हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री जायरा वसीम का डर!

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जायरा वसीम
जायरा वसीम
  • ध्रुव गुप्त

कश्मीर से आने वाली हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री जायरा वसीम का फिल्म छोड़ने का फैसला उनका व्यक्तिगत फैसला है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। हां, उनका वह बयान ज़रूर आपत्तिजनक है, जो उन्होंने फिल्म छोड़ने की वजह के तौर पर दिया है। उनका कहना है कि सिनेमा की चकाचौंध और सफलता उन्हें लगातार अल्लाह और ईमान से दूर कर रही थी। यह जहालत से भरा बयान है।

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किसी के पेशे का उसके मजहब से कोई संबंध नहीं। हमारे देश में नरगिस, सुरैया, मधुबाला, मीना कुमारी, वहीदा रहमान, शबाना आजमी सहित दर्जनों महान अभिनेत्रियां हुई हैं, जिन्होंने अपने धर्म के साथ अपने पेशे को भी खूबसूरती से निभाया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित दुनिया के लगभग सभी इस्लामी देशों में फिल्में बनती हैं और उनमें उन देशों की औरतें भी काम करती हैं।  निःसंदेह वे सभी अल्लाह की दुश्मन या शैतान की औलाद नहीं हैं।

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जायरा के बयान से अभिनय, नृत्य और संगीत में अपना भविष्य तलाशने वाली लड़कियों में गलत संदेश जाएगा। उन्होंने बगैर ऐसा कोई मूर्खतापूर्ण बयान दिए शालीनता से फिल्मों को अलविदा कह दिया होता तो बेहतर होता। कुछ लोग अगर उनके फैसले को कश्मीरी कट्टरपंथियों के डर से प्रेरित बता रहे हैं तो वे बिल्कुल झूठे भी नहीं लगते। जायरा को ‘दंगल’ के रिलीज होने के बाद से ही धमकियां मिलनी शुरू हो गयी थीं। ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ के बाद यह सिलसिला तेज हुआ था।

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जायरा से पहले भी संगीत को हराम बताने वाले फतवों, आलोचनाओं और धमकियों के बाद एक रॉक बैंड में काम करने वाली तीन कश्मीरी लड़कियों ने अपने संगीत कैरियर को अलिवदा कह दिया था। तथ्य जो भी हों, जहालत से भरे इस दौर में जायरा वसीम को उनके पुरसुकून, सुखमय भविष्य की शुभकामनाएं !

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