रांची। कोरोना की रिपोर्टिंग में मीडिया पर दुमका उपायुक्त ने कई तरह की पाबंदी लगा दी है। उल्लंघन पर केस करने की चेतावनी भी दी है। इसको लेकर तीखी आलोचना हो रही है। दुमका उपायुक्त राजेश्वरी बी ने जिले में 2 कोरोना पॉजिटिव मरीज की पुष्टि करते हुए सभी प्रिंट मीडिया, इलेट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया के एडमिन एवं आमजनों से अनुरोध किया है कि किसी प्रकार का कोरोना पॉजिटिव मरीज की जानकारी का खुलासा नहीं करेंगे। मरीज का नाम, पता, फोटो, गांव का नाम, परिवार वालों की फोटो आदि की जानकारी प्रकाशित नहीं करेंगे। मरीज की किसी प्रकार की सूचना किसी भी परिस्थिति में सार्वजनिक नहीं करेंगे, अन्यथा उन पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।
बाबूलाल मरांडी ने आपत्ति जतायीः भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उन्हें ज्ञात हुआ है कि दुमका जिला प्रशासन द्वारा जिले में मिले कोरोना संक्रमित मरीजों का पता और गांव सार्वजनिक नहीं करने का दबाव बनाया जा रहा है। बकायदा जिला प्रशासन ने इससे संबंधित एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। कोरोना पीड़ित का नाम सार्वजनिक नहीं करना, यह तो समझ में आता है, पर गांव का नाम भी प्रकाशित नहीं करने की बात सीधे तौर पर प्रसे की स्वतंत्रता पर सरकार का हमला है। झारखंड में ही अब तक जितने मामले आये या देश के किसी भी हिस्से में गांव का नाम उजागर करने में कहां रोक है? फिर तो हिन्दपीढ़ी सहित उन तमाम जगहों का नाम, जहां कोरोना पीड़ित मिले हैं, जिन लोगों ने सार्वजनिक किये हैं, सब पर आपदा प्रबंधन की सुसंगत धाराओं में मुकदमा होना चाहिए? दुमका प्रशासन की विज्ञप्ति से तो यही लगता है।
रांची प्रेस क्लब ने निंदा कीः दुमका के उपायुक्त द्वारा पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने के लिए दिए गए निर्देश को पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए रांची प्रेस क्लब ने इसकी कड़ी शब्दों में निंदा की है। रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने कोरोना से संबंधित रिपोर्टिंग के लिए दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी बी द्वारा दिए गए निर्देश और कानूनी कार्रवाई की धमकी की निंदा की है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को दुमका के उपायुक्त से रिपोर्टिंग करने की सीख लेने की जरूरत नहीं है। पत्रकार कानून और अपनी सीमाएं जानते हैं।
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उन्होंने कहा कि दुमका के उपायुक्त को भी अपनी सीमा में रहना चाहिए। जिले में कोरोना के दो मामलों का समाचार आते ही उपायुक्त ने अपना आपा खो दिया और उच्च न्यायालय के निर्देशों और कानून से अपने को ऊपर मानते हुए पत्रकारों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना चाहती हैं। कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर उपायुक्त पत्रकारों की स्वतंत्रता का हनन करना चाहती हैं। यह निंदनीय प्रयास है।
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