मलिकाइन के पातीः बाप रे, बिहार में बाग के बाग कुलबांसी

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मलिकाइन के पाती अबकी घसिटउआ मोबाइल पर लिखा के आइल बा। ऊ अपने त ना लिख पवली, बाकिर गांव के कवनो कनिया से लिखवा के पठवले बाड़ी। मलिकाइन के जरी अब फोन आ गइल बा। बतिया त लेली, बाकिर सनेसा पठावे उनका अबे नइखे आवत। एह से दोसरा से लिखवावे के पड़त बा। देखीं उनकर पाती के मजमून।

पावं लागते हैं मलिकार। काली माई के किरपा से घर-परिवार ठीक बा। खाली गांव-जवार के हाल खराब बा। रउरा त सुनलहीं होखेब मलिकार, अपना जवार के एगो खबर। लोग के ई का हो गइल बा मलिकार। सीवान में चार साल के लड़िकी के संगे कुकरम, मुजफ्फरपुर में त सात साल के लड़की के कुकर्मियां ना छोड़ले सन। सीवान में त कुकरम कइबे कइले सन, ओह बचिया के मुआइयो दिहले सन। हमार मन त कबो-कबो अइसन सनक जाता कि रोज इहे मनावता बानी कि हे भगवान परलय काहे नइख क देत। ई दुनिया अब जीये-रहे लायक नइखे रह गइल।

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पहिले त अपना बिहार में लोग जंगल राज के बात कहत रहे। नीतीश बाबू अइले त का जाने सगरी चोर-बदमास कहां भाग परइले सन। नामी बदमास लोग जेल के जांत पीसे लागल। अपना गांव के कई जने त लड़िकन के पढ़ावे खातिर गोरखपुर आ रांची भाग गइल रहे लोग। पांड़े बाबा एक बेर बतावत रहनी कि केतने बेवसायी लोग ओह घरी रंगदारन से तबाह होके बिहार से भाग गइल लोग। नीतीश के आवते सब ठीक हो गइल। सांझे जवन रोड सून हो जाव, ओइ पर रातो में गाड़ी चले लगली सन। पांड़े बाबा कवनो खबर पढ़ के ओह घरी बतवले रहनी कि देश में सबसे बेसी नगदी देके गाड़ी बिहार में बिकाये लगली सन।

आजुओ त उहे नीतीश जी बाड़े नू सरकार चलावत। जंगल राज में त दुइए-तीन गो घोटाला भइल रहे। अबकी बेर नीतीश जी के राज में रोजे कवनो ना कवनो घोटाला पता चलत बा। कवन लैटरिन (शौचालय) घोटाला, सिरजन (सृजन) घोटाला, दवाई (दवा) घोटाला, मास्टर के बहाली में घोटाला, रिजल्ट (टापर) घोटाला, अइसन घोटाला कि मूस जपत भइल दारू पी गइले सन। एतने ना, आरा, राजगीर, सीवान, मुजफ्फरपुर, पटना जइसन जगहा पर लड़किन के संगे झुंड बना के कुकरम। बाप रे, ई कुल सुनत-सुनत अब कान पाक गइल बा। का हो गइल बा ए नीतीश बाबू।

कहवां चल गइल राउर एकबाल। कहां हेरा गइल परताप। कहीं कचहरी में गोली चलत बा, त औरत भइला के समाज अइसन सजा दे रहल बा कि बिहार के नाम बदनाम हो रहल बा। राउर पुलिस, राउर अफसर, राउर राज, तबो ई हाल बा। रउरा त बेर-बेर लालू के जंगल राज के बात कह के लोग के भरमावत रहनी हां, रउरा राज में का होता। मुंह खोलीं आ अब बोलीं महराज। कबले अइसन चली।

रउरा खुद नीमन बानी, राउर काम नीमन बा, बेईमान होत समाज में रउरा ईमानदारी के झंडा जरूर गड़ले बानी, बाकिर ई त नया किसिम के जंगल राज आ गइल बा। पहिले त चोरे-बदमास आ लूटपाट-रंगदारी के बात होखे। अब त ओकरा संगे घोटाला पर घोटाला आ औरतन के औरत भइला के सजा रउरा शासन में मिल रहल बा।

रउरा दारू रोकनी, नीमन काम कइनी, बाकिर राउर पुलिस त एकदमे हिजड़ा हो गइल बिया। नतिया खाली दारू पकड़े-छोड़े में लागल बाड़े सन। अब रउरे बताईं नीतीश बाबू कि एगो त चार के साल के लड़िकी के कुकरम के बाद मडर आ जब कुकरमी पकड़ाइल त सगरी घेरा-पहरा के बाद ऊ भाग पराइल। दारू पी के सिपहिया टुन्न रहले सन का।

हमरा त बुझाता मलिकार कि बाग के बाग बिहार में कुलवांसिए आम बा। अब त हमरा कहाउत इयाद आवत बा- का पर करूं सिंगार, पिया मोर आम्हर ए सखी।

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राउर पठावल फोन बड़ा काम के जिनिस बा मलिकार। काल्ह ओई पर कुछ लिख के आइल रहे। बड़का से पढ़ववनी त बतवलस कि ए माई, तोरा पांच करोड़ के लाटरी लाग गइल बा। पहिले त हम काली माई के मन ही मन परनाम कइनी, बाकिर बरम बाबा छने भर में बुद्धि खोल दिहले। हमरा इयाद परल कि फोन क के भइया जी से कवनो ठग कहलस कि राउर एटीएम बंद हो गइल बा। खोलवावे खातिर पहिलका एटीएम के नंबर बताईं। उहां के सिधुआ आदमी ठहरनी। बता दीहनी। थोरही देर बाद बैंक में पता करे गइनी त मालूम भइल कि ओह दिने थोरे देर पहिले खाता खाली हो गइल रहे। हम नन्हका के कहनी कि मेटाव ई लिखलका, ना त गलती से मन डोल गइल त, तोरा बाबू जी के सगरी कमाई छने भर में बिला जाई।

चलीं मलिकार, रउरा के ढेरे पाती लिखवा दिहनी। आपन हाल-चाल रोज घसिटउआ फोनवा पर बतावल करेब। राउर उमिर भइल, खाये-पीये के खेयाल राखेब। दू रोटी कम खायेब, बाकिर रउरा ई कुछ फरफंद में मत परेब। इहे हम रोज काली माई से मांगी ले आ बरम बाबा से गोहराई ले।

राउरे

मलिकाइन

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