मातृ मृत्यु दर में कमी कर महिला विकास में अग्रणी बना बिहार

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बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कमार
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कमार

पटना। महिला सशक्तीकरण और विकास की बात बेमानी रह जाएगी, अगर महिलाओं के सर्वांगीण विकास की बात न हो और सर्वांगीण विकास का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा, अगर उनके आर्थिक सशक्तीकरण, सामाजिक सशक्तीकरण, राजनीतिक सशक्तीकरण और सांस्कृतिक सशक्तीकरण की बात एक साथ न होI सरकार इन्हीं बुनियादी तथ्यों को ध्यान में रखकर सारी योजनाएं बना रही है, उसपर दृढ़ता से अमल भी कर रही है और इसके सुपरिणाम भी नजर आने लगे हैं।

व्यवहार परिवर्तन एवं सम्प्रेषण के द्वारा महिलाओं के जीवन में गुणात्मक बदलाव, संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन, बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान, कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए संबंधित विधि का प्रभावशाली क्रियान्वयन, घटते लिंगानुपात की रोकथाम आदि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य का परिणाम ही है कि महिलाओं में जागरूकता और मातृ मृत्यु दर में व्यापक सुधार देखने को मिल रहा है।

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बिहार ने अपने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में सुधार करके पूर्ण राज्यों में कई राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है। 2014-16 के एमएमआर अनुमानों पर भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी एक विशेष बुलेटिन के अनुसार, बिहार ने एमएमआर में 43 अंकों (20.7%) की तेज गिरावट देखी। दूसरी तरफ, एमएमआर में गिरावट का राष्ट्रीय स्तर 22% था |

पूर्ण रूप से, बिहार ने 2003 से सशक्त कार्य समूह (ईएजी), असम और अन्य सभी राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन जारी रखा। ईएजी राज्य में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड हैं। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में एमएमआर का मौजूदा स्तर 165 है, जो इन सभी राज्यों में सबसे कम है।

बिहार में समग्र सामाजिक-जनसांख्यिकीय, आर्थिक और अन्य विकास चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान-पटना में सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी (सीएचपी) के विशेषज्ञों ने एमएमआर आंकड़ों को एक असाधारण उपलब्धि के रूप में संबोधित किया है ।

सीएचपी विशेषज्ञों के मुताबिक, एमएमआर समग्र सामाजिक विकास, समाज में महिलाओं की स्थिति और किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में स्वास्थ्य प्रणालियों की कार्यक्षमता और प्रतिक्रिया की सबसे महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक है।

बालिका मृत्यु-दर को कम करने के अभिप्राय से बीमार नवजात बालिका को एस.एन.सी.यू. में भर्ती करने के लिए आशा को उत्प्रेरित करने के लिए 500/- प्रोत्साहन राशि तथा माता को 200/- प्रतिदिन क्षतिपूर्ति राशि देने का निर्णय लिया गया है |

सशक्तिकरण और स्वयं सहायता समूह आंदोलन के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने बिहार में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल के निरंतर सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |

गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कराने एवं मातृ मृत्यु अनुपात, शिशु मृत्यु दर को कम करने के पर सरकार का विशेष जोर दिया जा रहा है इस क्रम में हर गर्भवती एवं शिशु के देखभाल के लिए तीन स्तर पर एम.सी.एच. केंद्र का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इस सन्दर्भ में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र के लिए लेवल-1 के रूप में प्रत्येक प्रखंड में एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं जिले से दो उपस्वास्थ्य केन्द्रों का चयन किया गया है | मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में वांछित कमी लाने के लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान जननी एवं बाल सुरक्षा योजना में किया गया है | ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक गर्भवती महिला को 1400 रूपये तथा आशा कार्यकर्ता को 400 रूपये एवं वाहन की व्यवस्था कराने पर 200 रूपये अलग से राशि तथा शहरी क्षेत्र के महिला लाभार्थी को 1000 रूपये तथा आशा आंगनबाडी कार्यकर्त्ता को 200 रूपये प्रोत्साहन राशि के रूप में देने की व्यवस्था सरकार द्वारा है |

अन्य ईएजी राज्यों की तुलना में एमएमआर और शिशु मृत्यु दर में निरंतर सुधार इस तथ्य को दोहराता है कि राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली काफी अच्छी तरह से प्रदर्शन कर रही है, खासकर मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को देने में।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-2016) की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 50% डिलीवरी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर की जाती है । प्रशिक्षित मानव संसाधनों, विशेष रूप से डॉक्टरों और एएनएम की कमी की चुनौतियों के बावजूद, सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल वितरण का प्रदर्शन वास्तव में सराहनीय है।

यूँ तो महिला सशक्तिकरण और विकास के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलायी जा रहीं हैं जो सामाजिक और आर्थिक उत्थान में उनकी भागीदारी और सुदृढ़ कर रही है मगर उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनयादी तौर पर सरकार द्वारा अपनी योजनाओं के माध्यम से किए गए प्रयास जमीन पर आज बेहतर परिणाम सामने ला रहे हैं और इन सुविधाओं और प्रयासों का सबसे सकारात्मक परिणाम मातृ मृत्यु दर में भारी गिरावट के रूप में सबके सामने है।

 

 

 

 

 

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