गइल बा। वोट खातिर ई नेतवा भाई-भाई के लड़ा दिहें सन। दुनिया तरक्की करत बा। चान पर लोग जाके हगत-मूतत बा। जेकरा के अबही ले हमनी चान गोसाईं कहत रहनी, ओइजा लोग बसे के तेयारी कर रहल बा। अइसन टाइम में केहू जात-धरम के बतकही करे आ एकरा खातिर लोग के बांटे, ई नीमन लच्छन नइखे बुझात। ई त बढ़िया बा बहुरिया कि लड़िकवा पढ़-लिख गइल बाड़े सन त ओकनी के धेयान एई पर कम जाता, बाकिर अनपढ़ लोग के त नेतवन के ई चाल बुझात नइखे। ऊ लोग हरबोलिया अइसन कबो मोदी जी, कबो लालू जी, कबो नीतीश जी त कबो राहुल जी कइले रहता। बाकिर बूझ जाईं बहुरिया के हम अपना बाबू के समझा दिहले बानी। हम त साफ बता दिहनी कि ए बाबू, तोहरा पढ़ाई में मुनेसर मिसिर पंडीजी के बड़ी मदद रहल बा। तोहरा दरोगई के फारम भरे के रहे त उहें से नू पइसा ले आइल रहनी। तोहार नोकरी भइल त उहें का तोहरा दुआरी आइल रहनी आ जवन कहनी, ओकरा के कबो मत भुलइह। उहां के कहले रहनी बहुरिया कि ऊंच-नीच, नान्ह जात-बड़ जात बन के केहू पैदा ना होला। अपना-अपना करम से ओकरा के बोलावल जात रहे। तूं दरोगा बन गइल बाड़ त अब केहू तोहरा के जात के नाम से ना बोलाई। एह से कि तोहार करम बदल गइल बा। केहू का संगे जात-पात में बांट के कवनो काम मत करिह। सउंसे गांव में उहां के मिठाई बंटववले रहनी। अब रउरे बताईं बहुरिया कि केहू कुछऊ कहे, हम उहां के गियान के बात भुला सकीले।

मलिकाइन के पातीः दारू छूटल, झगड़ा-लफड़ा ओराइल

जानत बानी मलिकार, हमरा त एह नेतवन से एतना नफरत हो गइल बा कि एकनी के सुधारे खातिर एके गो उपाय लउकत बा। कवनो पाटी-पउवा के धेयान में नइखे राखे के। जे हमनी के बीच के आदमी होखे, हमनी संगे दुख-सुख में खड़ा रहे वाला होखे, ऊ कवनो पाटी के होखे, वोट ओकरे के दिआव। ई लोग टेकुआ अइसन सोझ हो जाई। रोटी-बेटी के रिस्ता बिना कवनो जात-पात देखले कइल जाव। जात-पात अइसही ओरा जाई। हमरा एगो कहाउत इयाद आवत बा- जइसन देवता, ओइसन पूजा।

मलिकाइन के पाती- कोउ नृप होई हमें का हानी, चेरी छोड़ ना होखब रानी

पाती लमहर लिखवा दिहनी मलिकार। आपन खेयाल राखेब। ओइसहूं रउआ ई कुल ना मानी ले।

राउरे, मलिकाइन

 

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