10 जुलाई तक यूनिवर्सिटी के शिक्षकों व कर्मियों को वेतन-पेंशन

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बैठक करते उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी
बैठक करते उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी

पटना। 10 जुलाई तक यूनिवर्सिटी के शिक्षकों व कर्मियों को वेतन-पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करने का आदेश बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दिया है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में उनके सचिवालय स्थित कक्ष में शिक्षा विभाग की हुई समीक्षा बैठक में 10 जुलाई तक सीएफएमएस के तहत डाटा प्रविष्ट कर सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों व कर्मियों के वेतन व पेंशन भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

मालूम हो कि वित विभाग की ओर से मार्च से मई तक के वेतन व पेंशन मद में कुल 453.87 करोड़ (वेतन के लिए 259.51 करोड़ व पेंशन मद में 194.36 करोड़) रुपये निर्गत किए जा चुके हैं। बैठक में शिक्षा विभाग की ओर से प्रधान सचिव आरके महाजन व वित विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ मौजूद रहे।

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श्री मोदी ने बताया कि सभी विश्वविद्यालयों को यह भी निर्देश दिया गया है कि 7 वें वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर वेतन व पेंशन मद की राशि का आकलन कर स्टीमेट विभाग को शीध्र उपलब्ध कराएं, ताकि उसके अनुरूप राशि निर्गत कर सभी शिक्षकों व कर्मियों को 7 वें वेतनमान का लाभ दिया जा सके।

वित्त सचिव ने बताया कि राशि की कोई कमी नहीं है। अनेक विश्वविद्यालय, जिनमें मगध, वीरकुंवर सिंह, आरा, पूर्णिया, जयप्रकाश विवि, आरा व बीएन मंडल विवि, मधेपुरा आदि को निर्देश दिया गया है कि अतिरिक्त मानव बल का इस्तेमाल कर 10 जुलाई के पूर्व कार्यरत शिक्षकों व कर्मियों का डाटा सीएफएमएस में प्रविष्ट कर उनका वेतन व पेंशन भुगतान सुनिश्चित करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि पेंशनभोगी के लिए सीएफएमएस में डाटा प्रविष्टि आवश्यक नहीं है।

इधर सुशील  मोदी ने अपने ट्वीट में कहा है कि केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय को इकाई मान कर रिजर्वेशन देने संबंधी अध्यादेश को संसद से पारित करा लिया, जिससे दलितों-पिछड़ों को पूरा न्याय मिलेगा। इसके साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 7000 पदों पर भर्ती का रास्ता साफ हो गया। इस विधेयक की मंजूरी से एनडीए सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलटने में कामयाब रही, जिसमें विभागवार रिजर्वेशन देने की बात कर दलित-पिछड़े वर्ग को न्याय से वंचित रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर जो लोग सरकार की दमदार पैरवी और मंशा पर सवाल उठा कर दलितों को भड़का रहे थे, वे संसद में बिल पास होने पर चुप क्यों हो गए? श्री मोदी ने केंद्रीय संस्थानों में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री को बधाई दी है।

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एक अन्य ट्वीट में श्री मोदी ने कहा है कि जब कांग्रेस और राजद दोनों ही परिवारवादी दल हैं, तब कांग्रेस की यह अपेक्षा स्वाभाविक है कि लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेकर राहुल गांधी की तरह तेजस्वी प्रसाद यादव को भी अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। हार के बाद 33 दिनों तक जनता के बीच अनुपलब्ध रहना, पांच दिन तक विधानसभा की कार्यवाही में शामिल न होना, पारिवारिक पावर वार के तनाव और  बीमारी जैसी बातें उनके पद पर बने रहने के प्रतिकूल जाती हैं, लेकिन उनका अहंकार अब भी बोल रहा है। बात-बात पर दूसरों से इस्तीफा मांगने वालों को कभी खुद भी नजीर बनना चाहिए।

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