बैलगाड़ियों के भारी लेट चलने और उससे सरकार को फजीहत से बचाने के
लिए अब रेल मंत्री पीयूष गोयल ने नया पैंतरा चला है कि मरम्मत के काम केवल रविवार को होंगे और इससे अगर ट्रेन लेट होगी तो यात्रियों को खाना दिया जाएगा। मैं पहले लिख चुका हूं कि पटरियों की मरम्मत के कारण ट्रेन लेट होने का तर्क दमदार नहीं है और यह मानने वाली बात नहीं है कि देश भर में एक साथ-एक समय चलने वाला मरम्मत का काम इतना ज्यादा या ऐसा है कि देश भर में ट्रेन लेट चलें एक दो घंटे नहीं, एक दो दिन नहीं बल्कि 30-35 घंटे से लेकर 55 घंटे तक और रोज, कई साल से। यही नहीं, मैंने यह भी लिखा है रेलवे की जो टीम पटरियों की मरम्मत का काम करती है वह सुबह से शाम तक कुछ मिनट का ब्लॉक मांगती रही उसे ब्लॉक नहीं दिया गया और आखिर में कहा गया था कि उत्कल एक्सप्रेस पार करने के बाद ब्रेक दिया जाएगा और उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। हाल के समय की सबसे प्रमुख दुर्घटनाओं में उत्कल एक्सप्रेस की दुर्घटना आएगी और वह ब्लॉक न दिए जाने के कारण हुई थी और दावा यह कि ब्लॉक के कारण ट्रेन लेट होती है। कहने की जरूरत नहीं है कि ट्रेन लेट होने का कारण सिर्फ ब्लॉक देना या नहीं देना नहीं और भी कई हैं। और इसे कुल मिलाकर नालायकी ही कहा जाएगा। रेल मंत्री एक बार अधिकारियों पर कार्रवाई करने और फिर डिब्बों की कमी का बहाना नहीं करने जैसी बातें कर चुके हैं और उसके बाद अब रोज होने वाले ब्लॉक को सप्ताह में एक दिन करके ट्रेन समय से चलाने की कोशिश का दिखावा किया जाएगा।
यहां सवाल उठता है कि सात दिन का काम एक दिन में होगा तो मरम्मत का क्या होगा और अगर उसी से ट्रेन लेट होती है एक दिन में उतनी लेट हो जाएगी जितनी सात दिन में होती थी और जाहिर है इसी से पैदा होने वाले गुस्से से बचने के लिए यात्रियों को ट्रेन लेट होने पर खाना देने की पेशकश की जा रही है मुफ्त। ट्रेन में पैसे देकर और पूरी तैयारी से जो खाना मिलता है (चार महीने पहले बताने और टिकट कटाने के समय पर पैसे देने के बाद) उससे कौन रेल यात्री नहीं वाकिफ है कि इन झांसो में आएगा। फिर भी रेल मंत्री की कोशिश नजर रखने लायक है। हालांकि सच यह भी है कि सप्ताह में तीन दिन दोनों तरफ से चलने वाली भागलपुर-दिल्ली-भागलपुर 22405/22406 गरीब रथ एक्सप्रेस 22 मई को राइट टाइम गई थी और एक सप्ताह में 38 घंटे लेट हो गई और फिर अगले सप्ताह 14 घंटे लेट चली और लेट होती रही तो आखिरकार उसे रद्द करना पड़ा उसके बाद भी वह समय से नहीं चल पाई और कल यानी 18 जून को सही समय से जा पाई। वह भी अभी अपने गंतव्य पर नहीं पहुंची है और तीन घंटे से ऊपर लेट हो चुकी है। एक ही ट्रेन का रोज लेट होना चाहे वह किसी भी समय चले और किसी भी समय पहुंचे लगभग समान रूप से लेट होना बहुत कुछ कहता है। यह ट्रेन आज भागलपुर से डेढ़ घंटे लेट चलने के लिए निर्धारित है पर संभव है, अभी और लेट हो।
इसके अलावा, सवाल यह भी है कि मरम्मत का काम इतवार को क्यों? भारत में इतवार भले छुट्टी का दिन है पर सोमवार को सुबह समय से दफ्तर या काम पर पहुंचने का अलग महत्व है। ऐसे में इतवार को ट्रेन लेट होने से छुट्टी के बाद काम पर लौटने वालों को खास तरह की परेशान होगी जिसके बारे में लगता है सोचना ही नहीं गया है। जो भी हो, मीडिया के जरिए ट्रेन लेट चलने के कारण होने वालीकिरकिरी से बचने के लिए यह नया तरीका आम लोगों को तो कुछ उम्मीद बंधाएगा ही।
- संजय कुमार सिंह