
पटना। नीतीश कुमार पर उनकी ही सरकार के साझीदार दल बीजेपी का दबाव बढ़ने लगा है कि वे कोटा में फंसे बिह7ार के बच्चों को लाने की पहल करें। मुख्यमंत्री की यह जिम्मेवारी है और वे इससे बच नहीं सकते। ऐसा नहीं करने पर बीजेपी ने खतरे की ओर भी इशारा किया है कि इसी साल होने जा रहे चुनाव में इसका खामियाजा भोगना पड़ सकता है।
बीजेपी एमएलसी संजय पासवान ने कहा है कि कोटा में फंसे बच्चों को घर वापस लाना मुख्यमंत्री की जिम्मेवारी है। कोरोना के कहर के बीच बेजेपी के विधान परिषद सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने बिहार सरकार से कोटा में बच्चों को वापस लाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार अगर ऐसा नहीं करती है तो इसका भारी मूल्य चुकाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बिहार के मध्यवर्गीय परिवारों का कोई न कोई बच्चा कोटा में पढ़ने जाता है। यह चुनावी साल है। अगर सरकार ने 3 मई के पहले बच्चों को वापस लाने का काम नहीं किया तो इसकी कीमत चुनाव में चुकानी पड़ सकती है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने भी हाल ही में कहा था कि सरकार को कोटा में फंसे बच्चों को वापस लाने की कोशिश करनी चाहिए। अगर इस काम में बाधाएं हैं तो उन्हें आर्थिक मदद दी जानी चाहिए। भाजपा के इन दो नेताओं के तकरीबन एक ही जैसे बोल से यह साफ है कि कोटा से बच्चों को वापस लाने के फैसले से राज्य सरकार का किनारा करना उन्हें नागवार लग रहा है। उन्हें इसके खतरे भी महसूस हो रहे हैं। इसलिए बिहार में भाजपा व जदयू की साझी सरकार है। लोगों की नाराजगी का सामना दोनों को करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साफ कह चुके हैं कि केंद्र से छूट मिलने के बाद ही ऐसा कर पाना संभव होगा। यह अकेले उनके बूते की बात नहीं हैं।
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इधर इस मुद्दे पर विपक्ष नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर बना हुआ है। आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार को अपने लोगों की परवाह नहीं। कोटा में बच्चे फंसे हैं तो दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए गये लाखों की संख्या में मजदूर खाने बिना मरने को विवश हैं।
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