एससी-एसटी छात्रों के लिए बिहार सरकार ने खोली झोली

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पटना। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए कई शैक्षणिक योजनाएं चलायी जा रही हैं। मुख्यतः प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय, उच्च विद्यालय, प्रवेशिकोत्तर संस्थाओं एवं प्रावैधिकी संस्थाओं में अध्ययनरत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं की छात्रवृति योजना है। आवासीय विद्यालय, छात्रावासों का संचालन, पुस्तक अधिकोष की स्थापना, प्राक परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र, मुसहर एवं भुईंया जाति के बच्चों को छात्रवृति, मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मेधावृति योजना चलायी जा रही है। जो परिवार अस्वच्छ कार्यों में लगे हुए हैं, उनके बच्चों के लिए विशेष दरों पर छात्रवृति की योजनाएं भी संचालित हैं।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्र-छात्राओं को विद्यालय छात्रवृति योजना, मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मेधावृति योजना एवं प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति योजना का लाभ ससमय पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के द्वारा समय-समय पर निर्गत अनुदेश के आधार पर समयक विचारोपरांत राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 में विद्यालय छात्रवृति योजना तथा मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मेधावृति योजना का संचालन शिक्षा विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है।

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डी.बी.टी. (डॉयरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से राशि सीधे लाभुकों के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी। डी.बी.टी. (डॉयरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति योजना (नवीकरण एवं नवीन) का संचालन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के स्तर से करने की स्वीकृति एवं वित्तीय वर्ष 2018-19 से प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति योजना (नवीकरण एवं नवीन) का संचालन शिक्षा विभाग के स्तर से किया जाएगा।

छात्रवृति योजनाओं के लिए बजट उपबंध एवं उद्व्यय प्राप्त करने तथा प्रावधानित राशि शिक्षा विभाग को उपलब्ध करवाने की कार्रवाई अनुसूचित जाति एवं अनुसूचितजनजाति कल्याण विभाग के द्वारा की जाएगी।

प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति योजना के तहत प्रवेशिकोत्तर में पढ़ने वाले अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के छात्र-छात्राओं को छात्रवृति प्रदान करने के लिए योजना, स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय तथा केंद्र प्रायोजित योजना के तहत प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति योजना संचालित है। इस योजना के अंतर्गत मान्यता प्राप्त महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय/ संस्थान में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रावधानों के अनुरुप छात्रवृति के तहत अनुरक्षण भत्ता दिए जाने का प्रावधान है।

राज्य सरकार द्वारा दिनांक 15.02.18 को प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति योजना के अंतर्गत निर्धारित मापदंड़ों के आधार पर वर्ष 2015-16 तक नामांकित एवं अध्ययनरत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को नामांकन वर्ष में स्वीकृत शिक्षण एवं अनिवार्य शुल्कों की राशि एवं भुगतान की गई राशि की अंतर राशि की शेष पाठ्यक्रम अवधि के लिए स्वीकृत राशि का भुगतान डी.बी.टी. के माध्यम से राशि को सीधे लाभुकों के बैंक खाता में हस्तांतरित करने की स्वीकृति दी गई है।

छात्र-छात्राओं की छात्रवृति की अर्हता के लिए बिहार राज्य के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातिका सदस्य होना चाहिए। अभिभावक की अधिकतम वार्षिक आय 2 लाख 50 हजार रुपए तक होनी चाहिए। प्रवेशिकोत्तर कक्षाओं में मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम एवं मान्यता प्राप्त संस्थान में अध्ययनरत हो। अनिवार्य शुल्क के अंतर्गत नामांकन, निबंधन, शिक्षण, खेलकूद,यूनियन, पुस्तकालय, पत्रिका, चिकित्सा जांच है। इसके अलावा अन्य अनिवार्य शुल्क जिसका भुगतान छात्र-छात्राओं द्वारा संस्थान या विश्वविद्यालय को किया जाता है, देय होता है। संस्थान द्वारा छात्र-छात्राओं को लौटायी जाने वाली शुल्क जैसे कॉशन मनी, सिक्युरिटी डिपॉजिट की राशि सम्मिलित नहीं होती है। अतः इसका भुगतान नहीं किया जाता है।

इसके अलावा भारत सरकार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय एवं जनजातिय कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित योजना के तहत निर्धारित अन्य भत्ता देने का प्रावधान है। वर्ष 2017-18 में अनुसूचित जाति के लिए 6 हजार लाख एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 6 सौ लाख की राशि आवंटित की गई है। राज्य के सरकारी, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त, स्थापना प्रस्वीकृत विद्यालयों में वर्ग 1 से 10 तक में अध्ययनरत सभी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को विद्यालय छात्रवृति प्रदान की जाती है। वर्ष 2017-18 में राज्य स्कीम के मद से अनुसूचित जाति के लिए 36,501.73 लाख एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 10840.12 लाख की राशि स्वीकृत की गई।

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