मैथिली ठाकुर के गीत 99 साल तक रेडियो पर सुनाई देंगे

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  • अनूप नारायण सिंह

पटना। सोशल मीडिया पर एक दुबली-पतली लड़की मैथिली गीत लाइव गा रही थी। अपना मैथिली से कोई खास वास्ता नहीं, फिर भी उसके मधुर स्वर ने सुनने पर मजबूर कर दिया। गाने के बोल थे- जेहन किशोरी मोरी तेहने किशोर हे। इस गाने को समझते-समझते मिथिला की मैथिली को भी समझने का मौका मिला। फिर मैंने उसके कई गीतों को सुना, जिसमें चारों दूल्हा के आरती उतारू रे सखी। उसके बाद विगत 8 महीने से मैं नियमित बिहार की इस लोक गायिका को सुनता रहा।

पता चला कि बिहार के ही मधुबनी बेनीपट्टी की रहने वाली है मैथिली ठाकुर। मैथिली ठाकुर हिंदी क्लासिकल संगीत की पार्श्व गायिका है, जो टी.वी. शो राइजिंग स्टार 2017 की पहली रनरअप रही थी। उनका जन्म 25 जुलाई 2000 को मधुबनी (बिहार) में हुआ था। उन्होंने 10 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मंच पर गाना शुरू किया।

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उन्होंने अभी तक लगभग 500 से ज्यादा शो में हिस्सा लिया है। मैथिली के पिता रमेश ठाकुर  संगीत शिक्षक हैं। वह दिल्ली में संगीत संस्थान चलाते  हैं। वर्ष 2011 में सारेगामा लिटिल चैंप्स में अंतिम 30 में मैथिली ने अपनी जगह बनाई थी। फिर वर्ष 2015 में इंडियन आइडल जूनियर में अंतिम 20 में सेलेक्ट हुई। राइजिंग स्टार में उपविजेता भी बनी।

फेसबुक पर मैथिली के 8 लाख, जबकि इंस्टाग्राम पर 2 लाख फॉलोअर्स हैं। मैथिली में बहुत सारी ऐसी विविधताएं हैं, जो उन्हें भीड़ से अलग करती हैं। बातचीत के क्रम में मैथिली ने बताया कि वह बॉलीवुड में पार्श्वगायन करने जा रही हैं। साथ ही साथ अपने पिता के सहयोग से वह बिहार की लोकभाषा,  खासकर मैथिली-भोजपुरी-अंगिका  के पारंपरिक लोक गीतों को भी सहेजने में लगी हुई हैं और काफी हद तक इसमें उन्हें सफलता भी मिली है।

मैथिली ने  बताया कि उन्हें काफी सुकून मिलता है, जब वह अपने पारंपरिक और वैसे-वैसे गीत, जो लोग भूल चुके हैं और हमारी संस्कृति से जुड़ी हुए हैं, गाकर काफी सुकून मिलता है।

बातचीत के क्रम में मैथिली ने बताया कि मैथिली के जानकार पूरी दुनिया में जब उनके गीतों को सुनने के बाद कनाडा, अमेरिका जैसे देशों से फोन करते हैं तो उन्हें काफी सुकून मिलता है। अपने भविष्य के बारे में उन्होंने बताया कि  जो हमारी संस्कृति है, उसको सहेजना उनका लक्ष्य है। भोजपुरी को लेकर उनका कहना है कि पॉजिटिव और नेगेटिव हर जगह है। सिर्फ पॉजिटिव चीजों पर ही वह ध्यान देती हैं। शास्त्रीय संगीत में किशोरी अमोनकर और पार्श्व गायकों में शंकर महादेवन तथा लता मंगेशकर को अपना आदर्श मानने वाली मैथिली गायकी के साथ ही साथ बॉलीवुड में अभिनय करने के प्रति भी संजीदा हैं।

मैथिली ठाकुर ने अपनी उपलब्धियों की सूची में एक नया कीर्तिमान जोड़ा है। देश की पहली पंक्ति के शास्त्रीय गायक की टोली में मैथिली शामिल हो गयी हैं। दरअसल, आकाशवाणी ने मैथिली ठाकुर के शास्त्रीय संगीत को प्रसारित करने का 99 साल के लिए अनुबंध किया है। जिसकी रिकॉर्डिंग 10 जुलाई को की गयी। अब अगले 99 साल तक यह रिकॉर्डिंग बेगम अख्तर की तरह ही आकाशवाणी प्रसारित करेगी। इतनी कम उम्र के किसी भी गायिका से आकाशवाणी ने इस तरह का अनुबंध पहली बार किया है।

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