वही सबके घर की घंटी बजाते हैं, और फिर होता है यह काम

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  • अजय पांडेय

आप इस वाक्य का नकारात्मक अर्थ न निकालें, क्योकि आमतौर पर “घंटी बजाना” का मतलब किसी को मुसीबत में डालना भी होता है। लेकिन वह सुबह-सुबह सबके घर  घंटी बजा कर, उन्हें उठाते हैं और कॉलोनी के पार्कों में पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते हैं।

मैं अभी सोया हीं था कि दनादन कॉल बेल बजने लगी। उठ कर गया तो जनाब मुस्कुराते हुए खड़े थे। गुड मार्निंग किया और कह, ” अंकल,  अभी तक सोये हैं, चलिये पौधे लगाने।” मैं जल्दी-जल्दी तैयार हुआ और उनके साथ हो लिया।

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जो भी पहुँचा, सबने बताया कि इन्ही जनाब ने  कॉल बेल बजा कर उन्हें उठाया है। जानिएगा नहीं कि ये जनाब हैं कौन। ये एक नन्हे पर्यावरण प्रेमी हैं, जिन्हें पौधे लगते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है  और जिस दिन सुन लेते हैं कि कल पौधे लगने हैं, एक्साइटमेंट में रात भर सो नहीं पाते और सुबह होते हीं सबको जगाने का काम शुरू कर देते हैं।

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इनका नाम नवीन है और कॉलोनी के सबसे लोकप्रिय नन्हे सदस्य हैं। पिछले तीन रविवारों से हमारी कॉलोनी के पार्कों में पौधरोपण के कार्यक्रम चल रहे हैं और इस कार्यक्रम की सफलता में नवीन जी की बड़ी भूमिका है। जितने समय पौधरोपण का कार्यक्रम चलता है, नन्हें नवीन जी की नन्हीं सायकिल दौड़ती हीं रहती है। कभी किसी के घर के कॉलबेल को दुबारा-तिबारा बजाना हो, किसी के घर से खुरपी-कुदाल मंगानी हो, किसी के घर चाय बनाने का आदेश देना हो, ये सारी जिम्मेवारियां नवीन जी की हीं होती है। मजे की बात यह है कि नवीन जी के आदेश की अवहेलना करने की जुर्रत कोई नहीं करता।

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इस क्रम में नवीन पसीने-पसीने हो जाते हैं, लेकिन पौधरोपण के उत्साह के आगे पसीने की कोई परवाह कौन करता है। नवीन जी का मुरीद मैं पिछले रविवार को हो गया, जब बरसते पानी में पौधरोपण हो रहा था और नवीन की साइकिल बरसात की धज्जियां उड़ाते कॉलोनी में दौड़ रही थी। सबके साथ वे भी भींगे और अंत तक हमारे साथ रहे।

सबसे अच्छी बात तो यह होती है कि नवीन के चेहरे की हंसी और मुस्कान कभी धूमिल नहीं होती। मेरे पड़ोसी श्री सुजीत चौहान जी के पुत्र, नवीन को क्या कहूँ, मेरा तो रोआं-रोआं आशीर्वाद देता है। जब कॉलोनी के पेड़ बड़े होंगे, तो एक-एक पेड़ आपको याद रखेंगे, नन्हे पर्यावरण वीर।

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