बिहार में वंचितों के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही सरकार

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नीतीश कुमार पर उनकी ही सरकार के साझीदार दल बीजेपी का दबाव बढ़ने लगा है कि वे कोटा में फंसे बिह7ार के बच्चों को लाने की पहल करें।
नीतीश कुमार पर उनकी ही सरकार के साझीदार दल बीजेपी का दबाव बढ़ने लगा है कि वे कोटा में फंसे बिह7ार के बच्चों को लाने की पहल करें।

पटना। राज्य का समुचित और वास्तविक विकास तभी संभव है, जब इसमें रहने वाले पिछड़े, वंचित संसाधन विहीन वर्ग के लोगों तक भी सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचे और और इन योजनाओं का लाभ उठा कर वे भी अन्य के समकक्ष समाज और राज्य के विकास में अपना योगदान देने में सक्षम हो गए हों। इसी उद्देश्य और लक्ष्य को ध्यान में रखकर ही बिहार सरकार ने भी संसाधनों से वंचित अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति, पिछड़े, अति पिछड़े और अल्पसंख्यकों के उत्थान और कल्याण के लिए कई योजनाएं प्रभावशाली ढंग से लागू की हैं।

विशेष कर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए बिहार सरकार द्वारा कई योजनाएं सफलतापूर्वक चलाई जा रही हैं। इनके बुनियादी विकास पर ज्यादा जोर दिया जा रहा, ताकि ये शिक्षित और स्वावलंबी होकर अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भी मार्ग प्रशस्त कर सकें। इसके लिए अनुसूचित जाति/जनजाति के युवाओं को शिक्षित, सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर सहूलियत, सहायता और सहयोग सरकार देने का प्रयास कर रही है।

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एक ओर मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रावास अनुदान योजना के अंतर्गत इन युवाओं को मुफ्त पढने, रहने और खाने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, वहीँ पढ़ कर यूपीएससी/बीपीएससी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रीलिम्स परीक्षा में पास करने पर एक लाख/ पचास हजार की प्रोत्साहन राशि भी मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/जनजाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत दी जा रही है।

इसी क्रम में सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के युवाओं को उद्यमी बना कर समाज में सम्मान और स्वाभिमान के साथ राज्य के विकास में इनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की गयी है- “मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना“।

राज्य में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग को बढ़ावा देने तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के युवक एवं युवतियोंको उद्योग स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना चलायी जा रही है। इस योजना के हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटन के साथ ही इसके अंतर्गत चयनित 135 उद्यमियों को प्रथम किश्त की राशि का भुगतान भी किया गया है।

योजना के लाभुक को कुल परियोजना इकाई के लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 5,00,000/- (पांच लाख रूपये) तक ब्याज रहित ऋण और 50 प्रतिशत अधिकतम 5,00,000/- (पांच लाख रूपये ) तक योजनान्तर्गत अनुदान/सब्सिडी उपलब्ध करायी जाएगी। इसके साथ ही सभी लाभुकों के प्रशिक्षण के लिए प्रति इकाई 25,000/- (पच्चीस हजार) की दर से व्यय किया जायेगा।

इस योजना के लाभार्थियों के लिए आवश्यक योग्यताओं में सर्वप्रथम उन्हें बिहार का निवासी होना अनिवार्य है। साथ ही साथ वो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आते हों और उनकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो। शैक्षणिक योग्यता में वे कम से कम 10+2 या इंटरमीडिएट, आई.टी.आई.,पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष उत्तीर्ण हों। योजना के अंतर्गत चयन के बाद उनकी औद्योगिक या व्यावसायिक इकाई प्रोपराइटरशिप फर्म या पार्टनरशिप फर्म, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप अथवा प्रा. लिमिटेड कंपनी के तहत निबंधित होनी चाहिए।

योजना का लाभ प्राप्त करने की निर्धारित शर्तों को पूरा करने वाले उद्यमी udyog.bihar.gov.in पर विहित प्रपत्र में ऑनलाइन आवेदन बिहार स्टार्ट अप फण्ड ट्रस्ट को जमा करेंगे। ऑनलाइन प्राप्त प्रस्तावों में से योग्य परियोजना प्रस्तावों का चयन प्रधान सचिव, उद्योग विभाग, बिहार सरकार की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जायेगा। प्राप्त प्रस्तावों का मूल्यांकन समिति के स्तर पर किया जायेगा और योजना का लाभ केवल नए उद्यम के लिए मानी होगा।

चयन समिति योग्य परियोजना प्रस्तावों का चयन कर संबंधित उद्यमी को सूचित करेगी और परियोजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। उद्यमों को बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति-2016 का भी लाभ दिया जायेगा।

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अनुमोदित और चयनित परियोजना को इस योजना के अंतर्गत राशि तीन चरणों में दी जाएगी। इस योजना में 50 प्रतिशत राशि ब्याज रहित ऋण और 50 प्रतिशत राशि अनुदान/सब्सिडी के रूप में दी जाएगी। राशि की प्रथम किश्त का भुगतान परियोजना स्वीकृति के उपरान्त 25 प्रतिशत अधिकतम 2,50,000/- ( दो लाख पचास हजार रूपये) किया जायेगा।

उद्यमी द्वारा भूमि की व्यवस्था शेड के निर्माण के बाद दूसरे किश्त के रूप में स्वीकृत परियोजना राशि का 50 प्रतिशत अधिकतम 5,00,000/- (पांच लाख रूपये) का भुगतान होगा। उद्यमी द्वारा प्लांट एवं मशीनरी की स्थापना तथा पहली और दूसरी किश्त का उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराये जाने पर शेष 25 प्रतिशत अधिकतम 2,50,000/- (दो लाख पचास हजार रूपये) का भुगतान किया जायेगा।

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मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना के अंतर्गत दिए गए ऋण राशि की वापसी को भी आसान बनाने पर पूरा ध्यान रखा गया है। ऋण राशि वापसी का भुगतान परियोजना स्वीकृति के 1 वर्ष बाद से 84 समान किश्तों में करने का निर्णय लिया गया है।

इस परियोजना के प्रभावशाली, सुचारू ढंग से और ईमानदारी से जमीन पर लागू होने से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वंचित और शोषित वर्ग के युवाओं को न सिर्फ स्वरोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि वे नए रोजगार देने में भी सक्षम होंगे। ये परिवर्तन इनकी वर्तमान पीढ़ी को सम्मान और स्वाभिमान से समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर राज्य के विकास में भागीदार तो बनाएगी ही, साथ ही साथ आने वाली पीढ़ी के लिए भी निश्चित रूप से इससे बेहतर अवसर प्रदान करेगी।

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