21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित है। 11 दिसंबर 2014 – यूनाइटेड नेशंस की आम सभा ने भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’के रूप में घोषित कर दिया। इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने किया और बिना किसी वोटिंग के इसे स्वीकार कर लिया गया था। भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ का प्रस्ताव यूएन असेंबली में रखा था, जिसे दुनिया के 175 देशों ने भी सह-प्रस्तावित किया था। यूएन जनरल असेंबली में किसी भी प्रस्ताव को इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन भी अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया। इससे पहले किसी भी प्रस्ताव को इतने बड़े पैमाने पर इतने देशों का समर्थन नहीं मिला था। और यह भी पहली बार हुआ था कि किसी देश ने यूएन असेंबली में कोई इस तरह की पहल सिर्फ 90दिनों के भीतर पास हो गयी हो। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
21 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बनाए जाने के पीछे वजह है कि इस दिन ग्रीष्म संक्रांति होतीहै। इस दिन सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है। यानी सूर्य जो अब तक उत्तरी गोलार्ध के सामने था, अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढऩा शुरु हो जाता है। योग के नजरिए से यह समय संक्रमण काल होता है, यानी रूपांतरण के लिए बेहतर समय होता है। हलांकि धीरे-धीरे पिछले 15 सालों में कई योग गुरुओं और संस्थाओं ने किसी एक दिन को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने की बात करना शुरू कर दी थी।
आधुनिक युग में पश्चिमी दुनिया का योग से पुन: परिचय कराया स्वामी विवेकानंदजी ने, जब उन्होंने 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद को संबोधित किया। उसके बाद से पूर्व के कई गुरुओं व योगियों ने दुनियाभर में योग का प्रसार किया और दुनिया ने योग को बड़े पैमाने पर स्वीकार किया। योग पर कई अध्ययन और शोध हुए, जिन्होंने मानव कल्याण में योग के विस्तृत और दीर्घकालिक फायदों को साबित किया।
योग कई तरह से शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। सेहतमंद बनाए रखने के साथ ही योग के जरिए आप अपने सौंदर्य और खूबसूरती को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं। रोज योग करने के यूं तो कई फायदे हैं. योग के कई प्रकार हैं जो अलग-अलग तरीके से शरीर को मजबूती देते हुए व्यक्ति को स्वस्थ रहने में मदद करते हैं।
योगासन शरीर और मन को स्वस्थ रखने की प्राचीन भारतीय प्रणाली है। शरीर को किसी ऐसे आसन या स्थिति में रखना जिससे स्थिरता और सुख का अनुभव हो योगासन कहलाता है। योगासन शरीर की आन्तरिक प्रणाली को गतिशील करता है। इससे रक्त-नलिकाएं साफ होती हैं तथा प्रत्येक अंग में शुद्ध वायु का संचार होता है जिससे उनमें स्फूर्ति आती है, जिससे व्यक्ति के अंदर उत्साह और कार्य-क्षमता का विकास होता है तथा एकाग्रता बढ़ जाती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ्य़ मस्तिष्क की परिकल्पना की जा सकती है। साथ ही तनावमुक्त होने पर ही शरीर की सारी क्रियाएं भली प्रकार से सम्पन्न होती हैं। इस प्रकार हमारे शारीरिक¸ मानसिक¸ बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए योगासन अति आवश्यक है।
हमारा ह्रदय निरन्तर कार्य करता है। हमारे थककर आराम करने या रात को सोने के समय भी ह्रदय गतिशील रहता है। ह्रदय प्रतिदिन लगभग 8000 लीटर रक्त को पम्प करता है। उसकी यह क्रिया जीवन भर चलती रहती है। यदि हमारी रक्त-नलिकाएं साफ होंगी तो ह्रदय को अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इससे ह्रदय स्वस्थ रहेगा और शरीर के अन्य भागों को शुद्ध रक्त मिल पाएगा जिससे नीरोग व सबल हो जाएंगे। फलतः व्यक्ति की कार्य-क्षमता भी बढ़ जाएगी।
- मुरली श्रीवास्तव
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